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इंदौर रिटेल कैमिस्ट ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (IRCTO) ने दवा कारोबार में बढ़ती अनियमितताओं को लेकर नाराजगी जताई है। संगठन के अध्यक्ष मनीष जैन के नेतृत्व में व्यापारियों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर सख्त कार्रवाई की मांग की है। संगठन का कहना है कि कुछ व्यापारी अवैधानिक तरीके से दवाओं पर भारी डिस्कांउट देने के विज्ञापन लगाकर काम करते हैं। जिसकी आड़ में मरीजों व उनके परिजनों को नकली दवाएं भी देने का गौरखधंधा किया जा रहा है। इसको लेकर फार्मेसी काउंसिल द्वारा भी कार्रवाई किए जाने को लेकर चेतावनी जारी की गई है।
परिषद की चेतावनी,नियमों का पालन करें
मध्यप्रदेश फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष संजय जैन और रजिस्ट्रार भव्य त्रिपाठी ने फार्मासिस्टों और मेडिकल स्टोर संचालकों से अपील की है कि वे ऐसी गतिविधियों से बचें और कानून का पालन करें। किसी भी उल्लंघन की स्थिति में संबंधित विभाग कठोर कार्रवाई करेगा।
यह मांग की दवा व्यापारियों ने ज्ञापन में
ज्ञापन में संगठन ने मुख्य रूप से तीन प्रमुख समस्याएं उजागर की हैं:
- फार्मासिस्ट की गैर-मौजूदगी में दवा विक्रय: फार्मेसी अधिनियम 1947 की धारा 42(ए) के तहत, किसी भी दवा दुकान पर पंजीकृत फार्मासिस्ट की मौजूदगी अनिवार्य है। लेकिन इंदौर शहर की कई दुकानों में फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में ही दवाओं की बिक्री हो रही है, जिससे न केवल कानून का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि आम जनता की सेहत भी खतरे में पड़ रही है।
- फर्जी मेडिकल स्टोर लाइसेंस और नवीनीकरण में गड़बड़ी: कई मेडिकल स्टोर फर्जी लाइसेंस के सहारे चल रहे हैं और उनका समय-समय पर न तो सत्यापन हो रहा है और न ही लाइसेंस का नवीनीकरण उचित प्रक्रिया से किया जा रहा है। इसके चलते नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है।
- दवाओं पर अवैध डिस्काउंट का विज्ञापन और बिक्री: 25 जुलाई 2025 को मध्यप्रदेश फार्मेसी काउंसिल द्वारा जारी आदेश के बावजूद कई दुकानें सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर दवाओं पर भारी डिस्काउंट का विज्ञापन कर रहीं हैं। इंदौर शहर में भी कई मेडिकल संचालक बोर्ड लगाकर अनधिकृत रूप से छूट दे रहे हैं, जो नियमों के खिलाफ है।
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विभागीय कार्रवाई में लापरवाही का आरोप
IRCTO ने स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल विभाग पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अधिकारी जांच करने और निरीक्षण के लिए मौके पर नहीं पहुंचते, जिससे दोषियों के हौसले बुलंद हैं।व्यापारियों ने जताई चिंता
संगठन ने कहा है कि यदि इन अनियमितताओं पर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो इससे ईमानदार दवा व्यापारियों को नुकसान होगा और मरीजों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। संगठन ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि तत्काल ड्रग कंट्रोल विभाग द्वारा नियमित जांच शुरू कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और दवा बिक्री से जुड़े नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।प्रचार और डिस्काउंट के नाम पर कर रहे गुमराह
फार्मेसी काउंसिल ने अपनी सूचना में कहा है कि कुछ मेडिकल स्टोर संचालक मरीजों और उपभोक्ताओं को दवाओं की खरीद के लिए आकर्षित करने हेतु सोशल मीडिया, पोस्टर और बोर्ड लगाकर छूट और ऑफर का प्रचार कर रहे हैं। यह गतिविधि फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 की धारा 7 और 8 के तहत पूरी तरह से गैरकानूनी और अनैतिक है।पंजीकृत फार्मासिस्ट की जवाबदेही तय
काउंसिल ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा इस तरह के नियमों का उल्लंघन किया गया, तो उसका पंजीयन रद्द या निलंबित किया जा सकता है। साथ ही ऐसे मेडिकल स्टोर को भी ड्रग लाइसेंस रद्द किए जाने की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
छोटे दुकानदारों पर प्रभाव, अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा की स्थिति
नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुछ बड़े व्यापारी अपनी आर्थिक ताकत के दम पर इस प्रकार के अवैध प्रचार-प्रसार में लगे हैं। इससे छोटे दवा दुकानदारों के लिए अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जो कि प्रतियोगिता अधिनियम 2002 की धारा 4 का गंभीर उल्लंघन है। यह राज्य और देश के आर्थिक विकास को प्रभावित करता है।