एमपी के IAS अफसरों की संपत्ति इतनी कि सैलरी से ज्यादा उनसे कमा रहे, सबकी रुचि जमीन

हाल ही में मध्‍य प्रदेश के आईएएस अधिकारियों द्वारा दायर अचल संपत्ति के विवरणों ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। इनमें कई अधिकारी ऐसे हैं जिनकी प्रॉपर्टी से सालाना आय लाखों में है

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Sourabh Bhatnagar
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मध्यप्रदेश के आईएएस अधिकारी सिर्फ प्रशासनिक कार्यों में ही नहीं, बल्कि संपत्ति के मामले में भी पीछे नहीं हैं। हाल ही में सामने आए अचल संपत्ति विवरणों से पता चलता है कि कई वरिष्ठ अधिकारी बड़े पैमाने पर भूमि और अन्य प्रॉपर्टी के मालिक हैं। एक समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक, मुख्य सचिव अनुराग जैन की संपत्ति मध्यप्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी फैली हुई है।

विवेक अग्रवाल और मनीष सिंह के पास इतनी संपत्तियां

केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्त विवेक अग्रवाल के पास 65 एकड़ कृषि भूमि के साथ दो मकान, एक फ्लैट और व्यावसायिक संपत्तियां हैं, जिससे उन्हें सालाना करीब 70 लाख रुपए की आय होती है। इसी तरह, मनीष सिंह के पास 102 एकड़ भूमि है, जो उन्होंने संयुक्त हिंदू परिवार (एचयूएफ) के तहत घोषित की है। उन्होंने अपनी संपत्तियों में टॉकीज और होटल जैसी व्यावसायिक संपत्तियों का भी उल्लेख किया है, जो उनके आय स्रोतों की विविधता को दर्शाता है।

संपत्ति से हो रही है लाखों की सालाना कमाई

  • वित्तीय वर्ष के अंत में जमा किए गए विवरण बताते हैं कि मध्यप्रदेश कैडर के कई आईएएस अफसरों की प्रॉपर्टी से ही लाखों की सालाना कमाई हो रही है। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे को संपत्ति से 40 लाख रुपए, जबकि वन विभाग के एसीएस अशोक वर्णवाल को 25 लाख रुपए सालाना आय होती है। 
  • इसके अलावा ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई को उनकी संपत्तियों से हर साल लगभग 3.5 लाख रुपए की आय होती है। वहीं, खेल और युवा कल्याण विभाग के एसीएस मनु श्रीवास्तव को संपत्ति से 6 लाख रुपए की सालाना आमदनी होती है। उच्च शिक्षा विभाग के एसीएस अनुपम राजन की संपत्तियों से उन्हें करीब 5 लाख रुपए प्रति वर्ष का लाभ होता है।
  • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव संदीप यादव को उनकी प्रॉपर्टी से 90 हजार रुपए की वार्षिक आय प्राप्त होती है। हालांकि यह आंकड़ा अन्य अधिकारियों की तुलना में कम है, लेकिन यह दर्शाता है कि ज्यादातर अधिकारी संपत्ति से कुछ न कुछ आय जरूर प्राप्त कर रहे हैं।

कई वरिष्ठ अफसरों के नाम पर नहीं दर्ज कोई संपत्ति

जहां कुछ आईएएस अफसरों ने अपनी संपत्तियों से जुड़ी आय का स्पष्ट ब्यौरा दिया है, वहीं कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के नाम पर किसी भी प्रकार की संपत्ति दर्ज नहीं है। 1992 बैच के पंकज अग्रवाल, 1994 बैच की रश्मि अरुण शमी और मनीष रस्तोगी, तथा 1995 बैच के सचिन सिन्हा के नाम पर किसी प्रकार की अचल संपत्ति का उल्लेख नहीं किया गया है।

यह जानकारी उन अधिकारियों की ओर से दिए गए वार्षिक संपत्ति विवरण के आधार पर सामने आई है, जिन्हें हर साल अनिवार्य रूप से सरकार को अपनी अचल संपत्तियों का विवरण देना होता है।

अचल संपत्ति की निगरानी क्यों है जरूरी

यह रिपोर्ट तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब संसद में डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) की स्थायी समिति की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार 2024 में देश के 91 आईएएस अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश नहीं किया। समिति ने सख्त सिफारिश की है कि जिन अधिकारियों ने संपत्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं किया है, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।

