इंदौर में डिजिटल अरेस्ट ठगी, अब महिला सीएस को धमका कर 6.27 लाख वसूली

डिजिटल अरेस्ट में संबंधित को विविध जांच एजेंसियों के अधिकारी बनकर फोन पर डराया जाता है। इसमें कई बार एआई के जरिए ऐसे नंबर से कॉल बताए जाते हैं। डीपी ऐसे आती है जैसे पुलिस अधिकारी हो (एसीपी को धमकाने में यही हुआ आईपीएस लिखा हुआ आया था)। 

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Sanjay gupta
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डिजिटल अरेस्ट ठगी
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इंदौर में कस्टम, सीबीआई, क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर फोन कर और वसूली करने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। हालत यह है कि एसीपी तक को सीबीआई अधिकारी बनकर फोन हो चुका है।

अब ताजा मामला महिला कंपनी सेक्रेटरी के साथ हुआ है, जिसे क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर धमकाया गया और 6.27 लाख रुपए वसूले गए। 

यह है मामला

महिला सीएस से ठगी करने वालों ने फोन करके कहा कि आपने जो विदेश में पार्सल भेजा, इसमें ड्रग्स निकली है। उसने मना किया कि पार्सल नहीं भेजा है तो ठगों ने कहा कि इसमें आपका आधार कार्ड है, इससे बैंक खातों में अवैध ट्रांजेक्शन हो रहे हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है। इसके बाद राशि मांगी गई। मामले में क्राइम ब्रांच को शिकायत हुई। एडिशनल डीसीपी क्राइम राजेश दंडोतिया ने बताया कि महिला कंपनी सेक्रेटरी की शिकायत पर दी गई राशि को फ्रीज करा दिया है।

अभी तक इंदौर में यह मामले आ चुके सामने

  • सबसे बड़ा मामला अप्रैल में आया था, तब राऊ के एक डॉक्टर दंपत्ती को ठगा गया। उन्हें कहा गया था कि पार्सल में मिले आईडी में मानव अंग में तस्करी के सबूत मिले हें। 53 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रख 8 लाख ठगे गए।
  • फर्जी मैसेज के जरिए एमएवाय के नर्सिंग मैनेजर से 96 हजार रुपए ट्रांसफर कराए। 
  • एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर को जांच एजेंसियों का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट किया और 3 लाख ठगे
  • आरआर केट के रिसर्च स्कॉलर को ढाई तक अलग- अलग तरीकों से डराया गया, कानूनी कार्रवाई में फंसाने के नाम पर 99 हजार खाते में ट्रांसफर करा लिए।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट ?

डिजिटल अरेस्ट में संबंधित को विविध जांच एजेंसियों के अधिकारी बनकर फोन पर डराया जाता है, इसमें कई बार एआई के जरिए ऐसे नंबर से कॉल बताए जाते हैं और डीपी ऐसे आती है जैसे पुलिस अधिकारी हो (एसीपी को धमकाने में यही हुआ आईपीएस लिखा हुआ आया था)। फिर फोन पर बताया जाता है कि जांच चल रही है, जांच के नाम पर कई जानकारी ली जाती है, जिससे लगे कि सही में अधिकारी है, फिर बचने के लिए राशि मांगी जाती है। यह कई घंटों तक भी होता है और व्यक्ति इसी फोन कॉल में उलझा रहता है, ऐसे डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।  

क्या करें पीड़ित

जानकारों के अनुसार ऐसे मामलों में सजग रहना होगा, जांच एजेंसिया इस तरह किसी को फोन नही करती है। सजग रहकर उनसे पता, दफ्तर पूछो और पूरा परिचय व अन्य जानकारी मांगों। दबाव में आने की जरूरत नहीं है। ब्लैकमेल राशि डलवाने की बात कर रहा है तो इसकी शिकायत पुलिस में करें। अपने बैंक की डिटेल किसी से भी साझा नहीं करें और ना ही किसी को राशि ट्रांसफर करें।

sanjay gupta

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महिला कंपनी सेक्रेटरी इंदौर में डिजिटल ठगी