इंदौर–उज्जैन रोड के बारोली टोल पर अवैध वसूली, लोकल आईडी दिखाया फिर भी काट लिया टोल

घटना शनिवार रात लगभग साढ़े 10 बजे की है। टोल से लगभग दो किलोमीटर दूर के गांव में रहने वाले एक व्यक्ति अपनी कार से टोल से गुजरे। उन्होंने अपना लोकल आईडी (वोटर आईडी) टोल पर दिखाया।

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Vishwanath Singh
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इंदौर–उज्जैन रोड़ के टोल से अगर आप गुजर रहे हैं तो सावधान रहें आपके साथ अवैध वसूली हो सकती है। यह अवैध वसूली टोल टैक्स के नाम पर बारोली टोल प्लाजा पर हो रही है। टोल के आसपास के 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को टोल टैक्स में रियायत का प्रावधान है, लेकिन यह प्रावधान केवल नियमों तक ही सीमित है। बारोली टोल पर उनसे से भी टोल के 35 रुपए वसूले जा रहे हैं। यह कलाकारी कोई और नहीं, बल्कि टोल पर बैठे कर्मचारी ही दिखा रहे हैं। 

लोकल आईडी दिखाया फिर भी ले लिया टोल

घटना शनिवार रात लगभग साढ़े 10 बजे की है। टोल से लगभग दो किलोमीटर दूर के गांव में रहने वाले एक व्यक्ति अपनी कार से टोल से गुजरे। उन्होंने अपना लोकल आईडी (वोटर आईडी) टोल पर दिखाया। इस पर टोल कर्मचारी ने आईडी देखने के बाद पैसे तो नहीं मांगे, लेकिन जब वे घर पहुंचे तो उनके फोन पर टोल की राशि कटने का मैसेज आ गया। जब मैसेज देखा तो पता चला कि आईडी दिखाने के बावजूद उनका टोल कट गया है। असल में रात 10.12 बजे जब वे टोल से गुजरे तक उनका टोल कटा और उसका मैसेज रात 10.17 बजे पर आया। अगर टोल कटने का मैसेज उसी समय आ जाता तो वे उसी समय टोल पर उसको दिखा देते।

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10.12 पर टोल कटा और मैसेज 10.17 पर आया

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 यह है 20 किलोमीटर का नियम

आमतौर पर टोल के आसपास के 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को टोल से गुजरने को लेकर रियायत दी गई है। इसके लिए वे अपना लोकल आई डी (आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लायसेंस आदि) जो कि 20 किलोमीटर के दायरे वाले पते का बना हो उसे टोल पर दिखा सकते हैं। ऐसे में उनसे टोल की राशि नहीं ली जाएगी। इस बारोली टोल से औसतन प्रतिदिन लगभग 7 हजार के करीब वाहन गुजरते हैं। इसमें से लगभग 300 वाहन तो लोकल वाले ही रहते हैं। इनसे टोल कर्मचारी मौका पाकर इसी तरह की अवैध वसूली करते रहते हैं। बाद में या तो ठगाए वाहन चालक टोल पर लड़ने पहुंचते हैं या फिर विभाग को शिकायत करते हैं। इसके बावजूद विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। 

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टोल कर्मचारी ऐसे करते हैं कलाकारी

इस 20 किलोमीटर की रियायत वाले यात्री वाहनाें से टोल कर्मचारी टोल की राशि वसूलने के लिए एक कलाकारी करते हैं। वे वाहन चालक से उसका लोकल आईडी देखने का बहाना बनाकर उसे लेते हैं। इसके बाद वे आईडी को दोनों तरफ देखते हैं। इसी दौरान वे आईडी पर लिखे पते को पढ़ने का नाटक करते हैं और कम्प्यूटर पर गाड़ी नंबर फीड कर देते हैं। इसके बाद गाड़ी नंबर के आधार पर टोल कट जाता है और गेट खुल जाता है तो वे आईडी कार्ड लौटा देते हैं। वाहन चालक को लगता है कि उसका आईडी देखकर उन्होंने टोल गेट खोल दिया है, जबकि ऐसा होता नहीं है। टोल की राशि कटने का मैसेज भी टोल से गुजरने के लगभग 5 से 7 मिनट के बाद आता है। तब तक वाहन चालक अपने घर पहुंच जाता है। जब बाद में वाहन चालक उस मैसेज को टोल पर जाकर दिखाता है तो कर्मचारी बहाने बनाने लगते हैं और बहस करने लगते हैं।

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शिकायत डिविजनल मैनेजर से की

टाेल राशि कटने के बारे में जब इसकी शिकायत एमपीएसआरडीसी के डिविजनल मैनेजर गगन भंवर से की तो उन्होंने पहले तो ऐसी कोई घटना होने से ही इनकार कर दिया। जब बाद में उन्हें इसके प्रमाण दिए और टोल राशि कटने का मैसेज दिखाया तब कहीं उनके स्वर बदले और बोले कि मैं इसको दिखवाता हूं। ऐसे कैसे हो रहा है।

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आए दिन लगता है जाम

उज्जैन में महांकाल लोक के बनने के बाद से इंदौर-उज्जैन रोड पर ट्रैफिक का दबाव काफी बड़ गया है। ऐसे में शनिवार और रविवार को तो बारोली टोल की हालत यह हो जाती है कि वहां पर वाहनों की लंबी लाइनें लगने लगती हैं। एक वाहन जो लाइन में लगता है वह बमुश्किल 15 मिनट में टोल को पार कर पाता है। यह भीड़ और जाम को टोल पर बैठे कर्मचारी कुसी लगाकर बैठकर देखते रहते हैं, लेकिन वे ना तो जाम खुलवाने के प्रयास करते हैं और ना ही टोल टैक्स लेने के दौरान होने वाली देरी पर कोई प्रयास करते हैं। ऐसे में जाम में वाहन चालक सुबह और शाम परेशान होते रहते हैं। यहां पर लगने वाले जाम की शिकायत आए दिन लोग फोटो और वीडियो के माध्यम से सोशल मीडिया पर करते रहते हैं, लेकिन विभाग के अफसर शनिवार और रविवार को टोल पर झांकने तक नहीं आते हैं।

बायपास के टोल पर भी इसीलिए हुआ था विवाद

पिछले दिनों इंदौर के राऊ–देवास बायपास पर स्थित टोल पर मंत्री समर्थकों ने जमकर तोड़फोड़ कर डाली थी। बताया गया कि आरोपी मारुति 800 कार का टोल नहीं देना चाहते थे। इस पर कार चालक ने फोन पर किसी से बात भी कराई, लेकिन टोल माफ नहीं हुआ तो उन्होंने फोन करके अपने अन्य 10 से 12 साथियों को बुला लिया। उसके बाद टोल के केबिन में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की गई। मामले में टोल कंपनी की तरफ से क्षिप्रा थाने में शिकायत हुई थी। असल में तब भी झगड़ा 20 किलोमीटर के दायरे वाले टोल लोगों को रियायत देने का ही था। जिस कार चालक ने टोल कर्मचारी से बात कराई थी उसके पास घटना के समय अपना लोकल आईडी मौजूद नहीं था। उसने टोल कर्मचारी से कहा भी था कि वह पास के ही गांव का रहने वाला है और रोज काम के सिलसिले में आता जाता रहता है, लेकिन टोल कर्मचारी नहीं माना और बदतमीजी करने लगा।

 

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