इंदौर ऑडिट विभाग में पदस्थ सहायक ग्रेड टू कर्मचारी रमेश पाल के खिलाफ ऐसी-ऐसी शिकायतें मिली हैं कि जांच के दौरान पांच अधिकारियों की टीम भी चौंक गई। आखिरकार शिकायतें सही पाई गई और अब भोपाल ने उसने निलंबित कर सीधे रीवा अटैच कर दिया है।
पाल निगम फर्जी बिल घोटाले में फंसे डिप्टी डायरेक्टर ऑडिट नगर निगम समर सिंह परमार का करीबी है और परमार के साथ मिलकर एक स्वयंभू कर्मचारी संगठन भी बना रखा है, जिससे विभागीय अधिकारियों पर दबाव डाला जा सके।
पाल पर इस तरह के गंभीर अपराध हुए साबित
- खेल कोटे (कुश्ती) में इसकी नियुक्ति हुई थी। इसने खुद को अनुसूचित जाति का बताया है, जिसकी जांच में जारी है। वहीं उसकी ग्रेडेशन लिस्ट में जाति सामान्य है।
- विभाग का काम नहीं करते हैं, बाहर चले जाते हैं। सहकर्मियों के साथ मारपीट करते हैं और जान से मारने की धमकी देते हैं।
- नगर निगम में पदस्थापना के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं।
- अधिकारियों के खिलाफ झूठी शिकायतें करते हैं।
- साथियों को कुत्ता लाकर कटवाने की धमकी भी देते हैं।
- महिला उत्पीड़न केस में फंसाने की भी धमकी ऑफिस में देते हैं।
- अधिकारियों को गालियां तक देते हैं, कर्मचारियों को आतंकित करते हैं।
मेघदूत घोटाले के समय निगम में रहे हैं पदस्थ
पाल नगर निगम में 2004-05 के दौरान सामने आए मेघदूत घोटाले के समय निगम में पदस्थ रहे हैं। अभी वह परमार का करीबी रहा है। सूत्रों के अनुसार परमार का फायनेंसियल मैटर देखने का काम भी पाल करता था। ऐसे में निगम घोटाले में उनकी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। ईडी ने हाल ही में इस केस को हाथ में लिया है और मनी ट्रैल देख रही है, ऐसे में पाल भी इस मामले में कहीं लिंक नजर आए तो बड़ी बात नहीं है।
निगम घोटाले में कार्रवाई होने पर करा था विरोध
पाल की भूमिका इसलिए भी संदिग्ध है क्योंकि वह जून में विभाग द्वारा निगम घोटाले में कार्रवाई करने का खुलकर विरोध कर चुका है। वहीं परमार के साथ मिलकर बनाए गए स्थानीय निधइ संपरीक्षा अधिकारी कर्मचारी संघ के माध्यम से एक दिन की हड़ताल भी घोषित कर चुका है।
उसने कहा था कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों पर निगर निगम इंदौर व पुलिस द्वारा द्वेष भावना से कार्रवाई की जा रही है। यह पूरा घोटाला निगम अधिकारियों ने किया है और हमे दोषी बताया जा रहा है। इसके कारण विभाग के चार अधिकारी सस्पेंड कर दिए गए हैं। पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है जो गलत है।
मैंने आवाज उठाई इसलिए मुझे हटाया- पाल
वहीं रमेश मिस्त्री (पाल) ने द सूत्र से कहा कि मैंने कोई गलत काम नहीं किया, विभाग में मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई इसलिए मुझे साजिश करके हटवाया गया। अनिल गर्ग जो निगम घोटाले में जेल में गए हैं, उनके खिलाफ भी आवाज उठाई थी। यह अधिकारी नियम विरूद्ध निगम के बिल पास करने में लगे हुए हैं। जबकि इन्हें ऑडिट के अधिकार ही नहीं केवल सुपर वीजन के अधिकार है। मेरे खिलाफ कभी किसी ने गुंडागर्दी, महिला को परेशान करने, कर्मचारियों को परेशान करने की शिकायत नहीं की, लेकिन फिर भी जांच कमेटी ने मुझे उलझा दिया। अभी तो आडिट के चार अधिकारी ही उलझे हैं, इस घोटाले में आठ-दस और अंदर जाएंगे मैं ईडी को शिकायत करने वाला हूं।
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