BHOPAL. मध्यप्रदेश में टोल रोड की लागत पूरी होने के बाद आम जनता से हो रही वसूली पर मंगलवार को विपक्ष ने मोहन सरकार को जमकर घेरा। सरकार ने माना कि प्रदेश में जो 75 टोल सड़कें हैं, उनमें से कई पर 5 गुना से अधिक का टोल वसूला जा चुका है। जावरा- नयागांव टोल रोड पर लागत का अभी तक 5 गुना, भोपाल-देवास पर चार गुना टोल वसूली हो चुकी है।
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने माना टोल वसूली की राशि ज्यादा
इस मुद्दे पर विपक्ष ने विरोध जताया। मामले में प्रश्नकाल में चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल और पंकज उपाध्याय ने सवाल पूछे। जवाब देते हुए लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि टोल वसूली की राशि ज्यादा जरूर है, पर टोल चलाने वालों को लोन पर ब्याज भी चुकाना होता है।
दुर्घटनाओं से ठेकेदार का कोई लेना-देना नहीं
विपक्ष का सवाल था कि अब तक तीन साल में टोल सड़कों में सात हजार मौतें हो चुकी हैं। इसके जबाव में कहा कि कोई भी सरकार नहीं चाहती कि दुर्घटनाएं हों। अच्छी सड़क के कारण वाहनों की गति भी बढ़ती है, इस वजह से भी कई बार दुर्घटनाएं हो जाती हैं। ठेकेदार का दुर्घटना से कोई लेना-देना नहीं होता। दुर्घटना में घायलों का इलाज हो इसके लिए उन्हें 108 वाहन और 1099 टोल फ्री से संबद्ध किया गया है। ठेकेदार का दुर्घटनाओं से कोई लेना देना नहीं है। उनका काम सड़क का मेंटनेंस, गड्डों के भराव का है, ताकि दुर्घटना ना हों।
विधानसभा में सवाल-जवाब
Q. प्रदेश की ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट 17.5% हो गई है जो देश की सर्वाधिक है। केंद्र 2025 तक ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट 4.5% लाना तय किया है।
A. इस बारे में सरकार के पास कोई जानकारी नहीं है।
Q. क्या लेबड़-जावरा टोल रोड पर जनवरी 2024 तक 4 गुना कलेक्शन होने के बाद टोल अवधि पांच साल बढ़ाया गया है?
A. टोल कलेक्शन की अवधि 5 साल बढ़ाकर 27 अप्रैल 2038 की गई है। यह अवधि अनुबंध की धारा 29.1 के अनुसार बढ़ाई गई है। इस धारा में अन्य टोल रोड की टोल अवधि बढ़ाए जाने का उल्लेख नहीं है।
Q. फिजिबिलिटी रिपोर्ट में दिए गए भविष्य के यातायात का संभाग के कमिश्नर द्वारा परीक्षण किया जाता है। इसकी रिपोर्ट दी जाए।
A. परीक्षण की कोई भी नोटशीट नहीं बनाई जाती तथा किसी प्रकार का कोई प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जाता।
Q. अनुबंध की धारा 33.3 में जब विवाद के लिए है तो इस धारा के तहत अकाउंटेंट से प्रमाण पत्र क्यों लिए गए।
A. कोई उत्तर नहीं।
टोल वसूली की राशि ज्यादा जरूर है, पर टोल चलाने वालों को लोन पर ब्याज भी चुकाना होता है।
-राकेश सिंह, लोक निर्माण मंत्री (सदन में)
भोपाल-सीहोर-देवास टोल
- 12 अगस्त 2010 में 426.64 करोड़ रुपए की लागत।
- अभी तक 1342.23 करोड़ रुपए टोल वसूला जा चुका है, जो लागत राशि का 314.60% है।
- 10 साल और वसूला जाएगा।
लेबड़-जावरा टोल रोड
- 4 जून 2011 में 589.31 करोड़ लागत आई। अब तक 1826.33 करोड़ रुपए टोल वसूला जा चुका है, जो लागत राशि का 309.91% है।
- 27 अप्रैल 2038 तक टोल वसूला जाना है।
जावरा-नयागांव टोल सड़क...
17 फरवरी 2012 में 425.71 करोड़ रुपए की लागत आई, इस सड़क पर अब तक 2069.79 करोड़ रुपए टोल वसूला जा चुका है, जो लागत राशि का 486.20 गुना है। इस सड़क मार्ग पर भी 26 अक्टूबर 2033 तक टोल वसूला जाएगा (सभी जानकारी मंत्री के अनुसार)।