इंदौर में राखी मनाने आए भोपाल निवासी दंपती के साथ एक सनसनीखेज घटना सामने आई है। शुक्रवार रात बॉम्बे हॉस्पिटल चौराहे पर फॉर्च्यूनर सवार युवकों ने मामूली विवाद में पति-पत्नी की पिटाई कर दी, पत्नी से झूमाझटकी की और बच्चों समेत कार अपहरण कर ले जाने का प्रयास किया। हैरानी की बात यह रही कि जब यह घटना हो रही थी तो उसके कुछ ही दूरी पर पुलिस ड्रिंक एंड ड्राइव की चेकिंग कर रही थी, लेकिन उन्हें यह सब नहीं दिखा। इसके बाद पीड़ित परिवार जब शिकायत लेकर थाने पहुंचा तो थाना क्षेत्र तय करने में भी पुलिस उन्हें 22 घंटे तक भटकाती रही। शुक्रवार की घटना की रिपोर्ट शनिवार शाम को दर्ज की।
यह है पूरी घटना
भोपाल के होशंगाबाद रोड निवासी प्रदीप यादव (42) अपनी पत्नी नेहा यादव (38) और दो बच्चों के साथ राखी मनाने इंदौर आए थे। रात करीब 9:15 बजे वे अपनी कार (एमपी-04 सीटी 6710) से सत्यसाई चौराहे की ओर मुड़ रहे थे। तभी गलत दिशा से तेज रफ्तार फॉर्च्यूनर (एमपी-09 एएल-0003) आई और मामूली कट लग गया।
बच्चे रोते–चीखते रहे, महिला मदद के लिए सड़क पर दौड़ी
प्रदीप के अनुसार, वे घटना को नज़रअंदाज़ कर आगे बढ़ गए, लेकिन फॉर्च्यूनर में सवार 4-5 युवक कार पलटाकर वापस आए और उनकी गाड़ी रोक दी। आरोपियों ने प्रदीप से मारपीट की, पत्नी से हाथापाई की और बच्चों सहित कार ले जाने लगे। इस दौरान बच्चे चीखते-रोते रहे, लेकिन हमलावर नहीं रुके। महिला मदद के लिए सड़क पर दौड़ी, तब भीड़ इकट्ठी हुई और आरोपी धमकी देकर भाग निकले।
22 घंटे तक थानों के चक्कर
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रात 10:30 बजे प्रदीप विजय नगर थाने पहुंचे, लेकिन वहां से उन्हें लसूड़िया थाने भेज दिया गया।
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रात 11:45 बजे लसूड़िया थाने में मौजूद रहे, लेकिन रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय सुबह आने को कहा गया।
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शनिवार दोपहर 12:30 बजे फिर लसूड़िया पहुंचे तो उन्हें दोबारा विजय नगर भेज दिया गया।
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शनिवार शाम 6:30 बजे विजय नगर थाने में पूरा मामला दोहराने के बाद केस दर्ज किया गया।
सामान्य धाराओं में दर्ज किया केस
आखिर में विजय नगर पुलिस ने धारा BNS-115(2),BNS-296,BNS-351(3) में केस दर्ज किया। परिवहन विभाग के रिकार्ड के अनुसार, फॉर्च्यूनर कार अनुराधा श्रीवास्तव, मदन मोहन श्रीवास्तव निवासी आरआर केट ट्रेसर फेंटेसी के नाम पर रजिस्टर्ड है।
तत्काल रिपोर्ट दर्ज करना थी
इस घटना को लेकर रिटायर्ड स्पेशल डीजी अन्येष मंगल का कहना है कि किसी भी अपराध में थानों की सीमा में उलझना गंभीर लापरवाही है। कानून कहता है कि कोई भी पीड़ित थाने आया है तो घटना कहीं भी हुई हो, पुलिस को पहले उसकी सुनवाई कर उसे मेडिकल अटेंडेंट देनी चाहिए। फिर मौके पर जाकर जांच करनी चाहिए। इस लापरवाही के लिए संबंधी इलाके के डीसीपी और एसीपी को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ऐसा करने वाले पुलिसकर्मियों पर एक्शन लिया जाना चाहिए।
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यह कहना है पुलिस अफसरों का
एडिशनल एसपी (सॉ एंड ऑर्डर) अमित सिंह ने कहा कि पीड़ित को थानों की सीमा को लेकर भटकाना गलत है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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