इंदौर में हुए भयावह डीपीएस बस हादसे जिसमें चार स्कूल बच्चों और ड्राइवर की मौत हुई थी, इस पर लगी विविध जनहित याचिकाओं की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट डबल बेंच ने स्कूल व शैक्षणिक संस्थानों की बसों के लिए अहम आदेश जारी किया है। इसमें स्कूल बस और ऑटो के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है और मप्र शासन को आदेश दिए हैं कि वह मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कर इन्हें जोड़े और जब तक ऐसा नहीं होता यह गाइडलाइन लागू रहेंगी। साथ ही उनका पालन कराने की जिम्मेदारी संबंधित जिले के आरटीओ और ट्रैफिक सीएसपी, डीसीपी की होगी। वहीं पीएस स्कूल शिक्षा विभाग, संबंधित जिले के कलेक्टर,एसपी इस मामले में ध्यान देंगे कि इनका पालन हो और इन गाइडलाइन को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके। अहम आदेश में यह भी है कि ऑटो में तीन स्कूली बच्चे से ज्यादा नहीं बैठेंगे, ड्राइवर सहित कुल चार ही सवारी होंगी।
हादसे में यह होंगे जिम्मेदार
हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी ने गाइडलाइन के साथ ही आदेश दिए हैं कि हर सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल और निजी स्कूल, शैक्षणिक संस्थान में ऑनर, प्रिंसिपल व अन्य जिम्मेदार व्यक्ति हर बस के लिए एक व्हीकल इंचार्ज नियुक्त करेगा। जो उनकी परमिट, लाइसेंस, फिटनेस आदि सभी पर नजर रखेगा और साथ ही ड्राइवर के क्रिमिनल रिकॉर्ड व अन्य बातों पर, कोई भी घटना पर उन्हें ही सीधे जिम्मेदार माना जाएग।
पालक देख सकेंगे मोबाइल पर लोकेशन, सीसीटीवी
हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिए हैं कि हर बस में सीसीटीवी होना चाहिए और जीपीएस भी, जिससे पालक मोबाइल एप पर हर बस को लेकर स्थिति को देख सके। बस में मेल, फीमेल टीचर भी होना चाहिए, जो देखें बच्चों के बस में आने-जाने को देखेगा। ड्राइवर का लगातार मेडिकल चेकअप भी किया जाएगा।
यह अहम गाइडलाइन की गई जारी
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता मनीष यादव ने कहा कि हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा स्कूल बस को लेकर जारी की गई गाइडलाइन से कई अहम बिंदु लिए और मप्र शासन से कहा कि वह भी मोटर व्हीकल एक्ट 1994 में इस तरह के बदलाव करें।
- स्कूल बस 12 साल से ज्यादा पुरानी नहीं होगी
- बस पीले कलर की होगी, इसमें स्कूल बस लिखा होगा
- खिड़कियों पर ग्रिड लगेगी, इसमें पर्दे और फिल्म नहीं चलेगी
- ड्राइवर पांच साल का अनुभव हो और परमानेंट लाइसेंस धारक हो
- ड्राइवर एक साल में दो और इससे ज्यादा ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं किया हो
- ड्राइवर ओवर स्पीड व ड्रंक मामले में एक से ज्यादा पकड़ा जाए तो उसे नहीं रखा जाए
- इमरजेंसी डोर राइट साइड हो, बस सीट के नीचे बैग रखने की जगह हो
- प्रेशर हार्न नहीं होगा।
ऑटो में तीन बच्चों से ज्यादा नहीं बैठेंगे
हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि एक ऑटो में जो स्कूली बच्चों के ट्रांसपोर्टेशन में हैं, इसमें ड्राइवर सहित कुल चार सवारी ही बैठेंगे, यानी एक ऑटो में तीन से ज्यादा बच्चे नहीं बैठेंगे।
मुआवजे का मुद्दा जनहित याचिका में नहीं उठाया
इसके साथ ही बस दुर्घटना में मरने वालों और घायलों को उचित मुआवजा दिए जाने का मुद्दा भी जनहित याचिका में उठाया गया था। साथ ही प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई थी, लेकिन इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजे का मुद्दा जनहित याचिका में नहीं उठाया जा सकता। इसलिए इस पर विचार नहीं किया जाएगा। जहां तक प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की बात है, तो उस समय पहले से ही मामला दर्ज था, इसलिए इन दो बिंदुओं पर विचार नहीं किया जा रहा है। लेकिन स्कूली बसों और ऑटो में बच्चों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जरूर जारी किए जा रहे हैं।
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