मप्र शासन का महत्वाकांक्षी राजस्व महाअभियान शुरू हो गया है। 45 दिन में अधिक से अधिक केसों का निराकरण किया जाना है, लेकिन यदि कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा सप्ताह भर पहले सभी अधिकारियों की बनवाई गई रिपोर्ट पर गौर करें तो हालात दयनीय हैं।
कई एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीदार का काम डी और सी ग्रेड में हैं। गिने- चुने अधिकारियों का ही निराकरण प्रतिशत ज्यादा है।
राजस्व कामों में इंदौर पूरे प्रदेश में बॉटम वाले जिलों में पहुंच चुका है और यही हाल सीएम हेल्पलाइन के निराकरण का भी है। कामों के आधार पर यह अधिकारी सबसे पिछड़े साबित हो रहे हैं।
बात पहले ADM की
इसमें पांच अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी इंदौर में हैं। इसमें चार का निराकरण प्रतिशत 50 फीसदी से अधिक है, लेकिन सबसे निचले पायदान पर अपर कलेक्टर राजेंद्र रघुवंशी हैं। इनका निराकरण प्रतिशत मात्र 38 फीसदी है। सबसे पहले पायदान पर सपना लोवंशी हैं, जिनका निराकरण प्रतिशत 76 फीसदी से ज्यादा है। अपर कलेक्टर गौरव बैनल, रोशन राय और निशा डामोर सभी का निराकरण प्रतिशत संतुष्टिजनक है।
SDM / SDO की बात करें तो यह हैं निचले पायदान पर
एसडीएम की बात करें तो इंदौर के दस SDM / SDO (उपखंड अधिकारी) के कामों के निराकरण का प्रतिशत 50 फीसदी से भी नीचे है। इसमें है...
- एसडीएम खुडैल गोपाल वर्मा- मात्र 29 फीसदी निराकरण
- एसडीएम बिचौली हप्सी कल्याणी पांडे- 43 फीसदी
- एसडीएम कनाडिया राकेश मोहन त्रिपाठी- 45 फीसदी
- एसडीएम सांवेर अजीत श्रीवास्तव- 45.45 फीसदी
(सबसे नंबर वन एसडीएम जूनी इंदौर घनश्याम धनगर 66.30 फीसदी और इसके बाद मल्हारगंज एसडीएम निधि वर्मा 62 फीसदी का है)
अब बात तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की
- सीएम हेल्पलाइन के निराकरण में सीधे ही अधिकारियों की डी और सी ग्रेड लिखी गई है।
- डी ग्रेड में शामिल तहसीलदार, नायब तहसीदार
- महू नायब तहसीलदार, भिचौली हप्सी तहसीलदार, नायब तहसीलदार सांवेर, नायब तहसीदार मानपुर, अपर तहसीलदार जूनी इंदौर, नायब तहसीलदार मल्हारगंज, नायब तहसीलदार देपालपुर, तहसीलदार सिमोरल, नायब तहसीलदार खुडैल, धन्नड़ तहसीलदार राऊ, गौतमपुरा देपालपुर तहसीलदार
सी ग्रेड वाले तहसीलदार और नायब तहसीलदार
तहसीसलदार सांवेर, बेटमा तहसीलदार, अतिरिक्त तहसीलदार मल्हारगंज, राउ तहीसदार, महू तहसीलदार, मल्हारगंज तहसीलदार, कनाडिया तहसीलदार, जूनी इंदौर तहसीलदार, भिचौली तहसीलदार, देपालपुर तहसीलदार, हातोद नायब तहसीलदार।
सीमांकन, बंटाकन जैसे कामों में भी ढिलाई
अधिकारियों की हालत यह है कि राजस्व काम में मूल सीमांकन, बटांकन जैसों में भी बहुत कम निराकरण प्रतिशत है। विवादित नामांतरण में 60 फीसदी निराकरण है।
इसमें जिले के कुल 29 सात तहसीलदार, नायब तहसीलदारों में 7 के तो 50 फीसदी से कम है। वहीं अविवादित बटांकन में मात्र 49 फीसदी निराकरण है। 14 तहसीदार और नायब तहसीलदार 50 फीसदी से कम काम कर पा रहे हैं।
सीमांकन के काम में भी केवल 50 फीसदी निराकरण है, इसमें भी 17 तहसीदार और नायब तहसलीदार 50 फीसदी से कम पर है।
thesootr links