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इंदौर के एमजीएम कॉलेज के अधीन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस आई में ऑपरेशन के बाद एक महिला की आंख की रौशनी चली गई। उसके बाद जब जिला अंधत्व निवारण टीम ओटी सील करने पहुंची। इस दौरान अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा ने शासकीय कार्य में बाधा डालते हुए उनके साथ बदसलूकी करते हुए धमकी दे डाली और कहा कि मैं सबको देख लूंगा।
पोल खुलती देख धमकी देने लगे अधीक्षक
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में सदर बाजार की महिला के साथ अनहोनी हो गई थी। इसकी शिकायत जिला अंधत्व निवारण समिति को हुई। उसके बाद समिति की अध्यक्ष डॉ. अनुभा श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ मंगलवार शाम को ओटी सील करने के लिए आई हॉस्पिटल पहुंची। यहां पर वे जैसे ही अस्पताल की ऊपरी मंजिल पर स्थित ओटी में जाने लगीं तो अस्पताल अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा मौके पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि आप लोग पहले मेरे केबिन में आएं हमें कुछ बात करनी है। इस पर वे वापस नीचे आ गईं। जैसे ही डॉ. श्रीवास्तव ने ओटी सील करने की बात कही और कहा कि संभव है कि ओटी से ही इन्फेक्शन हुआ होगा। इतना सुनते ही डाॅ. शर्मा भड़क गए और फिर उन्हें भला–बुरा कहने लगे।
शर्मा की धमकी, मेरा अस्पताल आप आ कैसे गए
डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने द सूत्र को बताया कि हमने नियमों का हवाला देते हुए कार्रवाई करने की बात कही तो डॉ. शर्मा ने हमसे बदसलूकी करनी शुरू कर दी। उन्होंने धमकाते हुए अपशब्दों का उपयोग करते हुए कहा कि ये मेरा अस्पताल है। आप होते कौन हो मेरे अस्पताल में घुसने वाले, निकलो यहां से। मैंने उन्हें शांति पूर्वक समझाने की कोशिश की और कहा भी कि हम लोग शासकी कार्य करने आए हैं। हमें अपना काम करने दीजिए, लेकिन वे नहीं माने। वे फिर भी नहीं माने और अपशब्दों का उपयोग करते हुए कहा कि मेरे अस्पताल से बाहर निकलो। मैं सबको देख लूंगा।
बात बढ़ती तो वे धक्का–मुक्की तक कर डालते
डॉ. श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि वे जिस लहजे में हमसे बात कर रहे थे उससे ऐसा लग रहा था कि धक्का–मुक्की और गाली–गलौच करने की मंशा के साथ ही हमसे बात कर रहे थे। हालांकि मैंने पूरा संयम बरता और उन्हें नियमाें का हवाला देकर शासकीय कार्य में बाधा नहीं डालने के लिए भी बताया गया। इस दौरान लगभग साढ़े 5 बज चुके थे तो डॉ. शर्मा बोले कि अस्पताल का टाइम समाप्त हो गया है आप लोग निकलो यहां से। जब बात ज्यादा बिगड़ने लगी तो फिर मैंने सीएमएचओ डॉ. माधव हसानी को कॉल कर घटना की पूरी जानकारी दी। यह भी बताया कि डॉ. शर्मा ने किस तरह से हमारे साथ बदसलूकी की। इस पर सीएमएचओ डॉ. हसानी का कहना था कि आप लोग वहां से अभी आ जाओ। अपन इस मामले में बात करते हैं।
डॉ. शर्मा बोले, बिना किसी शिकायत व आदेश के आ गईं थी कार्रवाई के लिए
इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा का कहना है कि हमारी टीम के द्वारा डॉ. श्रीवास्तव को पूरे अस्पताल का दौरा करवाया गया। उन्हें ओटी का भी निरीक्षण करवाया गया। इसके बाद उन्हें पांच दिन में ऑपरेट किए गए लगभग 250 मरीजों की पूरी सूची दी गई और डॉ. श्रीवास्तव ने खुद फोन करके मरीजों से बात भी की गई। किसी ने भी शिकायत नहीं की गई। इस पर जब हमने डॉ. श्रीवास्तव से पूछा कि आपके पास कोई आदेश की कॉपी हो तो हमें दिखाएं। जिस पर उन्होंने कह दिया कि मुझे मौखिक आदेश दिया गया है उसी आधार पर मैं यहां आई हूं।
डॉ. शर्मा ने यह भी बताया कि इस पर जब हमने उनसे कहा कि कोई शिकायत हुई है जिस पर जांच के लिए आप यहां आई हैं तो आप हमें वह दिखा दें। तो भी वे कोई शिकायत नहीं बता पाईं। इस पर हमने उनसे यह भी कहा कि क्या इस कार्रवाई के लिए आपने एमजीएम डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया को जानकारी दी है तो उन्होंने इससे भी इनकार कर दिया। इसके बाद हमने उनसे कहा कि जब आपके पास कोई अनुमति नहीं है तो फिर आप किस अधिकार से यहां पर कार्रवाई के लिए आए हैं। हमने डॉ. श्रीवास्तव से यह भी कहा कि आप सीएमएचओ से भी हमारी बात करवा दीजिए जिनके मौखिक आदेश पर आप यहां आई हैं तो भी वे बात नहीं करवा पाईं। अब वे हम पर गलत आरोप लगा रही हैं।
सीएमएचओ बोले, ऐसा कुछ हुआ ही नहीं
सीएमएचओ डॉ. माधव हसानी से जब इस पूरे मामले में बात की तो उन्होंने कहा कि इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। एक मरीज को आंख में इंफेक्शन की बात सामने आई थी। उसका वो लोग उपचार भी कर रहे थे। हालांकि उस ओटी में उसी दिन कई ऑपरेशन हुए थे, लेकिन वे सभी ठीक हैं। ऐसा लगता है कि मरीज ने घर पर असावधानी बरती, जिससे कि यह परेशानी हुई है। इसको लेकर मेरे पास किसी तरह की कोई शिकायत नहीं आई है। उसके बावजूद मैंने अपने अधिकारियों को जानकारी लेने के लिए आई हॉस्पिटल भेजा था। वहीं, डॉ. शर्मा और डॉ. श्रीवास्तव के बीच हुए विवाद को लेकर सीएमएचओ का कहना है कि मेरे पास ऐसी कोई लिखित सूचना नहीं है। मुझसे डॉ. श्रीवास्तव ने जो भी बात की है उसमें इस तरह की कोई भी बात उन्होंने नहीं बताई।
यह हुआ था अभी तक
एमजीएम के अधीन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में सदर बाजार की रहने वाली 40 वर्षीय रेशमा बी अपनी एक आंख में मोतियाबिंद की शिकायत लेकर इलाज के लिए पहुंची थीं। सूत्रों के मुताबिक उन्हें डॉ. ऋषि गुप्ता और उनकी टीम ने चेक किया और ऑपरेशन किया जाना तय हुआ। डॉ. गुप्ता ने 25 लोगों के ऑपरेशन किए। इसमें रेशमा बी भी शामिल थीं। जब उनकी आंख की पट्टी खोली गई तो उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। यह बात उन्होंने वहां मौजूद डॉक्टरों को बताई तो उन्होंने चेक किया। जब काफी देर तक दवाई डाली और बार–बार चेक किया तो डॉक्टरों को होश उड़ गए। क्योंकि महिला की आंख की रौशनी (एन–ड्रॉप) पूरी तरह से जा चुकी थी।