इमरजेंसी फिल्म पर सुनवाई 3 सितंबर तक टली, कंगना रनौत, मणिकर्णिका फिल्म और अन्य को जबलपुर हाईकोर्ट से नोटिस

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि फिल्म के माध्यम से सिख और हिंदू धर्म के बीच गलतफहमियां फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की गुरुवाणी का उदाहरण दिया।

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Neel Tiwari
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इमरजेंसी फिल्म
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मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने मणिकर्णिका फिल्म्स, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ( CBFC ) और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 'इमरजेंसी' फिल्म के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका के संदर्भ में जारी किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 3 सितंबर को निर्धारित की गई है, जिसे कोर्ट ने 'टॉप ऑफ द लिस्ट' यानी प्राथमिकता में रखा है।

खालिस्तान से जुड़े कंटेंट पर उपजा विवाद

इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगल पीठ ने की। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एनएस रूपराह ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि फिल्म के ट्रेलर में सिख समुदाय को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रेलर में अमृतधारी सिखों को बंदूक चलाते और हिंसक गतिविधियों में संलिप्त दिखाया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि फिल्म में एक विवादित संवाद भी शामिल है, जिससे सिख समुदाय को खालिस्तान समर्थक दर्शाने की कोशिश की जा रही है।यह सभी दृश्य और डायलॉग समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है। जबकि सिख समुदाय की भारतीय सेना में सेवा देने के प्रति निष्ठा और सामाजिक परोपकार के कामों की भावना किसी से छुपी नहीं है ऐसे में इस समुदाय को इस तरह से प्रदर्शित करना गलत है।

हिन्दू और सिख समुदाय को बांटने की साज़िश

रूपराह ने अपने तर्कों में कहा कि फिल्म के माध्यम से सिख धर्म और हिंदू धर्म के बीच गलतफहमियां फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की गुरुवाणी का उदाहरण दिया। "सबै घट रामु बौले रामा बोले, राम बिना कौ बौले रै" का हवाला देते उन्होंने बताया कि सिख धर्मग्रंथ में 2500 बार राम शब्द का उच्चारण है। सिख धर्म को हिंदू धर्म से अलग नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस तरह की फिल्मों में दिखाए गए दृश्य और डायलॉग तनाव पैदा कर सकते हैं।

कोर्ट ने की सिख समुदाय की सराहना

सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने सिख समुदाय की सेवाभावी प्रवृत्ति की सराहना की। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना महामारी के समय, सिख समुदाय ने जिस तरह से लोगों की सेवा की, वह प्रशंसनीय है। विशेष रूप से, उन्होंने गुरुद्वारों से ऑक्सीजन सप्लाई का उल्लेख किया।

3 सितंबर को होगी मामले की सुनवाई

प्रतिवादियों की ओर से कोर्ट में कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं था, जिसके बड़कोट ने कंगना रनोद सहित अन्य सात प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी प्रतिवादियों को भेजा जाएगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार 3 सितंबर को होगी।

हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट में सेंसर बोर्ड ने दिया कार्यवाही का आश्वासन

शासन की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इसी मामले की पंजाब और हरियाणा में हुई सुनवाई के बाद सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म के सर्टिफिकेशन पर दोबारा विचार कर कार्यवाही का आश्वाशन दिया है। इस जनहित याचिका के तहत 'इमरजेंसी' फिल्म को लेकर उठाए गए मुद्दे गंभीर हैं। अब 3 सितंबर को इस मामले की आगे की सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि अदालत इस विवादास्पद फिल्म पर क्या निर्णय लेती है।

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