नागरिक उपभोक्ता मंच (Citizen Consumer Forum ) ने हाईकोर्ट (High Court ) में जनहित याचिका दायर की है। नागरिक उपभोक्ता मंच और रजत भार्गव (Rajat Bhargava ) के ओर से दायर जनहित याचिका के बारे में अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय (Advocate Dinesh Upadhyay ) ने बताया कि जबलपुर के लिए बनाया गया मास्टर प्लान 2021 में समाप्त हो चुका है। साल 2024 तक कोई भी प्लान लागू नहीं हुआ है। साथ ही 2014 मे 62 गांव नगर निगम की सीमा मे शामिल किए गए थे । उन पर भी मास्टर प्लान लागू नहीं है। आने वाले समय में शहर की सुविकसित संरचना के लिए भी मास्टर प्लान के जल्द लागू होने की बहुत आवश्यकता है।
टेलीग्राम फैक्ट्री को ग्रीन बेल्ट में जोड़ने की मांग
जबलपुर में स्थित बीएसएनएल की टेलीग्राम कंपनी आबंटित जमीन को लेकर लंबे समय से नागरिकों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं इस फैक्ट्री में बड़ी संख्या में पेड़ों के लगे होने के कारण इसे जबलपुर का ऑक्सीजन टैंक माना जाता है। बड़े पैमाने पर नागरिकों के द्वारा दर्ज की गई आपत्ति के बाद राज्य सरकार ने अपने हिस्से की दी गई संपत्ति निगम से वापस ले ली गई है। अब उस जमीन को मास्टर प्लान पर ग्रीन बेल्ट बनाए जाने की मांग की गई है। जिस पर सरकार की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए बताया कि यह मामला सरकार के संज्ञान में है और इस पर यथोचित कार्यवाही भी की जा रही है। इस पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी शासन के द्वारा अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष पेश की जाएगी।
आपत्तियों के इंतजार में रुका हुआ है मास्टर प्लान
जनहित याचिका में जवाब देते हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कहा कि नया मास्टर प्लान पब्लिक कर दिया गया है। इस मास्टर प्लान पर नागरिकों की आपत्तियां बुलाई गई है। साथ ही नागरिकों की प्रतिक्रिया आने के बाद इस पर सुधार कर इसे लागू कर दिया जाएगा।
चार सप्ताह में पेश होगी स्टेटस रिपोर्ट
मामले में सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह मे स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का आदेश किया है। साथ ही मास्टर प्लान कब तक लागू किया जाएगा इसका जबाब भी कोर्ट ने मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।
मास्टर प्लान आखिर क्यों है जरूरी
किसी भी शहर के मास्टर प्लान से यह स्पष्ट होता है कि उस शहर को किस तरह विकसित किया जाएगा। इस विकास में पॉलिटिकल लीडरशिप की मुख्य भूमिका होती है क्योकि शहर में होने वाले विकास के आधार पर उद्योगपति और कारपोरेट कंपनियां शहर में इन्वेस्टमेंट प्लान करते हैं। निवेशक और अन्य शहरों के नागरिक भी यहां प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करते हैं। मास्टर प्लान एक तरह से शहर के विकास का नक्शा होता है और अगर बिना किसी नक्शे के विकास होगा तो शहर की संरचना अस्त-व्यस्त सी नजर आएगी।
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