पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी DEO मंगलेश व्यास, एडीपीसी जैन ने किया 60 लाख का गबन, स्कूल मरम्मत का पैसा खा गए

इंदौर के शिक्षा विभाग ( indore education department ) के अधिकारियों पर 60 लाख का वित्तीय घोटाला साबित हुआ है, जिसमें मरम्मत कार्यों में अनियमितताएं पाई गईं।

Advertisment
author-image
Sanjay gupta
New Update
indore education department financial scam
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

इंदौर के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) मंगलेश व्यास के साथ ही एडीपीसी (अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक) नरेंद्र जैन ने गंभीर वित्तीय घोटाला किया है। विभागीय जांच में साबित हुआ है कि उन्होंने स्कूलों के मरमम्त कामों में वित्तीय अनियमितता करते हुए करीब 60 लाख रुपए की राशि का गबन किया है। जांच कमेटी प्रमुख, जिला पंचायत सीईओ व IAS सिद्धार्थ जैन ने विभागीय जांच पूरी कर संभागायुक्त दीपक सिंह को रिपोर्ट भेज दी है। 

कहां पर किया गबन

इंदौर में 126 स्कूलों में मरम्मत के लिए 3.27 करोड़ रुपए की राशि आई थी। इन स्कूलों में मरम्मत का काम जितना बताया गया था वह हुआ ही नहीं और उधर ठेकेदारों को इस राशि का भुगतान कर दिया गया। बाद में जिला पंचायत सीईओ आईएएस सिद्दार्थ जैन ने मामले की मैदान में जाकर जांच की। जांच में सभी से बयान लिए तो सामने आया कि स्कूलों में 60 लाख के मूल्य की मरम्मत का काम नहीं हुआ है। 

भुगतान कॉलेज की जगह खुद ही कर डाला

जांच में यह भी सामने आया कि नियमानुसार स्कूल की मरम्मत की राशि संबंधित स्कूल के प्राचार्य के खाते में जाना थी। वहां से भुगतान होना था, लेकिन यह राशि मंगलेश व्यास, नरेंद्र जैन ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खाते में रखी। उन्होंने ठेकेदारों को सीधे ही यहां से भुगतान किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि काम की जांच के लिए जो मूल्यांकनकर्ता, तकनीकी विशेषज्ञों से जांच कराया जानी थी, वह भी नहीं कराया गया। जांच कमेटी ने खुद स्कूलों को जांचा-परखा और जांच कराई तो मरम्मत का काम सही नहीं पाया गया।

इन चहेते ठेकेदारों को दिए गए काम और भुगतान

मंगलेश व्यास और नरेंद्र जैन द्वारा कुल 16 ठेकेदारों से स्कूलों में 110 काम कराते हुए 3.27 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। इन कामों में टेंडर प्रक्रिया सही नहीं हुई और ना ही डीपीआर बनाई गई और ना ही तकनीकी मंजूरियां ली गई। 

  • इम्पैक्ट बिल्डर्स- इसे सबसे ज्यादा 1.14 करोड़ का भुगतान हुआ
  • पीएस इंटरप्राइजेस- 63 लाख का भुगतान
  • आलोक वाटर प्रूफिंग काम – 56 लाख
  • चैतन्य कंसट्रक्शन- 42 लाख रुपए
  • आईडब्ल्यूसी केयर- 18 लाख रुपए
  • एनके वाटरप्रूफिंग- 12 लाख रुपए
  • केएफसी कंसट्रक्शन- 7 लाख रुपए
    (इसके साथ ही सृजन इन्फ्रा, सत्यम पटेल, प्रमोद पांडे, अजीम बिलाल कंस्ट्रक्शन, मोहसिम अली, मुकेश हार्डवेयरर्स, लकी इलेक्ट्रिकल्स, केजीएन इंटरप्राइजेस और साईं धाम इंजीनियरिंग को भी भुगतान किए गए हैं।) 

यह चार आरोप लगे थे, तीन सही पाए गए

  • आरोप 1- स्कूल प्राचार्य की जगह जिला शिक्षा अधिकारी से ठेकेदारों को सीधे भुगतान हुए। यह आरोप सही पाया गया।
  • आरोप 2- प्रतिवर्गमीटर मरम्मत दर 335 रुपए थी, लेकिन इस हिसाब से ठेका नहीं दिया। जांच में इस आरोप को लेकर पुख्ता सबूत नहीं मिले, यह साबित नहीं हुआ।
  • आरोप 3- 126 स्कूलों के मरम्मत में खर्च की गई राशि के अनुसार काम नहीं हुआ। जांच में पाया गया कि करीब 60 लाख रुपए की राशि के काम नहीं हुए, जिसके लिए भुगतान होना बताया गया। यह गंभीर वित्तीय अनियमितता की गई।
  • आरोप 4- तकनीकी सदस्य द्वारा कार्य पूर्णता लेना था, मूल्यांकन कराना था। जांच में पाया गया कि ऐसा कुछ नहीं किया गया, जिसके चलते वित्तीय अनियमितता हुई है और काम पूरा नहीं हुआ। 

इसलिए पाई गई गंभीर वित्तीय अनियमितता

जांच में आरोप 1,3 व 4 सीधे तौर पर साबित मिले। यह भी पाया कि सामान्य मरम्मत की जगह विशेष मरम्मत के काम बिना तकनीकी मंजूरी, डीपीआर के और खुली टेंडर प्रक्रिया की ही कराए गए, जो गंभीर वित्तीय अनिमयमिता है।

sanjay gupta

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें





 

द सूत्र मध्य प्रदेश न्यूज मध्य प्रदेश न्यूज हिंदी पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी डीईओ मंगलेश व्यास indore education department indore education department financial scam एडीपीसी नरेंद्र जैन