धारा बनकर बहे पार्थ जायसवाल, एक साधारण परिवार से IAS बनने तक की प्रेरक दास्तां

एक मध्यमवर्गीय परिवार से आईएएस बने पार्थ जायसवाल ने विपरीत परिस्थितियों को चुनौती दी। पहले प्रयास में ही UPSC पास कर मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस बने। खेलों के प्रति उत्साही, पार्थ की कार्यशैली पारदर्शी और समर्पित है। 

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Photograph: (THESOOTR)

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सूझता न कूल किनारा है, ये बीच नदी की धारा है,
ले लील भले ही धार मुझे, लौटना नहीं स्वीकार मुझे। 

रामधारी सिंह दिनकर की ये पंक्तियां मध्यप्रदेश कैडर के IAS पार्थ जायसवाल के जीवन पर सटीक बैठती हैं। यह कहानी है एक ऐसे शख्स की, जिसने विपरीत परिस्थितियों को चुनौती मानकर न सिर्फ़ अपने सपनों को हकीकत में बदला, बल्कि कई युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गया। मध्यमवर्गीय परिवार से निकलकर, जहां संसाधनों की कमी थी, लेकिन हौसले की कोई कमी नहीं थी, पार्थ ने साबित किया कि अगर इरादे पक्के हों तो कोई मंजिल असंभव नहीं।

राजस्थान के बांदीकुई में मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे पार्थ के पिता छोटा सा मेडिकल स्टोर चलाते। मां गृहणी थीं। दो भाइयों के इस परिवार में हालात कभी आसान नहीं रहे। पार्थ के माता-पिता ने अपने बच्चों के लिए ऐसा माहौल बनाया, जहां सपने देखने की आजादी थी। पार्थ ने अलवर और जयपुर में शुरुआती पढ़ाई पूरी की, लेकिन उनके मन में कुछ बड़ा करने की चाह थी। बेहतर शिक्षा और भविष्य की तलाश में उन्होंने अपने छोटे से शहर को अलविदा कहा और दिल्ली का रुख किया। यह साहसिक कदम था, जो उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

पहले प्रयास में IAS बने, मेहनत का जादू

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दिल्ली पहुंचकर पार्थ ने 2013 में IIT दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की। उनका सपना इंजीनियर बनना नहीं, बल्कि देश की सेवा करना था। सिविल सेवा की तैयारी में उन्होंने दिन-रात एक कर दिया। उनकी मेहनत और लगन का नतीजा यह हुआ कि पहले ही प्रयास में उन्होंने UPSC की परीक्षा पास करके IAS बनने का गौरव हासिल किया। उन्हें मध्यप्रदेश कैडर अलॉट हुआ। पार्थ अपनी सफलता पर बात करते हुए कहते हैं, मेरे माता-पिता मेरे लिए चट्टान की तरह खड़े रहे। चाहे कितने ही तूफान आए, उन्होंने मुझे हमेशा साहस और आत्मविश्वास दिया। 

स्क्वैश और वॉलीबॉल पसंदीदा खेल

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पार्थ का व्यक्तित्व केवल किताबों और डेस्क तक सीमित नहीं है। वे उत्साही खेल प्रेमी हैं और मानते हैं कि स्वस्थ जीवन का राज खेलों में छिपा है। स्क्वैश और वॉलीबॉल उनके पसंदीदा खेल हैं, जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त रखते हैं। इसके अलावा, प्रकृति के प्रति उनका गहरा लगाव है। पर्वतारोहण उनके लिए एडवेंचर एक्टिविटी है। वे कहते हैं कि ऐसे प्रकल्प हमें प्रकृति से जोड़ते हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम 

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IAS बनने के बाद पार्थ ने ग्रामीण विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को अपनी प्राथमिकता बनाया। अपने इसी मिशन के तहत उन्होंने किताबों के मनमाने रेट वसूलने वालों पर कार्रवाई की। वे समय समय पर सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने भी पहुंच जाते हैं। उनकी कार्यशैली पारदर्शी और समयबद्ध है। 
जन सुनवाई के माध्यम से वे जनता की समस्याओं को सुनते और उनका त्वरित समाधान करने का प्रयास करते हैं। पार्थ युवाओं को प्रशासनिक सेवाओं में आने के लिए प्रेरित करते हैं और अपने सहकर्मियों को भी पारदर्शिता और समर्पण के साथ काम करने की सलाह देते हैं।

युवाओं के लिए संदेश... सूरज की तरह जलें

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पार्थ का मानना है कि सफलता का शॉर्टकट नहीं होता। वे कहते हैं, यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, तो सूरज की तरह जलें। उनकी यह बात युवाओं को कड़ी मेहनत, धैर्य और लगन के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है। पार्थ का जीवन इस बात का उदाहरण है कि साधारण परिस्थितियों से शुरू होकर भी असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।

कॅरियर एक नजर...

  • नाम: पार्थ जायसवाल
  • जन्म दिनांक: 19 नवम्बर 1991
  • जन्म स्थान: राजस्थान 
  • एजुकेशन: B.Tech.
  • बैच: RR: 2015 (मध्यप्रदेश)

पदस्थापना

4 जून 2025 की स्थिति पार्थ जायसवाल छतरपुर कलेक्टर हैं। इससे पहले वे छिंदवाड़ा, श्योपुर, सिवनी में जिला पंचायत सीईओ रह चुके हैं। उन्होंने आईएएस बनने के बाद सबसे पहले अस्सिटेंट कलेक्टर बालाघाट ज्वाइन किया था। वे उमरिया और शाजापुर जिले में एसडीओ भी रहे।

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