अब अवैध कॉलोनाइजरों पर सख्ती का रास्ता खुलता नजर आ रहा है। शहरों में तेजी से बढ़ती अवैध कॉलोनियों के कारण हो रही मुश्किलों को देखते हुए सरकार के तेवर बदलते दिख रहे हैं। गुरुवार 4 जुलाई को विधानसभा में विधायकों के सवालों पर जवाब के दौरान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी अवैध कॉलोनियों को बड़ी समस्या माना है। मंत्री ने अवैध कॉलोनियों के पीछे एक नेक्सस खड़ा होने की बात भी कही है। अवैध कॉलोनियों पर मंत्री के जवाब को आने वाले दिनों में कॉलोनाइजरों पर बड़ी कार्रवाई के संदर्भ के रूप में भी देखा जा रहा है।
जितने बड़े शहर उतनी ज्यादा अवैध कॉलोनियां
प्रदेश के करीब 25 सौ अवैध और अनाधिकृत कॉलोनियां हैं। इनमें से 16 सौ से ज्यादा अवैध-अनाधिकृत कॉलोनियां राजधानी भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर और उज्जैन में है। यानी जितने बड़े शहर उतनी ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अवैध कॉलोनी के लिए टीएंडसीपी, नगरीय निकायों के साथ ही डायवर्सन के लिए काफी शुल्क जमा करानी होती है। इसी वजह से वैध और रेरा-टीएंडसीपी रजिस्टर्ड कॉलोनियों में प्लॉट-मकान मंहगे मिलते हैं। वहीं अनाधिकृत और अवैध कॉलोनी के लिए कॉलोनाइजर को रुपए और दस्तावेजी कार्रवाई का झंझट नहीं होता। इसलिए वे कम कीमत पर बिना मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए सस्ते भूखंड और मकान बेंच देते हैं। लोग भी इसे अनदेखा कर देते हैं और बाद में यही जी का जंजाल बन जाता है।
अवैध कॉलोनियां प्रदेश में बड़ी समस्या
गुरुवार को विधानसभा में भाजपा विधायक हरदीप सिंह डंग ने रतलाम जिले के नगरीय निकायों में अवैध कॉलोनियों की समस्याओं को उठाया। उन्होंने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के निर्देश और कार्रवाई पर सवाल किया। जिसके जवाब में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा अवैध कॉलोनियां प्रदेश में बड़ी समस्या हैं। इनके पीछे पूरा नेक्सस काम कर रहा है। प्रदेश में अब और अवैध कॉलोनियां न बनें इसके लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर कानून बनाए जा रहे हैं। वहीं अवैध कॉलोनी को वैध करने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि अवैध और अनाधिकृत कॉलोनी में अंतर है। जो कॉलोनी ग्रीन बेल्ट या सरकारी जमीन पर बनी हैं उन्हें वैध नहीं किया जा सकता। वहीं नियमों को तोड़कर बनाई गई कॉलोनियां अनाधिकृत होती हैं। इनमें रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिलें इसके लिए विभाग परीक्षण करा रहा है। इन कॉलोनियों में रहने वाले लोग भी हमारे प्रदेश के निवासी और वोटर हैं इसलिए वे भी हमसे विकास की उम्मीद रखते हैं।
कॉलोनाइजरों में अब खलबली मचना तय
मंत्री विजयवर्गीय के विधानसभा में दिए इस जवाब से प्रदेश में अवैध और अनाधिकृत कॉलोनियों का भेद अब और साफ हो गया है। यानी अब तक अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणाएं सिरे से खारिज हो गई हैं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। तब से अवैध कॉलोनी विकसित करने वाले राहत में थे। लोगों को बिना जनसुविधा उपलब्ध कराए प्लॉट-मकान बेंचकर मुनाफा कमाने वाले ऐसे कॉलोनाइजरों में अब खलबली मचना तय है। गुरुवार को विधायक राजेन्द्र पांडेय ने भी अवैध कॉलोनी का मुद्दा उठाया। उन्होंने अवैध कॉलोनाइजरों पर केस दर्ज होने के बाद भी कार्रवाई न होने पर सवाल किया। इस पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा पूर्व में तय अवधि के बाद अनाधिकृत कॉलोनी काटने वालों पर कार्रवाई करेंगे। इसके लिए भोपाल से अधिकारी भेजकर भी जांच कराएंगे। अवैध कॉलोनियों पर मंत्री की संजीदगी से अवैध कॉलोनाइजरों पर बड़ी कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।
अवैध और अनाधिकृत कॉलोनियों में भी बड़ा अंतर
प्रदेश में वैध और अधिकृत कॉलोनियों का आंकड़ा करीब 7 हजार है। जबकि अवैध और अनाधिकृत कॉलोनियों की संख्या 25 सौ से ज्यादा है। अवैध और अनाधिकृत कॉलोनियों में भी बड़ा अंतर है। अवैध कॉलोनी वे हैं जो सरकारी भूमि या ग्रीन बेल्ट पर मनमाने तरीके से काट दी गई हैं। यानी कॉलोनाइजर ने गैरस्वामित्व की भूमि पर भी प्लॉट बेंचे हैं। जबकि अनाधिकृत की श्रेणी में वे कॉलोनियां है जो नगरीय निकायों की अनुमति, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से नक्शा स्वीकृति और रेरा में पंजीयन के बिना नियमों को तोड़कर काटी गई हैं।
लोगों को चूना लगाने वाले कॉलोनाइजर मजे में
राजधानी भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन जैसे शहरों में ही अवैध और अनाधिकृत कॉलोनियों की संख्या 16 सौ से ज्यादा है। साल 2022-23 के अनुसार भोपल में 576, इंदौर में 297, ग्वालियर में 490, जबलपुर में 130 और उज्जैन में 120 अनाधिकृत और अवैध कॉलोनी हैं। पिछले साल नगरीय निकायों ने प्रदेश में 7 हजार कॉलोनियों को कार्रवाई के लिए चिन्हित किया था। जिनमें से अब तक केवल 300 कॉलोनियों पर ही थानों के केस दर्ज कराए गए हैं। वहीं 60 फीसदी से ज्यादा की जांच तक पूरी नहीं हो पाई है और लोगों को चूना लगाने वाले कॉलोनाइजर मजे में हैं। यानी प्रदेश की आधी अवैध और अनाधिकृत कॉलोनियां तो बड़े शहरों में ही हैं। इन शहरों में नगर निगम जैसी बड़े निकाय होने के बावजूद मनमाने तरीके से कॉलोनियां विस्तार ले रही हैं। इससे अवैध और अनाधिकृत कॉलोनियों पर कसावट में नगरीय निकायों की चूक साफ नजर आती है। विधानसभा में मामला पहुंचने पर अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजरों पर क्या कार्रवाई करता है इस पर सभी की नजर होगी।
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