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चलता रहूंगा पथ पर, चलने में माहिर बन जाऊंगा
या तो मंजिल मिल जाएगी या अच्छा मुसाफिर बन जाऊंगा।
कवि की यह रचना पढ़ने में जितनी अच्छी है, जीवन में इसे आत्मसात करना उतना ही कठिन। लेकिन जब कोई इन पंक्तियों को अपने जीवन में उतार ले तो समाज के सामने एक नायाब शख्सियत दिखने लगती है। ऐसी ही शख्सियत हैं आईएएस आशीष सिंह। 2010 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस आशीष की ख्वाहिश सिविल सर्विसेस थी। कुछ कर गुजरने की चाह में उन्होंने एक छोटे गांव से अपने सफर की शुरुआत की और अच्छा मुसाफिर बनने के लिए वे तब तक चलते रहे, जब तक कि उन्हें अपनी मंजिल नहीं मिल गई। अभी वे इंदौर कलेक्टर हैं।
आशीष सिंह का जन्म 29 नवंबर 1984 को उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले में हुआ। संडीला तहसील के तेरवा गांव में जन्मे आशीष के पिता शिक्षक थे। उनकी तमन्ना भी यही थी कि बेटा प्रशासनिक सेवा में जाए और समाज में बड़े पैमाने पर बदलाव लाए। पिता की दिली इच्छा पूरी करने के लिए आशीष ने प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से की। इसके बाद वे कानपुर आ गए। सीएसजेएम यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ आर्ट्स में दाखिला लिया और सफर पर बढ़ चले।
करियर...
यूपीएससी में सफलता हासिल करने के बाद उनके जीवन के वास्तविक सफर की शुरुआत 30 अगस्त 2010 से हुई। जूनियर स्कैल में उनकी ट्रेनिंग की शुरुआत हुई और 12 जुलाई 2012 तक ट्रेनिंग चलती रही। 6 जून 2011 को उन्हें कटनी में असिस्टेंट कलेक्टर बनाया गया। 6 अक्टूबर 2013 तक वे इसी पद पर तैनात रहे। इसके बाद बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित अनुविभाग में एसडीएम के रूप में एक साल सेवाएं दीं। फिर आई वह घड़ी, जब उनकी मंजिल साफ दिखाई देने लगी। 7 अक्टूबर 2013 को इंदौर में जिला पंचायत सीईओ का पद संभाला।
इस दौरान इंदौर जिले के गांवों को उन्होंने बखूबी समझा और ग्रामीणों के हित में काम किए। 28 फरवरी 2016 तक उन्होंने खुद को गांवों से ऐसा जोड़ा कि हर विषय, समस्याएं खुद समाधान बनती चली गईं और इंदौर ग्रामीण जिला देश का दूसरा 'खुले में शौच से मुक्त' (ODF) जिला बना। इसके बाद वे बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन पहुंचे। यहां पहले सिंहस्थ में अपर आयुक्त के रूप में सेवाएं दीं और फिर नगर निगम के कमिश्नर का पद संभाला और 20 जून 2017 तक शहर की सूरत बदलने की दिशा में काम किया।
मालवा की मिट्टी में ही देवास से रूबरू
मालवा की मिट्टी को समझने के दौरान ही आशीष सिंह पहली बार 21 जून 2017 को देवास कलेक्टर बने। वे मालवा की मौलिक समस्याओं से रूबरू हो चुके थे। यही कारण रहा कि करीब 12 माह की देवास में पदस्थापना के दौरान विकास की योजनाओं को तेज गति दी। इसके बाद 1 मई 2018 को देवास में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ। 2 मई 2018 से 5 मई 2020 तक उन्होंने इंदौर में नगरीय निकाय में कमिश्नर की भूमिका भी निभाई और इंदौर को दो बार स्वच्छता में देश में नंबर एक बनाया। बिना किसी शासकीय खर्च के गीले कचरे के निबटान के लिए सीएनजी बनाने का गोवर्धन प्लांट और सूखे कचरे का निगम को आय देने वाला प्लांट देश में पहली बार उनके द्वारा लगाया गया। जिसकी तारीफ इस बार संसद के बजट में भी की गई।
