इंदौर में बजाज फाइनेंस के वसूली भाइयों की गुंडागर्दी जारी, अब 4950 रुपए की किश्त के लिए पिता-पुत्र को धमकाया

पिता राजेश निदाने ने बताया कि पुत्र उदय के लिए चेतक स्कूटर लिया और इसमें बजाज  फाइनेंस से1.30 लाख का लोन लिया। इसकी मासिक किश्त 4950 रुपए है जो भर रहे थे, लेकिन...

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Sanjay gupta
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बजाज फाइनेंस ने फिर धमकाया
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इंदौर में लोन नहीं चुकाने पर कर्जदार के साथ बजाज फाइनेंस के कर्मचारियों और वसूली भाइयों की गुंडागर्दी जारी है। दो दिन पहले ही कंपनी के वसूली भाइयों ने केवल 1893 रुपए कि किश्त नहीं चुकाने वाले एक कर्जदार को लोहे के पाइप से मारकर घुटने तोड़ दिए। अब केवल 4950 रुपए की किश्त नहीं चुकाने पर फाइनेंस के कर्मचारियों ने पिता और पुत्र को जमकर गालियां दी और धमकाया।

यह है मामला

पिता राजेश निदाने ने बताया कि पुत्र उदय के लिए चेतक स्कूटर लिया और इसमें बजाज  फाइनेंस से1.30 लाख का लोन लिया। इसकी मासिक किश्त 4950 रुपए है जो भर रहे थे, लेकिन बीती किश्त चूक गई क्योंकि बेटे की कॉलेज फीस भरनी पड़ी। इसके बाद से ही एक दिन में 20-20 फोन वहां से आने लगे।

बेटे को धमकाया और लोन की गारंटी देने वाले उसके मित्र को और मुझे भी। बताया भी कि इस किश्त को नहीं भरने से आप पेनल्टी तो लगाएंगे ही वह ले लीजिएगा, अगले महीने से किश्त पूरी कर देंगे, लेकिन इसके बाद भी वाट्सअप पर गंदी गालियां दी और फोन करके धमकाया।

इससे पहले फरियादी के घुटने ही फोड़ दिए

दो दिन पहले ही द सूत्र ने बताया था कि गुंडागर्दी करते हुए बजाज फाइनेंस के वसूली भाइयों ने फरियादी रितेश शाह के घुटने ही तोड़ दिए, हालत ऑपरेशन की आ गई और फिर ऑपरेशन हुआ। वह भी मात्र 1893 रुपए की किश्त के लिए। फरियादी रितेश शाह ने द सूत्र को बताया कि उसने बजाज फाइनेंस से 39 हजार का लोन लिया था।

इसकी 20 किश्त चुका भी दी। लेकिन बीते माह एक किश्त नहीं चुका पाया और इस बार भी किश्त अभी नहीं दे सका था। इसके लिए फोन आया और धमकाया, गालियां दी गई। फिर रात को मिलने बुलाया और जमकर पीटा। लोहे के पाइप से पैर में मारा, घुटना टूट गया। शाह अभी एक निजी अस्पताल में भर्ती है। इसकी शिकायत पलासिया थाने में कर दी है, फिलहाल केस दर्ज नहीं हुआ है।

लोन देने वालों की वसूली के लिए गुंडागर्दी जारी है

इंदौर में यह पहला मामला नहीं है। खासकर मोबाइल एप से छोटे-छोटे लोन लेने वाले गरीब वर्ग इस जाल में काफी फंस रह है। इंदौर में इसके पहले भी पीड़ित पक्ष इनकी वसूली की ज्यादती से परेशान होकर सुसाइड कर चुका है। वसूली के लिए कंपनियों ने लोग रखे हुए हैं, जो वसूली करने के बदले कमीशन मिलने के लिए काम करते हैं और ज्यादती करते हैं।

sanjay gupta

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