आयुष्मान में फ्रॉड करने वाले सुरेश भदौरिया का इंडेक्स मेडिकल कॉलेज फिर योजना में शामिल, द सूत्र बता रहा कितना बड़ा है घोटाला

सुरेश भदौरिया के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती मरीजों को लेकर आयुष्मान योजना में घोटाला करने की शिकायतें मप्र शासन के पास पहुंची। इस पर एक ऑडिट कमेटी बनाई गई है।

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Sanjay gupta
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सुरेश भदौरिया
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व्यापमं घोटाला और आयुष्मान योजना घोटाला, इंदौर में दोनों में एक कॉमन है इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल और इनके प्रमुख सुरेश भदौरिया। भदौरिया व्यापमं घोटाले में जेल में रहे हैं। इसके बाद करोड़ों का आयुष्मान योजना का घोटाला खुद मप्र शासन विभाग की रिपोर्ट में आया।

इसके बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सूची से बाहर कर दिया गया, लेकिन अब एक बार फिर वह इस सूची में आ गए हैं। वह इस योजना में कैसे आए, इसके पहले देखते हैं कि यह घोटाला कितना बड़ा और गंभीर था। द सूत्र के पास इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल की पूरी जांच रिपोर्ट और ऑडिट रिपोर्ट मौजूद है। 

15 साल की बच्ची का ही IVF ट्रीटमेंट बताया गया

इस घोटाले की गंभीरता इस बात से समझ लीजिए कि जांच में है कि एक नाबालिग 15 साल की बच्ची को ही आईवीएफ (संतान उत्पत्ति उपचार) के लिए भर्ती बना कर आयुष्यमान योजना में राशि क्लेम कर दी थी। वहीं इस ट्रीटमेंट के लिए तो अस्पताल पैनल्ड ही नहीं था। आईवीएफ के तहत 200 मरीज भर्ती बताए गए।

कब और कैसे हुई जांच

भदौरिया के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती मरीजों को लेकर आयुष्मान योजना में घोटाला करने की शिकायतें मप्र शासन के पास पहुंची। इस पर एक ऑडिट कमेटी बनाई गई, जिसमें डॉ. और डीएचओ पूर्णिया गडारिया, मेडिकल ऑफिसर डॉ नवीन दिवान, डॉ विजय मोहरे, डॉ अश्विन इंगले, पब्लिक हैल्थ एक्सपर्ट विश फाउंडेशन डॉ. अविचंद्र गेलोत शामिल थे।

इस कमेटी ने 5 मार्च 2023 को अस्पताल में बारीक जांच की और इसके बाद मरीजों की फोटो, उनके रिकार्ड, परिजनों से बातचीत की जानकारी सहित कई दस्तावेजों के साथ एक लंबी- चौड़ी ऑडिट रिपोर्ट बनाई। इस रिपोर्ट के बाद अस्पताल प्रबंधन को 14 मार्च को शोकॉज नोटिस मिला, 21 मार्च को आयुष्मान योजना से निलंबन आदेश हुआ और फिर 29 मार्च को आयुष्मान उपचार के लिए इम्पैनल्ड लिस्ट से बाहर कर दिया गया। 

फिर लिस्ट में किस तरह से आया इंडेक्स

ऑडिट टीम की रिपोर्ट में भारी अनियमितता, फ्राड और शासन की राशि धोखे से लेने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एसपी ग्रामीण व टीआई खुडैल को पत्र लिखकर अस्पताल प्रबंधन पर FIR के लिए पत्र लिखा। लेकिन इसके आते ही अस्पताल प्रबंधन ने मप्र शासन के पास नहीं जाकर सीधे हाईकोर्ट इंदौर में रिट पिटीशन दाखिल की।

इस पर 31 मार्च 2023 को शासन की एक्शन पर रोक लग गई, फिर 7 जुलाई को उन्हें इम्पैनल करने का लिए आदेश हुए। शासन रिट अपील में गई, लेकिन फैसला इंडेक्स के हक में हुआ। इसके बाद शासन ने रिवीजन अपील लगाई लेकिन खारिज हो गई। इसके बाद कॉलेज लिस्ट में आने के लिए फिर हाईकोर्ट में गया और 10 अप्रैल 2024 को फिर शासन को आदेश हुए। इसके बाद अस्पताल को अब फिर आयुष्मान योजना में जोड़ लिया गया है। 

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अब ऑडिट रिपोर्ट पर नजर मारिए, कितना बडा फ्राड कागजों पर ही आया

