संभागीय अपर आयुक्त IAS जमुना भिड़े का 20 करोड़ की जमीन का विवादित आदेश, इंदौर कलेक्टर ने अपील के दिए निर्देश

रंगवासा राऊ तहसील की सरकारी जमीन वर्ष 1968- 1969 में गणेश सामूहिक कृषि संस्थान को खेती के लिए दी गई थी। इसके बाद संस्थान ने 2003-04 में 18 सदस्यों के बीच में जमीन का बंटवारा कर लिया और इसे तहसीलदार से रजिस्टर्ड करा लिया।

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Sanjay gupta
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IAS Jamuna Bhide
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इंदौर संभाग में पदस्थ 2014 बैच की प्रमोटी IAS व अपर आयुक्त जमुना भिड़े के विवादित आदेश के खिलाफ अब इंदौर प्रशासन अपील करने जा रहा है। यह मामला रंगवासा की सरकारी एक हेक्टेयर जमीन से जुड़ा है, जिसकी मौजूदा कीमत 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। 

सरकारी बेचने की मंजूरी दे दी अपर आयुक्त ने

रंगवासा राऊ तहसील की सरकारी जमीन वर्ष 1968- 1969 में गणेश सामूहिक कृषि संस्थान को खेती के लिए दी गई थी। इसके बाद संस्थान ने 2003-04 में 18 सदस्यों के बीच में जमीन का बंटवारा कर लिया और इसे तहसीलदार से रजिस्टर्ड करा लिया।

इसके बाद पांच सदस्यों ने समूह बनाकर तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी. के समय इस जमीन की बिक्री की मंजूरी मांगी। पट्‌टे पर दी गई जमीन पर बिक्री के लिए भू राजस्व संहिता धारा 165 (7) के तहत कलेक्टर की मंजूरी जरूरी होती है, लेकिन कलेक्टर ने इस मंजूरी को खारिज कर दिया।

इसके बाद ये फाइल अपर आयुक्त जमुना भिड़े की कोर्ट में लगी, जिसमें से दो को उन्होंने खारिज किया और तीन फाइल को मंजूरी दे दी। बाद में एक को खुद ही संज्ञान लेकर मंजूरी निरस्त कर दी और दो फाइल, जिसमें एक हेक्टेयर जमीन और सात पक्षकार थे, उसकी मंजूरी बनी रहने दी। 

कलेक्टर के आदेश को गलत बताया था

भिड़े ने इस आदेश में कहा है कि अधीनस्थ कोर्ट (कलेक्टर) का आदेश गलत है, इसमें कहा गया है कि जमीन बिकने पर भूमिहीन हो जाएंगे। जबकि वह इस जमीन को बेचकर अन्य जमीन खरीदेंगे और यह जमीन पथरीली है और यहां खेती नहीं हो सकती है, पक्षकारों को जीवन भरण पोषण में समस्या आ रही है।

बेचने की मंजूरी दी जाती है, बशर्ते पक्षकार चेक से राशि ले और इस राशि से अन्य जगह पर तीन माह के भीतर जमीन ले। वहीं जिनकी फाइल कलेक्टर के साथ अपर आयुक्त के यहां से नामंजूर हुई वह हाईकोर्ट चले गए हैं। हाईकोर्ट ने एक केस में कहा है कि अधीनस्थ स्तर पर फिर से पक्षकार को सुनकर फैसला लिया जाए।

कलेक्टर के संज्ञान में आया ऑर्डर, दिए अपील के आदेश

यह आदेश भिड़े ने 5 जनवरी 2024 को जारी किया (इसी दिन इंदौर कलेक्टर बदले थे और आशीष सिंह ने रात को ज्वाइन किया था। केस की समीक्षा के दौरान यह मामला कलेक्टर के सामने आया। कलेक्टर ने पट्‌टों की शर्तों को देखने के बाद इस मामले में विधिक सलाह ली।

विधिक सलाह में आया कि जमीन सरकारी है और यदि पट्‌टे पर जरूरत नहीं रह गई है तो शासन को यह जमीन वापस होना चाहिए यह शासकीय जमीन है। इसके बाद कलेक्टर ने अब जमुना भिड़े के आदेश के खिलाफ राजस्व बोर्ड में अपील करने के आदेश दे दिए हैं।

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