केंद्र सरकार बार-बार भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने का दावा करती रही है। मध्य प्रदेश के मुरैना में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का हालिया बयान राजनीतिक और सामाजिक बहसों का नया केंद्र बन गया है। उन्होंने भारत के ‘विश्वगुरु’ बनने के बजाय ‘विश्व का चेला’ बनने की बात कही, जो कि देश में गहरी राजनीतिक सरगर्मी का कारण बन सकता है। उनका यह बयान सिर्फ भारत की वैश्विक स्थिति पर नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी आधारित है।
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विश्व चेला बनकर रह गया भारत: शंकराचार्य
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मुरैना में भारत के ‘विश्वगुरु’ बनने पर कड़ी टिप्पणी की। उनके अनुसार, आज भारत को अपनी परंपराओं पर गर्व नहीं है और हम विदेशी विचारों और नीतियों को अनायास अपनाते जा रहे हैं। उनका कहना था, "भारत अब क्योटो जैसा बनने की बजाय अपनी पहचान भूल चुका है।
शंकराचार्य ने गोमांस निर्यात पर उठाए सवाल
शंकराचार्य ने हिंदू राष्ट्र बनने की अवधारणा को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उनका मानना है कि अगर भारत हिंदू राष्ट्र बन भी जाए, तो वहां धर्माचार्यों का कोई स्थान नहीं होगा। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दस सालों में गोमांस के निर्यात में भारी वृद्धि हुई है, जो कि एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।
धर्म और राजनीति में घालमेल
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राजनीति में धर्म की घुसपैठ को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समाज की स्थिति को देखकर भारत में धर्म की राजनीति के खतरों का अनुमान लगाया जा सकता है। उनका मानना है कि राजनीति में धर्म का दखल केवल समाज को विभाजित करेगा।
तीसरे विश्वयुद्ध की आहट और भारत की स्थिति
शंकराचार्य ने तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका जताते हुए कहा कि दुनिया के हर देश में अब यह गुमान हो गया है कि उनकी शक्ति अजेय है। इस स्थिति में दोनों गोलों के बीच युद्ध की संभावनाएं बढ़ सकती हैं, और भारत को इस संदर्भ में अपनी रणनीतियां तैयार करनी चाहिए।
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