सीएम डॉ. मोहन यादव की प्राथमिकता वाला सीएम हेल्पलाइन का काम इंदौर में निचले पायदान पर है। अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। कभी टॉप 5 में रहने वाला इंदौर जिला, जिसकी मिसाल बैठकों में अन्य जिलों को दी जाती थी, वह निचले पायदान वाले जिलों में हैं। आखिरकार कलेक्टर इंदौर आशीष सिंह को समझाइश पर भी नहीं मानने वाले अधिकारियों के लिए आदेश जारी करना पड़ा- काम नहीं तो वेतन नहीं।
कलेक्टर ने यह जारी किया आदेश
कलेक्टर आशीष सिहं ने आदेश दिए हैं कि 22 जुलाई की समीक्षा बैठक में पाया गया कि सीएम हेल्पलाइन में कुछ विभागों की रैंकिंग काफी पीछे है और शिकायतों का निराकरण प्रतिशत काफी कम है। अगस्त में विभाग की रैंकिंग 40 से अधिक होने पर उन विभाग के कार्यालय प्रमुख का कार्य नहीं तो वेतन नहीं के आधार पर एक माह का वेतन शासन पक्ष में राजसात किया जाएगा।
सीएम हेल्पलाइन में विभागों की यह है स्थिति
(10 जुलाई की स्थिति में)
- केवल यह विभाग A ग्रेड में- लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग स्कोर 82 फीसदी था, प्रदेश में रैंक 3 और उर्जा विभाग (लेकिन प्रदेश में रैंक 33वीं है)
- यह 3 विभाग B ग्रेड में- सूचना व प्रौद्योगिकी विभाग, खाद्य नागरिक आपूर्ति व परिवहन विभाग और योजना आर्थिक विभाग (इनका स्कोर 65 से 78 प्वाइटं के बीच है और मप्र में रैंक 11 से 15 के बीच में)
- यह विभाग C ग्रेड में- जनजातीय विभाग, राजस्व विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, किसान कल्याण विभाग, नगरीय विकास विभाग, सामाजिक न्याय व गृह विभाग और वाणिज्यिक कर विभाग
- यह विभाग D ग्रेड में- लोक स्वास्थ्य विभाग, श्रम विभाग, अनुसूचित जाति कल्याण, वित्त विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, पिछडा वर्ग विभाग, लोक निर्माण विभाग, महिला व बाल विकास, पशुपालन विभाग, वन विभाग, पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग व सहकारिता विभाग
- (इंदौर जिले की ओवरआल रैंक सी होकर 29वीं थी और औसत प्वाइंट केवल 60.85 थे)
विभागों की हालत यह है कि संतुष्टि के साथ केवल 34 फीसदी शिकायतें बंद कर पा रहे हैं। निम्न गुणवत्ता से 9 फीसदी शिकायतें बंद हो रही है, तो 10 फीसदी शिकायतें यह देखते ही नहीं हैं।
तहसीलों में राजस्व कामों में 14 तहसीलदार डी ग्रेड में
सीएम हेल्पलाइन के तहत तहसीलों में होने वाले काम की बात करें तो 29 तहसीलदार, नायब तहसीलदारों में से केवल चार का काम बी ग्रेड स्तर का था, बाकी 11 तहसीलदारों के काम सी ग्रेड और 14 के काम सबसे निम्न स्तर डी ग्रेड के हैं। इनके काम ऐसे हैं कि संतुष्टि के साथ केवल 38 फीसदी शिकायतें ही बंद हो रही है।
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