इंदौर कांग्रेस बेहाल है, दो दिन बाद 6 अगस्त को नगर निगम के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन होना है, लेकिन केवल नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे और उनके साथ शहराध्यक्ष सुरजीत सिहं चड्ढा, जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव और गिने- चुने नेता ही नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले सात- सात कार्यकारी शहर अध्यक्ष पद के रेवडियां बंटी थी, इसमें से चुनाव के बाद दो बीजेपी में चले गए।
कांग्रेस के 5 कार्यकारी अध्यक्षों के हाल
- देवेंद्र सिंह यादव- केवल इकलौते यही नजर आते हैं। इनकी तारीफ तो जब गांधी भवन में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय आए तो वही कर गए कि यही सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
- अरविंद बागड़ी- विधानसभा चुनाव का टिकट मांग रहे थे, एक दिन के लिए शहराध्यक्ष भी बने, फिर हटाए जाने के बाद जिद करके कार्यकारी अध्यक्ष बने। कार्यक्रमों में आते है, लेकिन बिना भीड़ के, भागीदारी में चेहरा दिखाकर रवाना हो जाते हैं। सूत्रों के अनुसार मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पौधारोपण कार्यक्रम में हजारों पौधे भी लगवाए हैं और आर्थिक मदद की है। वैसे भी उनके करीबी है और फूलछाप कांग्रेस के आरोपों के चलते शहराध्यक्ष पद से एक ही दिन में हटाए गए थे।
- अंकिता खड़ायता- यह भी कांग्रेस के गांधी भवन दफ्तर पर यदा- कदा ही सीढ़ियां चढ़ते हैं, पद लेकर खुश है, जिम्मेदारियों के पते नहीं।
- अमन बजाज- इनका भी यही हाल है, जब मन होता है, तो अकेले उठकर कांग्रेस दफ्तर में आ जाते हैं। जब कार्यकारी अध्यक्ष पद बंटे तो सज्जन सिंह वर्मा से जोर लगवा कर रेवड़ी ले ली। अभी शहराध्यक्ष पद की दावेदारी में भी जुटे हुए हैं।
यह दो बीजेपी में गए
टंटू शर्मा और लक्ष्मी मिमरोट यह दोनों भी विधानसभा चुनाव के दौरान अपने आकाओं के जरिए कार्यकारी शहर अध्यक्ष पद पर आए थे, लेकिन जब संजय शुक्ला बीजेपी में चले गए तो फिर इनका भी मन कांग्रेस में नहीं लगा और दोनों अब बीजेपी में जा चुके हैं।
गोलू भैय्या आप कहां हो?
अब बात करते हैं सबसे हाईप्रोफाइल कार्यकारी शहराध्यक्ष विशाल यानी गोलू अग्निहोत्री की। यह शहराध्यक्ष पद के तगड़े दावेदार थे। हालत यह थी कि इनके समर्थन में तो चिंटू चौकसे पार्षदों के साथ फ्लाइट से दिल्ली रवाना हो गए थे। आर्थिक रूप से सबसे सक्षम।
शहराध्यक्ष तो नहीं बने लेकिन फिर बने कार्यकारी अध्यक्ष, लेकिन पद मिलने भर की देर थी, वह दिन और आज का दिन गोलू भैय्या किसी को कांग्रेस दफ्तर में तो क्या शहर में भी नहीं दिखते हैं। कांग्रेस तो वह भूल ही गए हैं। उनके भाई रानू अग्निहोत्री तो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ जुड़कर बीजेपी में जा चुके हैं। गोलू को अब कांग्रेस की राजनीति नहीं भा रही है और खुद को गांधी भवन से पूरी तरह दूर कर लिया है।
चड्ढा और यादव को अभी राहत
उधर मंत्री विजयवर्गीय के गांधी भवन में स्वागत के बाद नोटिस पाए और नोटिस अवधि तक पद से निलंबित रहे शहराध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा और जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव फिर सक्रिय हो गए हैं। नोटिस का जवाब दे चुके हैं और क्षमा मांगी जा चुकी है। भोपाल में मामला ठंडा है क्योंकि सभी को पता चल गया है कि स्वागत के लिए खुद प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने बोला था। वैसे भी जब विजयवर्गीय आए तो केवल यह दो ही नहीं थे दर्जन भर कांग्रेस नेता उछल-उछल कर स्वागत में लगे थे।
दीपू यादव तो कमर झुकाकर पैर छू रहे थे। ऐसे में कार्रवाई करें तो किस पर करें? कुल मिलाकर कार्रवाई का रायता ढुल गया है और जब तक दिल्ली से हलचल नहीं होगी किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा। सूत्रों के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने दोनों पदाधिकारियों को बोल दिया है कि आप तो काम करो निलंबन नोटिस तक था, जवाब दे दिया है बात खत्म हो गई है। अब 6 अगस्त के प्रदर्शन पर फोकस करो। उधर इस उठापटक के बीच खबर है कि प्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह इस बडे प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कार्यक्रम में आने की असमर्थता जता दी है।
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