बाबा ने फिर बुलाया, कोरोना की चुनौतियां कीं पार
उज्जैन में नगर निगम के कमिश्नर के पद संभालने के करीब चार साल बाद बाबा महाकाल की नगरी में आशीष फिर 5 मई 2020 को पहुंचे। कलेक्टर के रूप में उन्होंने यहां करीब तीन साल 5 अप्रेल 2023 तक उन्होंने कई ऐसे काम किए, जिनके लिए लोग उन्हें हमेशा याद रखेंगे। यह वह दौर था, जब कोरोना ने देश में धमक दी थी। देश में मौतों का दौर था। उज्जैन में इस चुनौती के बीच आशीष सिंह ने कई कीर्तिमान बनाए। यह वह दौर था, जब लोग कोरोना काल में एक-दूसरे की मदद से भी कतराते थे। ऐसे में डॉक्टरों के साथ अधिकारी भी लोगों का सहारा बने। इसी दौरान कलेक्टर आशीष सिंह ने उज्जैन के बड़नगर तहसील में लोगों की मदद के लिए कई सराहनीय कार्य किए और उन्हें बेहतर इलाज की सुविधा दिलाई। अस्पताल की स्थापना भी कराई।
प्रोजेक्ट महाकाल लोक
इसी दौर में उज्जैन में महाकाल परिसर प्रोजेक्ट का 78 करोड़ का काम शुरू ही हुआ था। कलेक्टर आशीष सिंह ने प्रोजेक्ट की संभावना को पहचानकर जुलाई 2020 में काम को नए तरीके से रिडिजाइन किया और स्मार्ट सिटी के शेष बचे पूरे फंड का उपयोग कर 47 हेक्टेयर में 1100 करोड़ के महाकाल लोक के स्वरूप की योजना तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन स्थानीय मंत्री डॉक्टर मोहन यादव की गाइडलाइन में टीम को दी। अपने अनुभव और प्रशासनिक गुणों के साथ बखूबी महाकाल लोक का निर्माण और मात्र 1 साल में रुद्रसागर का पुनरुद्धार कर उसे बारहमासी बनाना आशीष की बड़ी उपलब्धि रही।
इंदौर में कचरे का पहाड़ का निपटारा
इंदौर में नगर निगम आयुक्त रहते आशीष ने देवगुराड़िया के 13 लाख टन कचरे के पहाड़ का निपटारा किया। शहर के बायपास रोड पर देवगुराड़िया क्षेत्र के करीब 100 एकड़ में फैले ट्रैंचिंग ग्राउंड में 40 साल से कचरा जमा था। इसके लिए 17 अर्थ मूविंग मशीनें किराए पर लीं और 8-8 घंटों की दो पालियों में 150-150 मजदूरों की मदद से चार माह तक अभियान चलाया। रसायनिक विधि से उपचार कराया और हानिकारक तत्व नष्ट होने के बाद 90 एकड़ में पौधे लगवाए। बाकी 10 एकड़ जगह में बगीचे और बच्चों के खेलने के लिए सुविधाएं विकसित करने की योजना तैयार की।साथ ही इंदौर के प्रसिद्ध 56 दुकान को नया आकार दिया
कौन बनेगा करोड़पति में आशीष सिंह ने जीते थे 12.5 लाख
आशीष सिंह 'कौन बनेगा करोड़पति' की हॉट सीट पर भी बैठ चुके हैं। इंदौर शहर ने जब स्वच्छता की हैट्रिक लगाई थी, तब आशीष सिंह वहां निगम कमिश्नर थे। इसके बाद उन्हें KBC के कर्मवीर ऐपिसोड में हॉट सीट पर बैठने का मौका मिला था। शो में उन्होंने साढ़े 12 लाख रुपए जीते थे।
राजधानी भोपाल की बागडोर संभाली और फिर इंदौर में हो गए तैनात
आशीष सिंह को सरकार ने पसंद किया और 6 अप्रेल 2023 को उन्हें भोपाल जिले की कमान थमा दी। 9 माह के छोटे कार्यकाल के बाद मोहन सरकार ने उन्हें वापस मालवा की धरती पर इंदौर कलेक्टर बनाया। वे पांच जनवरी से इंदौर में हैं।
पढ़ते और सुनते हैं गजल
आशीष सिंह को गजल सुनना और शायरी पढ़ना बेहद पसंद है। वे टेनिस का भी शौक रखते हैं।
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