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इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस आई की एक बड़ी घटना सामने आई है। यहां के डॉक्टर ऋषि गुप्ता ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने आई महिला की आंख की रोशनी ही छीन ली। अब मंगलवार को कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर अपने किए पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि यह वही डॉक्टर ऋषि गुप्ता हैं जिन्हें हाईकोर्ट ने अपात्र मानते हुए हटाने के लिए नोटिस जारी किए थे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अयोग्य डॉक्टरों को इलाज की अनुमति नहीं दी जा सकती, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने अभी तक इन्हें नहीं हटाया है।
गुरुवार को हुआ था मोतियाबिंद का ऑपरेशन
एमजीएम के अधीन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में सदरबाजार की रहने वाली 40 वर्षीय रेशमा बी अपनी एक आंख में मोतियाबिंद की शिकायत लेकर इलाज के लिए पहुंची थीं। उन्हें डॉ. ऋषि गुप्ता और उनकी टीम ने चेक किया और गुरुवार को ऑपरेशन किया जाना तय हुआ। गुरुवार को डॉ. गुप्ता ने 25 लोगों के ऑपरेशन किए। इसमें रेशमा बी भी शामिल थीं। सोमवार को जब उनकी आंख की पट्टी खोली गई तो उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। यह बात उन्होंने वहां मौजूद डॉक्टरों को बताई तो उन्होंने चेक किया। जब काफी देर तक दवाई डाली और बार–बार चेक किया तो डॉक्टरों के होश उड़ गए। क्योंकि महिला की आंख की रोशनी (एन–ड्रॉप) पूरी तरह से जा चुकी थी।
ताबड़तोड़ किया कॉर्निया का इंतजाम
अस्पताल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जब डॉक्टरों ने अपनी जांच में पूरी तरह से कंफर्म कर लिया कि रोशनी लौट नहीं सकती। इसके बाद फिर ताबड़तोड़ एमके इंटरनेशनल आई बैंक में कॉर्निया के लिए बात की गई। बताया गया कि सोमवार को ही डॉ. ऋषि गुप्ता खुद आई बैंक पहुंचे और वहां से कॉर्निया लेकर आए। महिला को अस्पताल के प्राइवेट वॉर्ड 207 में भर्ती करके रखा गया है। उससे केवल परिजनों के अलावा किसी को भी मिलने नहीं दिया जा रहा है।
अब कॉर्निया लगाकर, कारस्तानी छिपाने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक इस महिला की आंख की रोशनी पूरी तरह से जा चुकी है। हालांकि उसकी आंख निकालने की नौबत अभी नहीं आई है। ऐसे में अब कॉर्निया बदलने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन फिर भी महिला का कॉर्निया बदला जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने इसके संबंध में अभी तक जिला अंधत्व निवारण समिति को भी सूचना नहीं दी है।
पूर्व में यही महिला एक अन्य आंख का भी करवा चुकी है ऑपरेशन
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक यही महिला इसके पूर्व में भी इसी अस्पताल में अपनी एक अन्य आंख का ऑपरेशन करवा चुकी है, जो कि सफल रहा है। वहीं, उसके बाद ही महिला ने अपनी दूसरी आंख का ऑपरेशन करवाना सुनिश्चित किया और वह यहां पर पहुंची थी।
इसके पहले भी दो अस्पतालों में हो चुकी है घटना
मोतियाबिंद के इलाज के दौरान मरीजों की आंखों की रोशनी चले जाने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इसके पूर्व भी चोइथराम आई हॉस्पिटल और इंदौर आई हॉस्पिटल में इस तरह की घटना हो चुकी है, जिसमें कि कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी।
यह कहना है प्रबंधन का
अस्पताल प्रबंधन की तरफ से डॉ. डीके शर्मा का कहना है कि अभी उस महिला का इलाज जारी है। जब तक पूरा इलाज नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। वहीं, इस अस्पताल में अभी तक 1 लाख 90 हजार मरीज देखे जा चुके हैं। साथ ही 15 हजार के करीब कैटरेक्ट के ऑपरेशन भी किए जा चुके हैं। इनमें से आधे ऑपरेशन तो खुद डॉ. ऋषि गुप्ता ने किए हैं, लेकिन अभी तक एक भी मामले में कोई परेशानी नहीं आई है। वहीं, इस संबंध में मैनेजमेंट का पक्ष जानने के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया को कॉल किया गया तो उनसे बात नहीं हो सकी।
इसी डॉक्टर के लिए यह कहा था कोर्ट ने
इंदौर में एमजीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में चार डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था। कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि किसी अयोग्य व्यक्ति को डॉक्टर पद पर नियुक्त किया गया है, तो उसे आम जनता के इलाज की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह टिप्पणी हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी ने उस याचिका पर की, जिसमें स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में नियुक्त मीता जोशी, टीना अग्रवाल, ऋषि गुप्ता और प्रदीप व्यास की योग्यता पर सवाल उठाया गया था।
इंदौर हाईकोर्ट ने स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में नियुक्ति के मामले में मध्यप्रदेश सरकार, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन सहित चारों डॉक्टरों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि इन नियुक्तियों में योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी करते हुए नियमों की अवहेलना की गई है।