संजय गुप्ता@ INDORE.
खजराना पुलिस और बीजेपी सट्टेबाज नेता का गठबंधन सामने आया है। इस नेता के यहां स्पेशल टीम बनाकर छापा मारा गया तो तीन मंजिला मकान में सट्टे के अड्डे का भंडाफोड़ हुआ। यह अड्डा बेधड़क 24 घंटे 365 दिन संचालित हो रहा था। डीसीपी ने टीआई को इसे लेकर चेतावनी भी दी थी, लेकिन सांठगांठ के कारण वह चुप रहे और फिर डीसीपी ने स्पेशल टीम बनाकर कार्रवाई की।
इस नेता के यहां हुई कार्रवाई
कार्रवाई सलीम मंसूरी के यहां हुई, जो खुद को इंदौर विधानसभा पांच के विधायक महेंद्र हार्डिया ( MLA Mahendra Hardia ) का प्रतिनिधि बताता है। वह और बेटा आलम मंसूरी यह संचालित करते हैं। सलीम मंसूरी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा में भी है। मौके से 11 लाख 77 हजार रुपए जब्त किए। वहीं संचालक आलम मंसूरी और उसके पिता सलीम मंसूरी सहित 5 लोगों को गिरफ्तार कर केस दर्ज कराया। सट्टे के अड्डे पर पकडाए आरोपी सलीम (65) ( Salim Mansoori ) पिता रसूल मंसूरी, उसका बेटा आलम मंसूरी (35) निवासी अशरफी नगर, रईस (46) पिता मुंशी खान, इरफान (23) पिता सत्र पटेल और यूसुफ (34) पिता जफर खान निवासी अशरफी नगर हैं। इनके पास 8 मोबाइल फोन, 9 बंडल सट्टा पर्चियां मिली हैं।
डीसीपी ने इस तरह दूसरे थाने से बनाई आईपीएस की टीम
डीसीपी जोन-2 अभिनय विश्वकर्मा ने बताया दबिश अशरफी नगर स्थित तीन मंजिला मकान में दी गई। मंसूरी द्वारा बेटे आलम के माध्यम से सट्टे का संचालन करवाया जा रहा था। तीनों मंजिलों पर सट्टा खेलने के लिए अलग-अलग कमरे मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी नेता सलीम मंसूरी द्वारा खजराना थाने के पुलिसकर्मियों से सांठगांठ कर अड्डे का बेखौफ संचालन किया जा रहा था। इसलिए डीसीपी विश्वकर्मा ने खजराना थाने के स्टाफ को जानकारी दिए बिना एसीपी विजय नगर आईपीएस कृष्णलाल चंदानी और एसीपी परदेशीपुरा आईपीएस नरेंद्रसिंह रावत की टीम बनाकर यह छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया।
दूसरे थाने के बल लेकर गए थे आईपीएस
दोनों आईपीएस एसीपी थाना एमआईजी और परदेशीपुरा टीआई के साथ उन्हीं के थानों के जवानों को लेकर दबिश देने खजराना पहुंचे तो सट्टा चलाने वालों को भनक तक नहीं लगी। दोनों थाना प्रभारियों सहित आईपीएस की टीम मंसूरी के पूरे मकान को घेरकर हर कमरे में पहुंचे तो सट्टा खेलते लोग मिले।
खजराना टीआई पहले भी जांच के घेरे में आ चुके
इसके पहले भी खजराना टीआई सुजीत श्रीवास्तव कुछ समय पहले भी विवादों में आ चुके हैं। एक लूट के फरियादी की रिपोर्ट नहीं लिखने को लेकर उच्च स्तर पर शिकायत हुई और इसमें जांच के भी आदेश दिए। हालांकि बाद में मामले को दबा दिया गया। एक बड़े अधिकारी के खास व्यक्ति के जरिए पोस्टिंग होने के कारण उनका बाल बांका नहीं हुआ और वह पद पर टिके रहे। अब सट्टा पकड़ाने के बाद टीआई फिर मुश्किल में हैं और एक बार फिर खास व्यक्ति के जरिए सिफारिश में जुट गए हैं।
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