इंदौर कलेक्टर के अधिकारियों को आदेश- दलालों के जरिए काम करने और करवाने के चक्कर में नहीं पड़ें, TCP और IDA में भी सक्रिय

कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह अपने काम को पूरी पारदर्शिता से करें, किसी से कुछ छिपाया नहीं जाए। काम के लिए वह किसी बिचौलिए, दलाल के माध्यम से काम करने और करवाने संबंधी प्रवृत्ति पर रोक लगाएं और इस प्रथा को बंद करें। 

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Sanjay gupta
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इंदौर कलेक्टर
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इंदौर कलेक्टोरेट में क्या दलाल और बिचौलिए फिर से सक्रिय हो गए हैं? इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने राजस्व अधिकारियों की मीटिंग के बाद लिखित में इसे लेकर आदेश जारी किए हैं। इसमें चेतावनी और नसीहत दोनों ही अधिकारियों को दी गई है। 

कलेक्टर ने यह दिए आदेश

कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह अपने काम को पूरी पारदर्शिता से करें, किसी से कुछ छिपाया नहीं जाए। काम के लिए वह किसी बिचौलिए, दलाल के माध्यम से काम करने और करवाने संबंधी प्रवृत्ति पर रोक लगाएं और इस प्रथा को बंद करें। 

आरआई और पटवारियों पर हो नजर

कलेक्टर ने यह भी एसडीएम और एडीएम से साफ कहा कि वह अपने राजस्व निरीक्षक और पटवारियों और स्टॉफ पर पूरी नजर रखें। यदि काम को लेकर कोई भी किसी तरह का दबाव डालता है तो इसके लिए सभी अधिकारी कलेक्टर को तत्काल सूचित करें। कलेक्टर ने साथ ही नसीहत दी है कि वह आम व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार रखें। 

चार साल पहले दो दलालों पर हुए थे छापे

चार साल पहले तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह के आदेश पर दलाल शुभम जैन और बनवारी के दफ्तर पर छापा मारा गया था। यहां से ढेर सारी सरकारी फाइलों की कॉपियां मिली थी और अधिकारियों को दिए जाने वाली काम के बदले राशि के भी कच्चे चिट्ठे थे। लेकिन उनके जाने के बाद धीरे-धीर दलाल और अधिकारियों के बीच में फिर से सांठगांठ कर काम करने का दौर शुरू हो गया।

टीएंडसीपी और आईडीए में भी दलाल सक्रिय

बात केवल कलेक्टोरेट की नहीं है, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) तो पूरी तरह से दलाल के जरिए ही चल रहा है। यहां दलाल ही फाइल नीचे से ऊपर तक चलवाते हैं। तत्कालीन डायरेक्टर एस मुदगल ने तो इसे लेकर पुलिस में शिकायत भी की थी, लेकिन एक बार फिल दलाल सक्रिय है।

यही हाल आईडीए का है। यहां दो दलाल तो आईडीए सीईओ और अधिकारियों के चेंबर के बाहर ही घूमते मिल जाते हैं। यह दलाल स्कीम में जमीन आने और बचाने के खेल के साथ ही स्कीम लगने पर प्लाट कहां अच्छा जगह दिलवा सकते हैं यह सभी सौदे कराने की खुलकर बात करते हैं।

तत्कालीन आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय ने भी इसे लेकर प्रशासन को पत्र लिखा था कि दलालों की दखल आईडीए में बहुत ज्यादा है। दलाल शुभम जैन के बाद टीएंडसीपी और कलेक्टोरेट के कामों की सबसे ज्यादा फाइल मिली थी। एक बार फिर वह सक्रिय हो गया है और इसके साथ ही अन्य दलाल भी दफ्तरों में जमकर सक्रिय हो चुके हैं।

sanjay gupta

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