संभाग इंदौर में पदस्थ बैच 2014 की प्रमोटी IAS व अपर आयुक्त जमुना भिड़े के 20 करोड़ से अधिक कीमत की जमीन पर हुए विवादित आदेश से सीधा फायदा इस क्षेत्र में सक्रिय भूमाफिया को हुआ है। उन्होंने यहां पर पट्टा धारकों से यह जमीन 4- 4 लाख रुपए में लेकर अवैध क़ॉलोनी काटकर बेचना शुरू कर दिया है।
उधर, अब कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश के बाद रिवेन्यू बोर्ड ग्वालियर में भिड़े के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने की तैयार हो गई है, जो गुरुवार को लगेगी।
इन भूमाफिया ने यह किया यहां खेल
राऊ रंगवासा की जिस जमीन का यह आदेश है, यहां पट्टाधारी किसानों से भूमाफियाओं द्वारा 4- 4 लाख रुपए में जमीन खरीदने की खबर है। इसके बाद किसानों के जरिए इन्होंने खेल करते हुए यह याचिका पहले कलेक्टर के पास लगाई, लेकिन खेल वहां नहीं जमा और तत्कालीन कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने जमीन बिक्री की मंजूरी खारिज कर दी।
इसके बाद अपर आयुक्त के पास केस लगा और उन्होंने पांच फाइल में से तीन में मंजूरी दे दी, फिर एक की मंजूरी खारिज कर दी और दो की बनी रहने दी। इसमें एक हेक्टेयर जमीन को बेचने की मंजूरी पट्टा धारकों को मिल गई। बाकी तीन मामलों में हाईकोर्ट में केस लगा है।
यह कर रहे हैं जमीन पर खेल
वहीं किसानों से जमीन का सौदा करने के बाद यहां पर राहुल तंवर, हेमचंद मितले, शिवा गारी, राजेश ठाकुर व अन्य द्वारा मिलीभगत कर अवैध तौर पर प्लाट काटकर जमीन का बेचा जा रहा है। यह पूरी जमीन 18 पट्टा धारकों के पास है। जानकारी के अनुसार यह कुल जमीन 87 एकड़ के करीब है, जो 1968-69 में गणेश सामूहिक कृषि संस्थान को खेती के लिए दी थी।
इसके बाद संस्थान ने यह जमीन आपस में बांटकर 2003- 04 में तहसीलदार से बटांकन करा लिया। इसके बाद फिर 2023 में इन्होंने जमीन बेचने का खेल शुरू किया और कलेक्टर के पास आवेदन लगाए। जबकि पट्टा धारकों को मिली जमीन गुजर- बसर करने के लिए खेती के लिए देय थी। इसमें से एक हेक्टेयर जमीन बेचने की मंजूरी आईएएस अपर आयुक्त जमुना भिड़े ने जारी कर दी।
कलेक्टर के आदेश को गलत बताया था
भिडे ने इस आदेश में कहा है कि अधीनस्थ कोर्ट (कलेक्टर) का आदेश गलत है, इसमें कहा गया है कि जमीन बिकने पर भूमिहीन हो जाएंगे। जबकि वह इस जमीन को बेचकर अन्य जमीन खरीदेंगे और यह जमीन पथरीली है और यहां खेती नहीं हो सकती है, पक्षकारों को जीवन भरण पोषण में समस्या आ रही है।
बेचने की मंजूरी दी जाती है, बशर्ते पक्षकार चेक से राशि ले और इस राशि से अन्य जगह पर तीन माह के भीतर जमीन ले। वहीं जिनकी फाइल कलेक्टर के साथ अपर आयुक्त के यहां से नामंजूर हुई वह हाईकोर्ट चले गए हैं। हाईकोर्ट ने एक केस में कहा है कि अधीनस्थ स्तर पर फिर से पक्षकार को सुनकर फैसला लिया जाए।
कलेक्टर के संज्ञान में आया आर्डर, दिए अपील के आदेश
यह आदेश भिड़े ने 5 जनवरी 2024 को जारी किया (इसी दिन इंदौर कलेक्टर बदले थे और आशीष सिंह ने रात को ज्वाइन किया था)। केस की समीक्षा के दौरान यह मामला कलेक्टर के सामने आया। कलेक्टर ने पट्टों की शर्तों को देखने के बाद इस मामले में विधिक सलाह ली।
विधिक सलाह में आया कि जमीन सरकारी है और यदि पट्टे पर जरूरत नहीं रह गई है तो शासन को यह जमीन वापस होना चाहिए यह शासकीय जमीन है। इसके बाद कलेक्टर ने अब जमुना भिड़े के आदेश के खिलाफ राजस्व बोर्ड में अपील करने के आदेश दे दिए थे।
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