सागर जिले की बंडा तहसील में पांच साल पहले 11 साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और फिर उसकी गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में जिला अदालत ने आरोपी रामप्रसाद अहिरवार और बंसीलाल अहिरवार को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन अदालत के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। शुक्रवार को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने जब मामले की सुनवाई की तो पाया कि आरोपी रामप्रसाद ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। आरोपी के वकील ने कोर्ट से कहा कि उसे फांसी की सजा से छूट दी जानी चाहिए। मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देव नारायण मिश्रा की डबल बेंच कर रही थी। दो जजों की बेंच ने जिला सत्र न्यायालय के फैसले को पलट दिया।
मृत्युदंड की सजा को 25 साल में किया तब्दील
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यह मामला विरलतम मामलों की श्रेणी में नहीं आता, जहां अपीलकर्ता के लिए केवल मृत्युदंड ही उचित है। इस मामले में आरोपी चाची सुशीला अहिरवार को कोर्ट ने बरी कर दिया है। दो आरोपी नाबालिग भाइयों की सुनवाई किशोर न्यायालय में लंबित है। मार्च 2019 में बांदा के अपर सत्र न्यायाधीश उमाशंकर अग्रवाल ने यह फैसला सुनाया था। वहीं इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई और कोर्ट ने बंसीलाल को रिहा कर दिया जबकि रामप्रसाद अहिरवार की फांसी की सजा को 25 साल में बदल दिया।
आरोपी के पक्ष में वकील ने ये दी दलील
शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने कहा कि आरोपी रामप्रसाद पेशेवर हत्यारा नहीं है और यह उसका पहला अपराध है। इससे पहले वह किसी आपराधिक मामले में नहीं पाया गया है, इसलिए उसे आदतन अपराधी नहीं माना जा सकता है।
अधिवक्ता मनीष दत्त ने न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि जिला सत्र न्यायालय सागर ने इस मामले को विरलतम श्रेणी में रखकर मृत्युदंड जैसा कठोर फैसला सुनाया है। इस पूरी सुनवाई के दौरान सरकारी वकील मृतक की वास्तविक आयु साबित करने में भी विफल रहे हैं। आरोपी व्यक्ति के माता-पिता मजदूर पृष्ठभूमि से आते हैं।
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हाई कोर्ट ने सजा में क्यों दी छूट?
इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने अपराध कबूल कर लिया है। वह समाज में मजदूर वर्ग से आता है, इसलिए उसकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, शिक्षा के स्तर को ध्यान में रखते हुए सजा में बदलाव किया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि मौत की सजा के बजाय पश्चाताप करने वाले युवा को इस जीवन में सुधरने और बेहतर नागरिक बनने का अवसर मिलना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा के स्तर और सामाजिक संपर्क को जातिगत गतिशीलता और हमारे समाज में मौजूद ग्रामीण शहरी विभाजन के सामाजिक परिवेश के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हालांकि हत्या क्रूर है, लेकिन राम प्रसाद अहिरवार की उम्र और अपराध के उसके कबूलनामे को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, घटना सागर जिले के बंडा में 13 मार्च 2019 को हुई थी। 14 मार्च को लड़की के पिता ने बंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर ले गया। तलाश के दौरान बेरखेड़ी मौजाहार में लड़की की सिर कटी लाश मिली। लड़की का सिर और धड़ अलग-अलग मिले। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर जांच की। वहीं, डॉक्टर ने शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि की।
इस पर केस में धारा 376, 377 आईपीसी और 5/6 पॉक्सो एक्ट की धाराएं जोड़ी गईं। आरोपियों ने लड़की के साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया। इसके बाद हंसिया से उसका गला रेतकर उसकी हत्या कर दी। इस मामले में रामप्रसाद अहिरवार और बंसीलाल अहिरवार को गिरफ्तार किया गया था, जिस पर कोर्ट ने अब बड़ा फैसला सुनाया है।
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