इंदौर में 1 नवंबर को दिवाली मनाने पर अधिकांश ज्योतिष सहमत, इसलिए चल रहा पूरा विवाद

इंदौर के संस्कृत महाविद्यालय में विद्वानों और आचार्य की बैठक हुई। इसमें मध्यप्रदेश वैदिक के अध्यक्ष और विद्वत परिषद के आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि 90 फीसदी विद्वान ने कहा कि एक नवंबर की दिवाली होना चाहिए।

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Sanjay gupta
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INDORE.  इंदौर सहित अन्य जगहों पर दिवाली कब मनाई जाए, 31 अक्टूबर या फिर 1 नवंबर? इसे लेकर ज्योतिष और विद्वानों में काफी मतभेद हैं। इसी के चलते इंदौर में सोमवार को विद्वानों की बैठक हुई। इसमें अधिकांश विद्वानों की राय थी कि पंचांग के हिसाब से 1 नवंबर को ही दिवाली मनाई जानी चाहिए। 

बैठक में बोले विद्वान

इंदौर के संस्कृत महाविद्यालय में विद्वानों और आचार्य की बैठक हुई। इसमें मध्य प्रदेश वैदिक के अध्यक्ष और विद्वत परिषद के आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि 90 फीसदी विद्वान ने कहा कि एक नवंबर की दिवाली होना चाहिए। क्योंकि 31 अक्टूबर और एक नवंबर दोनों दिन अमावस्या है, ऐसे में अमावस्या के दूसरे दिन दिवाली मनाना सही होगा।

इसलिए भी 1 नवंबर सही

विद्वानों ने कहा कि 1 नवंबर को शुक्रवार है। जो लक्ष्मी मां का वार है। स्वाति नक्षत्र है। प्रीति और आयुष्मान योग है। इन सभी को देखते हुए दीप पर्व 1 नवंबर को मनाना ही शास्त्र सम्मत होगा। दीपावली 1 नवंबर को होगी और दीपपर्व छह दिन का होगा। धनतेरस 29 अक्टूबर को है, पर रूप चतुर्दशी ( उदयकालीन ) 31 अक्टूबर को होगा और दीपदान 30 अक्टूबर को होगा।

देश में चलते हैं दो पंचांग

आचार्य पं. शर्मा ने बताया दरअसल देश में दो प्रकार के पंचांग चलते हैं। एक दृश्य गणित पर जो पंरपरागत है तो दूसरा लाघव पद्धति पर जो कम्प्यूटर पर आधारित है। संस्कृत महाविद्यालय विभागाध्यक्ष आचार्य विनायक पाण्डेय ने कहा कि जब दो दिन वाली स्थिति होती है तो ऐसे में दूसरा दिन ही सही होता है।

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