इंदौर ग्रामीण BJP में नगर से ज्यादा गुटबाजी, नगराध्यक्ष की नेम प्लेट पर कालिख कांड के बाद डरे पदाधिकारी

इंदौर में बीजेपी की गुटबाजी अब ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक देखने को मिल रही है। नगर बीजेपी कार्यकारिणी की घोषणा में विवाद और विरोध हुआ था। वहीं अब ग्रामीण बीजेपी में यह विवाद और गहरा गया है।

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Sanjay Gupta
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इंदौर नगर बीजेपी कार्यकारिणी की घोषणा होते हुए बवाल हो गया था। बीजेपी दफ्तर पर नगराध्यक्ष का पुतला दहन हुआ था। नारेबाजी हुई था और दफ्तर में घुसकर नेम प्लेट पर कालिख पोती गई थी। 

इंदौर नगर से ज्यादा गुटबाजी तो ग्रामीण बीजेपी में देखने में आ रही है। इसी के चलते अभी तक यहां की कार्यकारिणी की घोषणा रुकी पड़ी है।

वैसे औपचारिक तौर पर कारण बिहार चुनाव में नेताओं का लगा होना बताया गया। हालांकि असल वजह नेताओं के बीच की गुटबाजी ही उभर कर आई है।

महू, देपालपुर, राउ सभी जगह विरोधी खेमा

ग्रामीण जिलाध्यक्ष (इंदौर बीजेपी ) श्रवण चावड़ा विरोधों के बीच में अध्यक्ष बने थे। प्रभारी जिलाध्यक्ष चिंटू वर्मा को फिर से मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अध्यक्ष बनवाना चाहते थे।

विरोध में महू विधायक उषा ठाकुर और देपालपुर विधायक मनोज पटेल खुलकर आ गए। आखिर में विजयवर्गीय ने दूसरा नाम आगे बढ़ाया और चावड़ा बन गए।

महू में ऐसा विरोध

महू विधानसभा में दो बार कैलाश विजयवर्गीय विधायक रह चुके हैं। ऐसे में उनके समर्थकों की वहां लंबी फौज है। वहीं पूर्व कांग्रेस विधायक अंतर सिंह दरबार भी बीजेपी में आ चुके हैं। साथ ही बीता चुनाव कांग्रेस से लड़ने वाले पंडित रामकिशोर शुक्ला भी अब बीजेपी में हैं।

उधर ठाकुर के टिकट का एक लॉबी ने खुलकर विरोध किया। रैली निकाली और पत्र भी संगठन को लिखे। ऐसे में ठाकुर अपने विरोधियों को कार्यकारिणी में आने से रोक रही हैं।

वहीं, कैलाश विजयवर्गीय के समर्थकों की एक लिस्ट है, जो कार्यकारिणी के लिए लगी है। उधर दरबार और शुक्ला भी हैं। वैसे भी महू में खुलकर उषा और कैलाश की अलग-अलग लॉबी और समर्थक हैं।

यहां सामंजस्य बैठाना बहुत मुश्किल हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्री विजयवर्गीय चाहते हैं कि मनोज पटेल को महामंत्री, अशोक सोमनी, रामकरण भाभर और राधेश्याम यादव को उपाध्यक्ष और मंत्री जैसे पद मिलें। वे इन लोगों को टीम में शामिल करना चाहते हैं। लेकिन उषा ठाकुर इसका विरोध कर रही हैं।

देपालपुर में विरोध

देपालपुर में भी अलग राजनीति चल रही है। जिलाध्यक्ष चावड़ा खुद देपालपुर के हैं। ऐसे में उनकी नजरें अगले विधानसभा चुनाव टिकट पर टिकी हैं। वह यहां से अपने समर्थकों को लाना चाहते हैं। वहीं, विधायक मनोज पटेल अपने लोगों को।

दोनों के बीच की अदावत ऐसी है कि भावांतर की रैली भी दोनों ने अलग-अलग निकाली थी। श्रवण ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ निकाली तो पटेल की रैली में वर्चुअल तौर पर सीएम रहे।

उधर यहां चिंटू वर्मा भी लंबे समय से लगे हुए हैं, जो जिलाध्यक्ष बनने से चूक गए। वह भी अपने लोगों को फिट करना चाहते हैं। यहां त्रिकोणीय रस्साकशी चल रही है।

राउ में जिराती, मधु की राजनीति

राउ के पूर्व विधायक जीतू जिराती अपने लोगों को नगर कार्यकारिणी में फिट करने में बुरी तरह फेल हुए। इन्हीं के समर्थक नीलेश चौधरी को नहीं लेने के चलते बीजेपी दफ्तर में बवाल हुआ था। कालिख कांड हुआ था।

वह अब यहां भी चूक गए तो राजनीतिक मुश्किलें बढ़ जाएंगी। उधर मधु वर्मा अपने समर्थकों को लाने में जुटे हुए हैं। यहां दोनों के समर्थकों के बीच की गुटबाजी है।

मधु वर्मा, धर्मेंद्र जाट और रामस्वरूप गहलोत को टीम में शामिल कराना चाहते हैं। वहीं राऊ से ही रवि रवालिया अपने समर्थक धनश्याम पाटीदार को एडजस्ट कराना चाहते हैं।

सांवेर में ज्यादा समस्या नहीं

हालांकि, चावड़ा को राहत सांवेर से ही है। यहां मंत्री तुलसी सिलावट से कोई विरोधी और गुट नहीं है। ऐसे में यहां से केवल सिलावट के खास लोगों को ही फिट करना है।

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