  • ऑडिट टीम ने पाया कि आयुष्मान योजना के तहत अस्पताल ने 345 मरीजों को भर्ती बताया, लेकिन जब टीम ने 5 मार्च 2023 को जांच की तो यहां पर केवल 76 मरीज ही मौके पर पाए गए। बाकी मरीज तो थे ही नहीं, जिसके उपचार के लिए अस्पताल शासन से राशि मांग रहा था। यह राशि छोटी-मोटी नहीं करोड़ों रुपए में थी।
  • सबसे गंभीर बात 15 साल की बच्ची को 20 साल की बताकर आईवीएफ का उपचार करना बता दिया। वह टीम ने दस्तावेज देखे तो वह केवल 15 साल की थी। इस उपचार के लिए तो अस्पताल पंजीबद्ध ही नहीं था। इस उपचार के लिए 200 महिला मरीज का उपचार होना बताया गया है।
  • टीम ने पाया कि ओपीडी में आने वाले सामान्य बीमार मरीजों को बेवजह अस्पताल में भर्ती किया गया।
  • एक आयुष्मान योजना के कार्ड पर दूसरे मरीज भर्ती पाए गए और क्लेम लिया गया, यानी कार्ड राम के नाम पर है और भर्ती श्याम हुआ है।
  • मरीजों के परिजन से दवा, टेस्ट के लिए राशि ली गई, जबकि आयुष्मान में यह भी कवर होता है। इसके लिए कई मरीज और परिजन ने बताया किसी से दो हजार रुपए लिए तो किसी से तीन हजार रुपए।
  • मरीज को बेवजह आईसीयू में रखा गया, जब टीम ने वहां देखा तो मरीज आराम से अस्पताल बेड पर बैठा मिला, ना कार्डियक मॉनीटर लगा ना ही ऑक्सीजन लगी थी, यानी मरीज गंभीर नहीं था, उसे गंभीर बताकर आईसीयू में उपचार होना बताया गया।
  • मरीज को महंगे पैकेज रेडियोल़ॉजिक जैसे देना बताया गया, जिससे मरीज की जान को जोखिम हो सकता था और मरीज को इसकी जरूरत ही नहीं थी। 
  • उन मरीजों को भी भर्ती बताया गया जो थे ही नहीं, यानी घोस्ट या फैंटम बिलिंग कहते हैं वह जमकर की गई।
  • मरीजों एक-दो दिन में ठीक भी हो गए तो उन्हें नियमों के परे जाकर कई दिनों तक भर्ती बताया गया और जमकर बिलिंग हुई।

इस आधार पर मिला हाईकोर्ट का स्टे

हाईकोर्ट ने इंडेक्स क़ॉलेज पर कार्रवाई पर केवल इस बात पर स्टे दिया था कि अस्पताल को उनका पक्ष रखने की छूट नहीं दी गई और नियमों के तहत एसईसी की अनुशंसा पर एसएचए (राज्य स्वास्थ्य परीक्षण) को अस्पताल पर कार्रवाई करना थी, लेकिन यह कार्रवाई आर्डर अधिकारियों ने सीधे जारी कर दिया। हालांकि शासन ने बताया था कि नियम से ही कार्रवाई, नोटिस दिया लेकिन वह कागजों पर इसे हाईकोर्ट में साबित नही कर पाए। 

कानूनी कार्रवाई ही रोक दी स्वास्थ्य विभाग ने

हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2023 में अस्पताल प्रंबधन पर कार्रवाई पर रोक लगाई थी, लेकिन जब अंतिम आर्डर 7 जुलाई 2023 को जारी किया तब कहा था कि अस्पताल को फिर इम्पैनल किया जाए और उनका भुगातन जारी हो लेकिन अन्य कानूनी कार्रवाई पर रोक नहीं है। लेकिन इस मामले में मप्र शासन स्वास्थ्य विभाग ने कभी लोड ही नहीं लिया।

अस्पताल प्रंबधन पर इतनी बड़ी धोखाधडी में कोई कार्रवाई ही नहीं की गई और हाईकोर्ट का आर्डर एकतरफा मानते हुए उसे वापस इम्पैनल्ड कर दिया गया। द सूत्र के पास हाईकोर्ट के सभी आर्डर की कॉपी है। इसमें किसी भी केस में जांच रिपोर्ट और आडिट रिपोर्ट को खारिज नहीं किय गया है, केवल लिस्ट से हटाने के आदेश को खारिज किया क्योंकि इसमें प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया, जांच रिपोर्ट कभी भी चैलेंज नहीं हुई और ना ही हाईकोर्ट ने इसे खारिज किया।

sanjay gupta

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