मध्य प्रदेश के इंदौर की एक अदालत ने एक महिला को अपनी 78 साल की मां को 3 हजार रुपए मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी किया है। दरअसल महिला ने अपनी मां को COVID-19 में लॉकडाउन के दौरान घर से बाहर निकाल दिया था, जिसके बाद 70 साल की महिला ने अपनी इकलौती बेटी के खिलाफ पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया था। वहीं पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसकी 55 साल की बेटी ने उसे प्रताड़ित किया और उसकी सारे पैसे भी हड़पने के बाद लॉकडाउन के दौरान उसे घर से बाहर निकाल दिया था। इसके बाद अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश माया विश्वलाल ने 17 मई को महिला को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।
न्यायाधीश ने क्या कहा
न्यायाधीश ने कहा कि आवेदक की ओर से पेश किए गए सबूतों के आधार पर यह साबित होता है कि प्रतिवादी ( बेटी ) अपने बेटे के साथ अपने घर पर एक दुकान चलाती थी। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि वह आय अर्जित करती है और अपनी मां का भरण-पोषण भी कर सकती है।
कैसे हड़पे मां के पैसे
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसकी बेटी अपने घर पर साड़ी की दुकान चलाती है। इस दुकान से प्रतिमाह वह 20 हजार रुपए से 22 हजार रुपए तक कमाती है। याचिकाकर्ता के पति राज्य सड़क परिवहन निगम में ड्राइवर थे। जानकारी के मुताबिक उनकी साल 2001 में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनकी बेटी ने उन्हें अपना पैतृक घर बेचने का लालच दिया और उन्हें अपने परिवार के साथ रहने के लिए आमंत्रित किया। इसी के साथ याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी बेटी ने यह वादा किया कि वह उसकी पूरी देखभाल करेगी। इसके बाद उसने धीरे-धीरे उसके पति की भविष्य निधि निकाल ली और पैतृक घर की बिक्री से प्राप्त आय उसके बैंक खाते से ले ली। इसी के साथ पीड़िता ने दावा किया कि इसके बाद उसकी बेटी ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया था।
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