पार्षद कालरा की जाति तय नहीं करने पर IAS केसरी समेत 7 को अवमानना नोटिस

इंदौर के वार्ड क्रमांक 65 के बीजेपी पार्षद कमलेश कालरा के जाति प्रमाणपत्र का विवाद गहरा गया है। अब मामले में लगी अवमानना याचिका में इंदौर हाईकोर्ट ने आईएएस अजीत केसरी सहित 7 अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. हाईकोर्ट द्वारा दो याचिकाओं में आदेश देने के बाद भी वार्ड क्रमांक 65 के बीजेपी पार्षद कमलेश कालरा की जाति अभी तक हाईलेवल कमेटी तय नहीं कर सकी है। इसी मामले में लगी अवमानना याचिका में हाईकोर्ट इंदौर ने आईएएस अजीत केसरी सहित सात अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।

दो बार इस तरह के हुए आदेश

याचिकाकर्ता सुनील यादव ने कालरा के जाति प्रमाणपत्र पर पहले अगस्त 2022 में निगम चुनाव के बाद आपत्ति ली थी। तब सितंबर 2022 में हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि हाईलेवल कमेटी इसे डिसाइज करे, लेकिन यह नहीं हुआ। सुनील यादव के अधिवक्ता मनीष यादव और करण बैरागी ने बताया कि इसके बाद फिर नई याचिका दायर हुई और इसमें 6 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों और कमेटी को आदेश दिया कि 6 माह में इसका निराकरण करें। लेकिन इसके बाद भी यह नहीं हुआ। इस पर अवमानना याचिका लगाई गई।

याचिका में यह अधिकारी बने पक्षकार

इसमें यादव की याचिका में आईएस अजीत केसरी के साथ ही आयुक्त एससे सुमन, सचिव डॉ. निलेश देसाई, एसडीएम इंदौर जूनी घनश्याम धनगर, असिस्टेंट डायरेक्टर सफलता दुबे और पार्षद कालरा को पार्टी बनाया गया था। अधिवक्ता मनीष यादव और करण बैरागी के तर्कों से सहमत होकर जस्टिस दुपल्ला वेंकट रमणा बेंच ने सभी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। 

कालरा का कोई रिकार्ड ही नहीं, फिर कैसे बना सर्टिफिकेट

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष यादव ने कोर्ट में बताया कि इंदौर एसडीएम कार्यालय ने आरटीआई के जवाब में लिखित में जवाब दिया है कि कमलेश कालरा का कोई भी मूल दस्तावेज उनके रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है। बिना मूल दस्तावेज के पिछडी लोहार जाति का सर्टिफिकेट बन कैसे गया? ये बहुत बड़ा सवाल और फर्जीवाड़ा है।

  • पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग भी लिखकर चुका है कि कालरा सिंधी समाज के लोग  लोहार पिछड़ी जाति में नहीं सामान्य वर्ग में आते हैं।
  • छानबीन समिति भोपाल शिकायत के 24 महीने बीत जाने के बाद भी कमलेश कालरा के फर्जी लोहार जाति की जांच नहीं कर सकी। जबकि सारी जांच और सबके बयान पूरे हो चुके थे। समिति के सामने बयान में कमलेश कालरा ने कहा था कि वो लोहार इसलिए है क्योंकि वह आलपिन बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे। समिति के प्रमुख गोपाल दांड ने कमलेश कालरा को डपटते हुए कहा था कि ऐसे कार्य करने से कोई पिछड़ी लोहार जाति का नहीं हो जाता है।
  • छानबीन समिति या तो राजनीतिक दबाव में है या फिर पैसा खाकर कमलेश कालरा का कार्यकाल बीत जाने का इंतज़ार व मदद कर रही है।

Indore councilor Kamlesh Kalra caste

छानबीन समिति पर उठाए सवाल

अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि छानबीन समिति संदिग्ध है। ऐसा लग रहा है कि वह राजनीतिक दबाव में हैं और कार्रवाई की उम्मीद अब उनसे नहीं है। ऐसी छानबीन समिति को हमेशा के लिए भंग कर देना अतिआवश्यक है।

एसडीएम पर भी कार्रवाई की मांग

याचिकाकर्ता की ओर से यह भी मांग उठी है कि कमलेश कालरा को प्राथमिक जांच में क्लीन चिट देने वाले थाना जूनी इंदौर के पूर्व SDM अक्षय मारकम, पुलिस जांच अधिकारी SI दीपक जामोद और पटवारी आरएस गुप्ता पर भी जांच में लापरवाही व आरोपी को मदद करने के लिए उन पर कड़ी कार्रवाई हो।

ओबीसी सीट पर लड़े कालरा

यह भी बात कोर्ट में कही गई कि कमलेश कालरा ने सिंधी जाति सामान्य वर्ग का होते हुए लोहार पिछड़ी जाति प्रमाण पत्र वार्ड 65 की ओबीसी के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ा व जीता। उसने पिछड़ों का हक खाया व वार्ड के मतदाताओं को धोखा देकर उनका वोट हासिल किया व धोखाधड़ी की है। ऐसे में उनका चुनाव शून्य होना चाहिए।

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