BHOPAL. भोपाल के जिला उपभोक्ता आयोग ने SBI होम इंश्योरेंस ( SBI Home insurance ) को एक मामले में अहम आदेश दिया है। भोपाल निवासी मुन्ना लाल बाथम ने 29 जनवरी 2019 को 23 लाख रुपए का होम लोन SBI से लिया था। इस लोन को एसबीआई इंश्योरेंस ( SBI Insurance ) ने कवर दिया था। 96 महीने के इस लोन की 35 किश्तें भी मुन्ना लाल बाथम जमा कर चुके थे। इसी दौरान कोरोना काल में 14 जून 2021 को उनका निधन हो गया और होम लोन का करीब 18 लाख रुपए बकाया रह गया। जब बैंक ने लोन चुकाने को लेकर मुन्ना लाल बाथम के परिवार वालों से संपर्क किया तो परिजनों ने होम लोन के इंश्योरेंस की बात कही, मगर SBI Insurance ने इस लोन को चुकाने से इंकार कर दिया। इसके बाद मुन्ना लाल बाथम के परिजनों ने जिला उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया।
क्या है उपभोक्ता आयोग का आदेश ?
शिकायतकर्ता के अधिवक्ता हार्दिक श्रीवास्तव की अपील पर उपभोक्ता आयोग ने अहम आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता आयोग, भोपाल की अध्यक्ष गिरिबाला सिंह व सदस्य अंजुम फिरोज और अरुण प्रताप सिंह ने शिकायतकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिया है। आयोग ने SBI लोन इंश्योरेंस कंपनी को बैंक को होम लोन के 18 लाख रुपए चुकाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही 10 हजार रुपए का मुआवजा और 5000 रुपए का कानूनी खर्च 9 फीसदी ब्याज के साथ चुकाने को कहा है।
Insurance कंपनी का दावा
जांच के दौरान इंश्योरेंस कंपनी ने आपत्तियां उठाईं और दावा करते हुए कहा कि बाथम ने किसी पूर्व मौजूद बीमारी की जानकारी नहीं दी थी। इस अज्ञात बीमारी को इंश्योरेंस क्लेम को खारिज करने का कारण कंपनी द्वारा बताया गया था। जिसको सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग ने खारिज कर दिया।
क्या है शिकायतकर्ता के एडवोकेट का कानूनी तर्क ?
इस मामले में शिकायत कर्ता के एडवोकेट हार्दिक श्रीवास्तव ने यह तर्क दिया कि अज्ञात बीमारी का सीधा संबंध बाथम की मौत के कारण से नहीं था। इसके अलावा, कोविड-19 के चक्कर में एक सीधे संबंध स्थापित करना मुश्किल था। एडवोकेट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसमें बीमारी और मौत के बीच का सीधा संबंध कोर्ट रिकॉर्ड पर होना चाहिए था। उन्होंने यह भी बताया कि यदि बाथम ने अपनी बीमारी की जानकारी नहीं दी, तो इसमें कोई गलत इरादा नहीं था।