यह स्थिति सरकारी पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर गंभीर सवाल उठाती है। अगर उच्च पदों पर बैठे अधिकारी खुद नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो आम जनता और प्रशासनिक व्यवस्था पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है।

मध्यप्रदेश के इन अफसरों ने भी नहीं दिया संपत्ति का विवरण

मध्यप्रदेश कैडर के लगभग 10% आईएएस अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का विवरण सरकार को नहीं सौंपा है। इस सूची में कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं जिनमें वीएल कांताराव, नीलम शमी राव, अनिरुद्ध मुकर्जी, दीप्ति गौड़ मुकर्जी, उमाकांत उमराव, कैरोलिन खोंगवार देशमुख, ई-रमेश कुमार और नवनीत मोहन कोठारी जैसे नाम प्रमुख हैं।

इन अधिकारियों द्वारा संपत्ति की जानकारी न देना न केवल नियमों की अनदेखी है, बल्कि यह जनता के सामने पारदर्शिता बनाए रखने की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने जैसा भी है।

यह आवश्यक है कि सरकार इस दिशा में सख्त कदम उठाए ताकि आईएएस अधिकारियों की संपत्तियों को लेकर पूरी पारदर्शिता बनी रहे और प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठा पर कोई आंच न आए। जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि संपत्ति का हर विवरण समय पर और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाए।

भोपाल बनी आईएएस अफसरों की पसंदीदा निवेश जगह

मध्यप्रदेश कैडर के 1994 बैच सहित कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की संपत्ति का ब्यौरा सामने आया है, जिसमें यह साफ देखा जा सकता है कि अधिकांश अधिकारियों ने भोपाल में जमीन या फ्लैट में निवेश किया है। यहां न केवल वे रहते हैं बल्कि शहर को निवेश के दृष्टिकोण से भी प्राथमिकता दी जा रही है।

संजय कुमार शुक्ला के पास कई राज्यों में संपत्ति

नगरीय विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार शुक्ला के पास देश के कई हिस्सों में संपत्तियां हैं। उनके नाम झारखंड के कोडरमा में 2178 वर्ग फीट कृषि भूमि, नोएडा की ईको सिटी में एक फ्लैट, मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के डेहरिया खुर्द में 0.06 हेक्टेयर कृषि भूमि और भोपाल के अहमदपुरकला में 0.075 हेक्टेयर तथा प्रेमपुरा में 1001.05 वर्ग मीटर जमीन दर्ज है।

विवेक अग्रवाल की संपत्तियां कई राज्यों में फैली

वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्यरत विवेक अग्रवाल देश के विभिन्न हिस्सों में कृषि भूमि और आवासीय संपत्तियों के मालिक हैं। उनके नाम पंजाब के भटिंडा (धुनीके) में 20 एकड़, फरीदकोट में 8 एकड़, बाड़ी में 12 एकड़, राजस्थान के श्रीगंगानगर में 20 एकड़ और हरियाणा के सिरसा में 2.5 एकड़ कृषि भूमि है। इसके अलावा उनके पास इंदौर में एक फ्लैट जिसकी कीमत लगभग 26 लाख रुपए है, भोपाल के प्रेमपुरा में 6000 वर्ग फीट का प्लॉट और बरखेड़ी खुर्द में 971.52 वर्ग मीटर का मकान है जिसकी कीमत 1.89 करोड़ रुपए आंकी गई है।

पीएमओ के अधिकारी हरिरंजन राव के पास भोपाल और इंदौर में संपत्ति

प्रधानमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर तैनात हरिरंजन राव ने इंदौर और भोपाल में संपत्ति में निवेश किया है। उनके पास इंदौर में 44.77 लाख रुपए मूल्य का एक फ्लैट और भोपाल के सफायर पार्क में 64 लाख रुपए की लागत वाला एक घर है।

पल्लवी जैन गोविल की दिल्ली और भोपाल में अचल संपत्ति

पेट्रोलियम मंत्रालय में डीजी हाइड्रोकार्बन के रूप में कार्यरत पल्लवी जैन गोविल के पास दिल्ली के ऋषभ नगर में एक मकान है। इसके साथ ही भोपाल के तुलसी टॉवर में उनका फ्लैट है जिसकी कीमत 1.63 करोड़ रुपए बताई गई है।

इस संपत्ति विवरण से स्पष्ट होता है कि भोपाल, इंदौर और देश के अन्य प्रमुख शहरों में आईएएस अधिकारियों का निवेश लगातार बढ़ रहा है। 

NOTE- खबर एक समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट के आधार पर लिखी गई है।

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