पुलिस थानों में बने हनुमान मंदिरों के पक्ष में उतरा HC बार एसोसिएशन

पुलिस थानों में बने मंदिरों के मामले में हाईकोर्ट में अब बार एसोसिएशन के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में नया मोड़ आने वाला है। क्योंकि बार एसोसिएशन के द्वारा दिए जा रहे आधारों के अनुसार यह याचिका खारिज होती हुई नजर आ रही है।

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Neel Tiwari
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Bar Association

पुलिस थानों में बने मंदिरों के मामले में हाईकोर्ट में अब बार एसोसिएशन के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में नया मोड़ आने वाला है। क्योंकि बार एसोसिएशन के द्वारा दिए जा रहे आधारों के अनुसार यह याचिका खारिज होती हुई नजर आ रही है। अब पुलिस थानों से मंदिर हटाए जाएंगे या यह याचिका खारिज होगी इसका फैसला इस आधार पर ही होगा कि यह याचिका जनहित याचिका के आधार पर सुनवाई योग्य है भी या नहीं।

मंदिरों के विरोध में लगाई गई थी याचिका

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर में बीते दिनों पुलिस थानों में बने मंदिरों के विरोध में लगाई गई याचिका में अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने हस्तक्षेप किया है। बार के अधिवक्ताओं ने इन मंदिरों को आस्था का विषय बताते हुए यह कहा कि इन मंदिरों पर किसी भी धर्म के लोगों को आपत्ति नहीं है और इस पर आगे किसी भी कार्यवाही को रोकने के लिए संगठन 12 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में हाईकोर्ट में पक्ष रखेगा।

थानों में बने मंदिरों के खिलाफ लगी थी याचिका

बीते दिनों एक सरकारी कर्मचारी और अधिवक्ता ओम प्रकाश यादव ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर सभी थाना परिसर में बन रहे मंदिरों पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जिसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 5 नवंबर को सभी थाना परिसरों में बन रहे मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दी थी। अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इस मामले में हस्तक्षेप कर 12 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में अपना पक्ष रखेगा।

याचिका को खारिज करने की हुई अपील

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के द्वारा इस याचिका को खारिज करने के लिए कोर्ट के समक्ष कई तथ्य रखे जाने हैं। हस्तक्षेप आवेदन के अनुसार याचिकाकर्ता ने इसे PIL के तहत दायर किया है परंतु PIL के नियम अनुसार जानकारी नहीं दी है। इसके साथ ही बार एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया है की PIL  जनहित में लगाई जाती है परंतु इस याचिका के जरिए एक बड़े वर्ग का अहित हो सकता है और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है । आवेदन में यह भी आरोप हैं कि यह याचिका स्पॉन्सर्ड है। याचिकाकर्ता का मकसद जनहित नहीं है बल्कि धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ना है।

मंदिर हटाने से बिगड़ सकता है सौहाद्र

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि अधिवक्ता समाज का आईना होते हैं और समाज को रिप्रेजेंट करने के साथ ही हमारी जवाबदारी बनती है कि हम समाज में होने वाले किसी भी अहित के खिलाफ खड़े हो। उपाध्याय ने कहा कि इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के जिस आदेश को आधार बनाया गया है, यह मामला उससे जुड़ा हुआ नहीं है। क्योंकि वह आदेश उन धार्मिक स्थलों के लिए जारी किया गया था, जो अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं। लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट परिसर मे बने मंदिर सहित पुलिस थानों में जो मंदिर बने हैं उन्हें पुलिस ने खुद बनाया है, ना कि अतिक्रमणकारियों ने। बार एसोसिएशन का यह भी पक्ष है कि यदि मंदिरों को हटाने के लिए कोई आदेश जारी होता है। तो सामाजिक सौहार्द बिगड़ने और दंगे जैसी घटनाओं की भी संभावना है। जिसे रोकने के लिए बार एसोसिएशन ने याचिका में हस्तक्षेप किया है और याचिका को खारिज करने की मांग की जा रही है।

गुरुवार 12 दिसंबर को होगी मामले की सुनवाई

इस याचिका की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में गुरुवार 12 दिसंबर को तय है । इस सुनवाई में अब बार एसोसिएशन हस्तक्षेप करते हुए अपना पक्ष रखेगा । आपको बता दें कि इस याचिका का आधार यह था कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सार्वजनिक स्थलों पर मंदिरों के निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दे चुकी है। इसके बावजूद कई थानों में मंदिरों का निर्माण हो रहा है।  याचिका में उन सभी थानों की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं, जहां मंदिरों का निर्माण मौजूदा समय में किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश वर्मा, अमित पटेल और ग्रीष्म जैन ने अपना पक्ष रखा था। लेकिन अब बार एसोसिएशन की ओर से जो तथ्य रखे जा रहे हैं उनके अनुसार सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस मामले में लागू ही नहीं होता। 12 दिसंबर को होने वाली हाईकोर्ट की सुनवाई पर सभी की नजरे बनी रहेगी और सुनवाई के बाद ही पता चलेगा कि हाईकोर्ट इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश के आधार पर सही मानता है या फिर इस याचिका को खारिज करता है।

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