IAS व पूर्व निगमायुक्त हर्षिका के X  पर लिखे संदेश के गहरे थे मायने, निगम के भ्रष्टाचार की खोल दी फाइलें, इसलिए माहौल बनाकर कराया रवाना

हर्षिका सिंह ने अंग्रेजी में कोट लिखा था कि- It’s stupid to be humble and innocent in present times…यानी आज के समय में दयालु और सीधा होना मूर्खता है।

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Pratibha ranaa
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हर्षिका सिंह और शिवम वर्मा

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संजय गुप्ता, INDORE. सफाई के साथ अब घोटालों में तेजी से नंबर वन बन रहे इंदौर नगर निगम में आरोपों के बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा ने दो कमेटियां बना दी है। एक कमेटी बिल घोटाले की जांच करेगी, तो दूसरी नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे द्वारा 100 करोड़ की गोशाला जमीन घोटाले के लगाए आरोपों को लेकर इस पर अध्ययन करेगी। लेकिन इन घोटालों के बीच 5 मार्च को तत्कालीन निगमायुक्त व आईएएस हर्षिका सिंह ( Harshika Singh ) का X पर लिखे संदेश के गहरे मायने सामने आने लगे हैं। 

हर्षिका सिंह ने यह लिखा था संदेश

हर्षिका सिंह ने अंग्रेजी में कोट लिखा था कि- It’s stupid to be humble and innocent in present times…यानी आज के समय में दयालु और सीधा होना मूर्खता है। इस संदेश के बाद बात चलने लगी कि आखिर मैडम ने किस ओर निशाना साधा है? महापौर के साथ ही अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ भी उनकी पटरी नहीं बैठ रही थी। इस संदेश के दस दिन बाद उनका ट्रांसफर हो गया। 

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क्या थे इसके मायने और क्यों रवाना हुई सिंह

इस संदेश को लेकर हर्षिका सिंह ने बाद में सफाई देते हुए कहा था कि यह लाइन अच्छी लगी तो लिख दी, यह पूरी तरह से एकेडमिक मामला है। लेकिन अब इसके मायने साफ होने लगे हैं। दरअसल सिंह ने नगर निगम में कई भ्रष्टाचार की फाइल खोल दी थी। इसमें एक यह 28 करोड़ के बिल घोटाले से जुड़ी फाइल भी थी। इसमें कई तरह से बिना काम के बिल पास हो रहे हैं। इसकी खबर सिंह को लगी और उन्होंने फाइलों को बुलाना और जांचना शुरू कर दिया था। यह खेल लंबे समय से चल रहा है। यह बात उन नेताओं को नागुवार गुजरी, जो इसमें संलिप्त थे और उनके साथ निगम अधिकारी भी थे। आखिर में सरकार बदली और सब तरफ से जोर लगा और सिंह की विदाई हो गई। लेकिन उनके दवारा खोली गई फाइल सभी के गले की हड्‌ड़ी बन गई, जिसमें सभी ने खुद को बचाने के लिए मामला पुलिस को सौंप दिया। सिंह की छवि ईमानदार अधिकारी रही है साथ ही वह किसी से दबने वाली अधिकारी भी नहीं थी। 

उपयंत्री पर दबाव पड़ने से वह कर चुका आत्महत्या

यह फर्जी बिल का मामला निगम में नया नहीं है। घोटालेबाज नेता, ठेकेदार इसके लिए दबाव और लालच दोनों की राजनीति करते हैं। कुछ समय पहले निगम के उपयंत्री नरेश नेहलानी पर फाइल पर हस्ताक्षर करने का दबाव पड़ा। इसमें पूर्व पार्षद लाल बहादुर वर्मा, सिटी इंजीनियर एनएस तोमर, विक्की धीमान, रामअवतार व अन्य द्वारा प्रताड़ित करने के आरोप लगे। इस दबाव में नेहलानी ने आत्महत्या कर ली थी। 

निगमायुक्त शिवम वर्मा ने बनाई जो कमेटी

1-    बिल घोटाले की जांच

इसे लेकर निगमायुक्त शिवम वर्मा ने जांच कमेटी बना दी है। हालांकि इसके लिए महापौर ने भी प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। इस जांच कमेटी के अध्यक्ष आईएएस व अपर आयुक्त सिद्दार्थ जैन है। साथ ही अपर आयुक्त लेखा देवधर दरवाई, सहायक यंत्री आरएस देवड़ा, सहायक लेखा अधिकारी रमेश चंद्र शर्मा, आईटी सेल के अभिनव राय, सहायक लेखापाल आषीष तागड़े व रूपेश काले है। समिति 15 दिन में रिपोर्ट देगी। वहीं प्रांरभिक तौर पर सामने आया है कि ठेकेदार फर्जी काम के लिए 3 करोड़ का भुगतान ले चुके हैं। आरोपियों के मोबाइल बंद है और एमजी रोड पुलिस तलाश रही है। 

2-    गोशाला मामले के लिए भी बनी कमेटी

उधर निगमायुक्त ने नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे द्वारा गौशाला में घोटाला करने के आरोप लगाने के बाद कमेटी बना दी है। कमेटी अपर आयुक्त दिव्यांक सिंह की अध्यक्षता में बनी है। इसमें अभय राजनगांवकर, निगम सिटी इंजीनियर डीआर लोधी। गोशाला प्रभारी डॉ. अखिलेश उपाध्याय, डॉ. उत्तम यादव व अन्य है। नौ सदस्यीय कमेटी कामों क स्थिति देखने के बाद किस तरह इसे व्यवस्थित किया जा सकता है इस पर काम कर रिपोर्ट देगी।

हर्षिका सिंह HARSHIKA SINGH