होमबायर्स ने जीती एजी-8 वेंचर्स से हक की लड़ाई, अब बिल्डर छिपा रहा बुकिंग की जानकारी

मध्यप्रदेश में रेरा एमपी हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट बोर्ड के माध्यम से होमबायर्स को अधूरे प्रोजेक्ट्स में घर बनाकर देगा। हालांकि, अभी भी इसमें बिल्डर्स द्वारा कई पेंच अटकाए जा रहे हैं... 

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. करीब एक दशक के बाद एजी-8 वेंचर्स के प्रोजेक्ट्स में ठगे गए होमबायर्स को उनका हक मिलने वाला है। इसके लिए एजी-8 वेंचर्स के दर्जन भर प्रोजेक्ट्स के होमबायर्स को रेरा से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है। अब रेरा एमपी हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट बोर्ड के माध्यम से होमबायर्स को अधूरे प्रोजेक्ट्स में घर बनाकर देगा। हालांकि, अभी भी इसमें बिल्डर्स द्वारा कई पेंच अटकाए जा रहे हैं। बिल्डर कंपनी द्वारा रेरा के बार-बार चेताने के बाद भी होमबायर्स और उनके भुगतान की डिटेल उपलब्ध नहीं करा रहा है। इसके चलते अब रेरा ने होमबायर्स से बुकिंग से लेकर किए गए भुगतान की जानकारी मांगी है। इसके लिए रेरा ने होमबायर्स को पत्र भी जारी किए हैं लेकिन यहां भी अब तक 40 फीसदी होमबायर्स अब तक सामने नहीं आए हैं। बताया जा रहा है इन प्रोजेक्ट्स में कई ब्यूरोक्रेट्स और पॉलिटिशियन की काली कमाई लगी है। बिल्डर कंपनी ने इसके बदले में प्रॉपर्टी को बेनामी या उनके नजदीकियों के नाम से दर्ज किया है। इसी वजह से ऐसी यूनिट्स की बुकिंग और भुगतान की जानकारी छिपाई जा रही है। 

मामला रेरा और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था

राजधानी में एजी-8 वेंचर्स के टाउनशिप प्रोजेक्ट्स के नाम पर होमबायर्स से लाखों रुपए लेकर ठगी करने का मामला बीते कई सालों से गरमा रहा है। एक साथ सैंकड़ों होम बायर्स से लाखों रुपए जमा कराने के बाद बिल्डर कंपनी ने उन्हें मकान बनाकर नहीं दिए तब यह मामला रेरा और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। बिल्डर हेमंत सोनी ने लोगों से हड़पे लाखों रुपए की वापसी से बचने के लिए खुद को दीवालिया घोषित कराने की कोशिश भी की थी। इसके लिए साजिश रचते हुए एनसीएलटी यानी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से आदेश भी पारित करा लिया था। जिसे होमबायर्स और रेरा की अपील के बाद एनसीएलएटी यानी नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने खारिज कर दिया था। एजी-8 वेंचर्स कंपनी का कर्ताधर्ता हेमंत सोनी अपने बचाव में सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था लेकिन उसे यहां भी राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसे लोगों से बुकिंग के नाम पर ली गई राशि वापस करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद रेरा ने बिल्डर के अधूरे टाउनशिप प्रोजेक्ट अपने हाथ में लेकर उन्हें एमपी हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट बोर्ड से पूरा करने का निर्णय लिया है। इसके लिए रेरा बीते पांच माह से बिल्डर हेमंत सोनी से होम बायर्स की बुकिंग और भुगतान की जानकारी मांग रहा है। वहीं बिल्डर बार-बार नोटिस भेजने पर भी इस जानकारी को टाल रहा है। 

बिल्डर कंपनी छिपा रही बुकिंग और भुगतान का डेटा

रेरा ने बिल्डर हेमंत सोनी के असहयोग को देखते हुए जुलाई माह में एजी-8 वेंचर्स के हाउसिंग प्रोजेक्ट आकृति एक्वासिटी, आकृति बिजनेस आर्किड और आकृति कोलार सिटी और अन्य में मकान की बुकिंग कराने वाले होम बायर्स से जानकारी मांगी है। रेरा ने ऐसे सभी होमबायर्स को पत्र भेजकर उनसे बुकिंग के दौरान जमा कराई गई राशि और बिल्डर द्वारा दी गई रसीद और अन्य दस्तावेज मांगे हैं। इस चिट्ठी के बाद बीते 9 सालों से बिल्डर के चक्कर काट रहे 60 फीसदी होम बायर्स ने अपना ब्यौरा रेरा हो सौंप दिया है। लेकिन काफी मशक्कत के बाद भी रेरा बिल्डर से बुकिंग की पूरी जानकारी हासिल नहीं कर सका है। यानी हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट और एनसीएलएटी के सामने हारने और इन न्यायिक संस्थाओं की कड़ी फटकार के बाद भी बिल्डर का रवैया नहीं बदला है। बताया जाता है प्रदेश के कई नेता और अफसरों का हाथ होने की वजह से बिल्डर हेमंत सोनी रेरा को सहयोग नहीं कर रहा है। 

