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इंदौर के बायपास पर अर्जुन बड़ौद के पास जो पिछले दिनों जाम लगा था और उसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। उसको लेकर एनएचएआई के अफसरों के कहा था कि मांगलिया, उज्जैन का ट्रैफिक भी बायपास पर आने के कारण यह जाम की स्थिति निर्मित हुई। जबकि द सूत्र ने उनके इस दावे की पड़ताल की तो सामने आया कि जाम लगने के पहले भी इस मार्ग से प्रतिदिन लगभग 20 से 22 हजार वाहन निकल रहे थे और जाम लगने के दौरान भी लगभग इतना ही ट्रैफिक था।
इससे यह साबित हो गया कि बायपास पर अन्य तरफ के वाहनों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ था, बल्कि जाम फ्लाईओवर के अधूरे निर्माण कार्य के कारण लगा था। अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए एनएचएआई के अफसरों ने ट्रैफिक डायवर्जन होने से वाहनों का ज्यादा लोड पड़ने का बहाना बनाया।
राऊ–देवास बायपास पर वसूल चुके 1 हजार कराेड़ टैक्स
इंदौर के राऊ–देवास बायपास पर पिछले दिनों लगे जाम के कारण इसकी एक दर्जन से ज्यादा खामियां उजागर हो चुकी हैं। इसमें एक चौकाने वाली जानकारी भी सामने आई है, जिसमें पता चला है कि टोल के शुरू होने (2014) से अभी तक में कुल 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का टोल टैक्स वसूला जा चुका है। उसके बावजूद यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को मिल रहे हैं केवल गड्ढे, टूटी हुई रैलिंग, कई जगहों पर मिट चुकी मार्किंग, स्ट्रीट लाइट गुल, अधूरा निर्माण कार्य, सर्विस रोड़ पर अवैध रूप से ट्रकों की पार्किंग और अवैध कब्जे। बायपास को लेकर बार–बार झूठ बोलने वाले एनएचएआई अफसरों के सच से पर्दा उठा रही है, द सूत्र की यह रिपोर्ट। अफसर ना केवल सफेद झूठ बोल रहे हैं, बल्कि हकीमत को भी जनता से छिपा रहे हैं।
सर्विस रोड़ पर अवैध पार्किंग तक हटवा नहीं पाए अफसर
बायपास पर पालदा चौराहे से भंडारी रिसोर्ट के बीच में बायपास की सर्विस रोड़ पर ही अवैध पार्किंग लंबे समय से हो रही है। इसके कारण सर्विस रोड़ पर चलने वाले वाहन चालकों को भी मुख्य मार्ग पर चलना पड़ रहा है। एनएचएआई का दफ्तर भी बायपास पर ही स्थित है। वे भी दिन में कई बार इसी अवैध पार्किंग वाले हिस्से से गुजरते हैं। उसके बावजूद उन्होंने सर्विस रोड़ पर ट्रकों की अवैध पार्किंग को नहीं हटवाया है।
कम स्पीड में पार कर रहे बायपास, बढ़ रहा समय
बायपास के इस क्षेत्र में अनावश्यक रुप से मुख्य मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में बायपास होने के बावजूद वाहन चालकों को स्पीड कम रखनी पड़ रही है। इसके कारण राऊ से देवास तक जाने में पूर्व में जो समय लगभग एक घंटे का लगता था वह भी 30 से 45 मिनट के करीब बड़कर लगभग पौने दो घंटे तक हो गया है। वहीं, वर्तमान में अर्जुन बड़ौद पर लगने वाले जाम के कारण वे वाहन चालक चार घंटे में इस 45 किलोमीटर के हिस्से को पार कर पा रहे हैं।
अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा, पूर्व में एक बार हटवा चुके
बायपास पर बसी कॉलोनियों के बाहर सर्विस रोड़ वाले हिस्से में ही अवैध रुप से अतिक्रमण होने की भी ढेरों शिकायतें एनचएआई अफसरों के पास पहुंच रही हैं, लेकिन अफसर इन पर कार्रवाई करने के बजाए हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं। कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्ट मनीष असाटी ने तत्कालीन इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को बैठक में अतिक्रमण की जानकारी दी थी। तब जरूर नगर निगम, पुलिस और जिला प्रशासन की टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए बायपास से बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटवाया था। उसके कुछ दिन बाद ये लोग वापस जम गए हैं।
समय पर फ्लाईओवर तक नहीं बन पाए
बायपास के आधे से ज्यादा हिस्से में न सर्विस रोड बन पाई है, न पूरे रोड पर लाइट लग पाई है और न ही अंडरपास सुधार पाए हैं। इससे आए दिन हादसे हो रहे हैं और दिन में कई बार जाम लग रहा है। रालामंडल व एमआर 10 पर फ्लायओवर निर्माण में देरी ने मुसीबत और बढ़ा दी है। बायपास की डीपीआर के मुताबिक एमआर-10, रालामंडल ब्रिज 5 साल पहले बन जाना चाहिए थे।
मार्किंग, लाइट और साइन बोर्ड तक नहीं
सिक्स लेन बायपास का पैचवर्क करने के साथ सर्विस रोड का मेंटेनेंस, बोगदों का रखरखाव, स्ट्रीट लाइट आदि सहित 10 से ज्यादा काम टोल कंपनी को करने थे। ये सब किए ही नहीं गए। इससे लगातार हालात खराब हुई।
स्ट्रीट लाइट भी अधूरी
2018 में इसके दोनों ओर 32-32 किमी में सर्विस रोड बनाने और उस पर स्ट्रीट लाइट लगाने का निर्णय लिया गया। अब तक 50% काम भी नहीं हुआ। अब कह रहे, निगम पैसा ले ले और लगा दें।
रैलिंग भी अधूरी छोड़ी
2021-22 में बायपास पर हादसे बढ़े तो मुख्य कैरेज वे के दोनों और 32-32 किमी लोहे की रैलिंग लगाने का निर्णय लिया गया, ताकि सर्विस रोड व अवैध क्रासिंग से वाहन न आ सकें। ये भी अधूरा छोड़ दिया।
सुविधाएं जो बायपास पर अब तक नहीं जुटा पाए
प्रोजेक्ट शतों के मुताबिक कंपनी को स्ट्रीट लाइट, सुविधाघर, 15-15 किमी पर चिकित्सकीय एड पोस्ट, बस खड़े रहने का स्थान, पौधारोपण आदि सुविधाएं उपलब्ध कराना थीं लेकिन अब तक भी ये नहीं जुटा पाए हैं।
ये मुद्दे भी जो पूरे नहीं हो पाए
– 2014 में आसपास के गांवों को नगर निगम क्षेत्र में लिया गया। कनेक्टिविटी की प्लानिंग नहीं की।
– निगम क्षेत्र बनने से बायपास के दोनों ओर सघन बसाहट शुरू हो गई। नगर निगम ने भी कॉलोनी परमिशन देना शुरू कर दिया। कमर्शियल काम तो चल ही रहा है। बायपास पर लोकल ट्रैफिक तेजी से बढ़ा। वर्तमान में दोनों ओर 300 से ज्यादा कॉलोनियां और 50 से ज्यादा टाउनशिप हैं।
– पीथमपुर में औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार से भारी वाहनों की आवाजाही तीन से चार गुना हो गई है। उस हिसाब से बायपास का प्लान अपडेट ही नहीं किया।