शौर्यवीरा में तलवारबाजी को बताया आर्म्स एक्ट का उल्लंघन, HC से खारिज

इंदौर में नेहरू स्टेडियम में 9 नंवबर को 5 हजार महिलाओं द्वारा शौर्यवीरा कार्यक्रम के तहत सामूहिक तलवारबाजी का कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम के चलते सरकार से लेकर अधिकारियों की सांसे अटक गईं।

Advertisment
author-image
Sanjay gupta
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

इंदौर में नेहरू स्टेडियम में 9 नंवबर को 5 हजार महिलाओं द्वारा शौर्यवीरा कार्यक्रम के तहत सामूहिक तलवारबाजी का कार्यक्रम हुआ। लेकिन इस कार्यक्रम के चलते सरकार से लेकर अधिकारियों की सांसे अटक गईं। इस आयोजन में सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी तलवारबाजी का हुनर दिखाया था। इस कार्यक्रम को आर्म्स एक्ट का उल्लंघन बताया गया। मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा। इसके बाद हाईकोर्ट में केस चला और अब इसमें फैसला आ गया है।

हाईकोर्ट में लगा दिया केस

thesootr

thesootr

हाईकोर्ट में इस आयोजन को लेकर 12 नवंबर को शिक्षक व विजयनगर निवासी सुभाष सिंह तोमर ने एक याचिका दायर की थी। इसमें पीएस गृह विभाग के साथ ही संभागायुक्त, पुलिस कमिश्नर, कलेक्टर को पक्षकार बनाया गया। इसमें कहा गया कि आर्म्स एक्ट के तहत सार्वजनिक स्थल पर शस्त्र रखा, लहराना, प्रदर्शन गैर कानूनी है और इसमें केस बनता है। इसे लेकर एहतियात रखा जाना चाहिए था लेकिन इसके बाद भी यह आयोजन हुआ। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने यह भी मांग कर दी कि आदिवासी वर्ग के पास भी धारदार हथियार मिलने पर केस बनते हैं तो इन्हें भी सभी निरस्त कर देने चाहिए। साथ ही याचिकाकर्ता ने खुद ही इस मामले में पैरवी की और पक्ष में आयोजन की दो फोटो भी रखी। 

सरकार ने यह तर्क रख किया बचाव

इस मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने शासन का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह याचिका समाचार पत्र में छपी केवल दो फोटो के आधार पर लगी है। इसमें यह साबित नहीं होता कि यह फोटो सार्वजनिक स्थल की है और दूसरा यह तलवार असली है या नकली, यह भी कहीं साबित नहीं होता है। इसमें आर्म्स एक्ट नहीं बनता है।

हाईकोर्ट ने इस आधार पर केस किया खारिज 

हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी के कोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला हुआ। इसमें कहा गया कि आर्म्स एक्ट के तहत 6 इंच लंबे और दो इंच चौड़े से ज्यादा का हथियार रखना, लहराना अपराध है। लेकिन याचिकाकर्ता खुद आयोजन में नहीं थे और यह नहीं कह सकते हैं कि यह तलवार असली है या नकली। ऐसे में यह धारदार हथियार है या नहीं यह साबित नहीं होता है। वहीं इन फोटो से नहीं पता चलता कि यह आयोजन केवल भागीदारी वालों के लिए था या सार्वजनिक तौर पर हुआ। इन्हें लेकर कोई तथ्य, सामने नहीं आए। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।

क्या गलत है वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड 

ि

हाईकोर्ट ने केस खारिज कर दिया है और इसका मुख्य आधार यह रहा कि तलवार असली है या नहीं यह साबित नहीं हुआ। लेकिन ये सवाल उठता है कि क्या इस पूरे आयोजन को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में गलत दर्ज कराया गया। क्योंकि इसमें 5 हजार महिलाओं द्वारा सामूहिक तलवारबाजी होने की ही बात कही गई है। वहीं इसी बात का रिकार्ड बना है। यदि तलवार नकली है तो फिर रिकार्ड का कोई मतलब नहीं। यह गलत बना है या फिर इसमें संशोधन होना चाहिए और इसमें डमी तलवार होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं तो फिर आर्म्स एक्ट बन जाता है। 

इन्होंने कराया था आयोजन

यह आयोजन अनमोल मुस्कान वेलफेयर सोसायटी द्वारा कराया गया था। इसकी आयोजक मुस्कान भारती और बीजेपी के राकेश यादव मुख्य तौर पर थे। आयोजन को लेकर सीएम ने भी तारीफ की थी और पांच लाख का अनुदान देने की घोषणा भी की थी।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

मध्य प्रदेश MP News तलवार Indore मोहन यादव