अफसर और नेताओं की बेनामी संपत्ति छिपाने की कोशिश

पूरी जानकारी नहीं मिलने की वजह से रेरा अब भी असल होमबायर्स को उनका हक नहीं दिला पा रहा है। जानकारों का कहना है कि एजी-8 वेंचर्स कंपनी के नाम से लोगों से लाखों रुपए जमा कराने वाले बिल्डर हेमंत सोनी की प्रदेश के कई नेताओं और अफसरों से साठगांठ है। हेमंत ने उनकी काली कमाई के करोड़ों रुपए अपने प्रोजेक्ट में लगाए हैं, जिसके बदले में उनके प्रोजेक्ट्स में कई यूनिट्स बुक हैं। अफसर और नेताओं के नाम उजागर न हो इस वजह से बुकिंग में हेराफेरी की गई है। यानी जिस प्रॉपर्टी की बुकिंग में लाखों-करोड़ों रुपए का भुगतान हो चुका है उस पर किसी का नाम ही दर्ज नहीं है। हालांकि, पहचान के लिए बिल्डर ने ऐसी बुकिंग्स पर कोड दर्ज किए हैं। वहीं कुछ बुकिंग्स में आम होमबायर्स के मकानों के साइज के बदले काफी कम राशि ली गई है। बताया जाता है प्रोजेक्ट्स में कई नियमों की अनदेखी के बदले में नेताओं और अफसरों से जो मदद मिली है उसके बदले में बिल्डर ने कीमती प्रॉपर्टी कौड़ियों के दाम पर बेची है। यानी इन बेनामी प्रॉपर्टी के मालिकों के नाम सामने आने पर बिल्डर के साथी नेता-अफसरों का नेक्सस भी उजागर हो सकता है। 

किसके इशारे पर अटकी है ईओडब्ल्यू की जांच

लोगों को मकान के नाम पर ठगने वाली कंपनी एजी-8 वेंचर्स की शिकायत होमबायर्स ने कई साल पहले ईओडब्लू में की थी। पहले तो ईओडब्लू ने इसे अनदेखा किया लेकिन दबाव बढ़ने पर जून 2022 में बिल्डर हेमंत सोनी, राजीव सोनी और उनके साथ शौनक सुधीर के विरुद्ध धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर लिया था। ईओडब्लू में शिकायत दर्ज कराने के बाद जांच अधिकारी होमबायर्स को ही परेशान करते रहे। उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए बुकिंग और भुगतान संबंधी दस्तावेज, कंपनी के साथ किए गए अनुबंध को लेकर बार-बार लोगों को यहां से वहां दौड़ाया जाता रहा है। जबकि बिल्डर पर जांच में सहयोग के लिए दबाव तक नहीं बनाया गया। शिकायत करने वाले तीन दर्जन से ज्यादा होमबायर्स बार-बार बयान दर्ज कराने और दस्तावेज पेश करने चक्कर काटते रहे। बावजूद इस मामले में ईओडब्लू की जांच केवल हवा-हवाई ही रही। बिल्डर द्वारा होमबायर्स से 13 करोड़ की धोखाधड़ी के तथ्य ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आ चुके हैं। वहीं रेरा द्वारा की गई जांच में भी नियमों के उल्लंघन के तथ्य साफ है। इसके बाद भी आर्थिक अपराध की पड़ताल ठंडे बस्ते में दबा दी गई है। 

लोगों को जल्द घर दिलाने की कोशिश

उधर रेरा एजी-8 वेंचर्स की ठगी का शिकार हुए लोगों को उनका घर जल्द दिलाने की कोशिश में जुटा है। इसके लिए बीते पांच महीनों में कई बार बिल्डर हेमंत सोनी को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। वहीं उसके असहयोग को देखते हुए अब होमबायर्स से ही जानकारी मांगी गई है। रेरा सूत्रों के अनुसार बिल्डर हेमंत सोनी को अब भी सरकार में बैठे कई नेता और अफसरों का संरक्षण है। ऐसे दर्जन भर नेता और अफसरों का रुपया भी इन प्रोजेक्ट्स में लगा है। बिल्डर के साथ इन हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का मुनाफा इन नेताओं और अधिकारियों को भी मिलता रहा है। इन्हीं की वजह से हर स्तर पर पराजित होने के बाद भी बिल्डर हेमंत के तेवर नहीं बदले हैं।

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