40 सालों में 50% बढ़ गया MP में हीट वेव का खतरा, MANIT भोपाल की रिसर्च में हुआ खुलासा

भोपाल स्थित मैनिट (MANIT) की रिसर्च के अनुसार, एमपी में बीते 40 वर्षों में हीट वेव के दिनों में 50% तक की वृद्धि हुई है। 1980-90 में जहां गर्मी के 120 दिन थे, वहीं 2013-2024 के दौरान यह संख्या बढ़कर 180 दिन हो गई।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Heat wave danger increased in MP
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MP News: मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल (MANIT) की हाल ही में आई एक रिसर्च ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मध्यप्रदेश में हीट वेव के मामले बीते चार दशकों में 50% तक बढ़ गए हैं। यह रिसर्च डॉ. विकास पूनिया और उनके छात्र हिमांशु झारिया द्वारा तैयार की गई है। इसमें प्रदेश के सात प्रमुख शहरों — भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, उज्जैन और सतना — के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इनमें ग्वालियर प्रदेश में सबसे गर्म शहर में है। 

क्या बताया रिसर्च ने

रिसर्च के मुताबिक़1980-1990 में गर्मी के दिन 120 थे जबकि  2013 से 2024 में यह संख्या 180 दिन हो गई। यानी हीट वेव (लू) के मामलों में लगभग 50% की वृद्धि हुई है। इस समय में "नो डिस्कम्फर्ट" (No Discomfort) यानी बिना गर्मी की असुविधा वाले दिनों की संख्या भी 83 की जगह कम होकर केवल 48 दिन रह गई है। यह एक गंभीर संकेत है।

अर्बन हीट आइलैंड

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में अर्बन हीट आइलैंड (Urban Heat Island) प्रभाव काफी प्रबल है।इन शहरों में  तेज़ी से हरियाली में कमी हो रही है और बड़ी-बड़ी बिल्डिंग तेज़ी से बन रही है। इस कारण गर्मी अब और अधिक तीव्र महसूस की जाती है। जब इमारतें, सड़कें और अन्य पक्के ढांचे चारों ओर फैले हों, तो गर्मी सतह पर ही कैद हो जाती है, जिससे स्थानीय तापमान लगातार बढ़ता है।
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MP में 25 दिन रही हीट वेव

मार्च 11 से अप्रैल 24, 2025 तक के आंकड़े दर्शाते हैं कि मध्यप्रदेश में 25 दिन तक लू चली, जो राज्य के लिए एक चिंताजनक स्थिति है। उतना ही लंबा हीट वेव पीरियड राजस्थान में भी दर्ज किया गया। इस आधार पर दोनों राज्य देश में सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल रहे।

हीट वेव के दुष्प्रभाव

  • लू लगना (Heat Stroke)
  • भ्रम, बेहोशी, दौरे 
  • डीहाइड्रेशन से जल और इलेक्ट्रोलाइट की कमी
  • कमजोरी, चक्कर, सुस्ती
  • मांसपेशियों में ऐंठन 
  • नमक और पानी की कमी से पैरों, पेट व बाजुओं में दर्द

हीट वेव से कैसे निपटें 

  • ग्रीन कवर बढ़ाना: हरियाली से तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • एआई आधारित पूर्वानुमान: समय रहते चेतावनी से जन-हानि रोकी जा सकती है।
  • हीट एक्शन प्लान: हर शहर के लिए अलग योजना बनाना जरूरी है।
  • कूलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: स्कूल, अस्पताल जैसी जगहों पर कूलिंग सिस्टम अनिवार्य हो।
डॉ. पूनिया के अनुसार- यह रिसर्च सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि नीति निर्धारण की दिशा में एक चेतावनी है। 2050 तक गर्मी की गंभीरता और अवधि दोनों बढ़ सकती हैं।
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