मध्य प्रदेश के इंदौर की प्रतिष्ठित संस्था श्री गुरुसिंघ सभा के 12 साल बाद चुनाव हुए थे। इस चुनाव के बाद ही समिति में दो फाड़ होने की स्थिति बनने लगी है। गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष मोनू भाटिया आज सीएम मोहन यादव से मिलने पहुंचे। इधर विपक्ष के सदस्यों का आरोप है कि बीजेपी नेता नरेंद्र सलूजा और उज्जैन के सुरेंद्र अरोरा के साथ अध्यक्ष मोनू भाटिया सीएम से मिलने पहुंचे। जबकि वे सचिव बंटी उर्फ प्रितपाल सिंह भाटिया और 15 सदस्य में से किसी को भी अपने साथ लेकर नहीं गए। बताया जाता है कि इनको मात्र औपचारिक मैसेज ही किया गया था। इस बात से कयास लगाए जा रहे हैं कि गुरुसिंघ सभा में चुनाव के बाद दो फाड़ की स्थिति बनने लगी है।
कोर कमेटी को कोई सूचना नहीं
इधर गुरुसिंघ सभा के सचिव सचिव बंटी उर्फ प्रितपाल सिंह भाटिया ने thesootr को बताया कि हमारी कोर कमेटी को सीएम से मिलने के संबंध में कोई अधिकृत जानकारी नहीं थी। दरअसल हर बड़े मामले को पहले कोर कमेटी में लाया जाता है। फिर उस पर सामूहिक निर्णय होता है। इतना जरूर है कि अध्यक्ष मोनू भाटिया ने सुबह फोन पर इस बात की सूचना दी थी।
व्यक्तिगत हैसियत से कोई किसी से भी मिल सकता है
इधर गुरुसिंघ सभा के मेंबर कुलवंत सिंह ने भी सीएम से मिलने की किसी भी अधिकृत जानकारी से इंकार किया है। उन्होंने thesootr को बताया कि कोई व्यक्तिगत हैसियत से किसी से भी मिल सकता है। फिलहाल तो चुनाव के बाद हमारी कमेटी बैठी ही नहीं है तो ऐसे में सभा की ओर से मिलने का कोई सवाल ही नहीं है।
विवाद की जड़ बने BJP प्रवक्ता सलूजा और सुरेंद्र
इंदौर की प्रतिष्ठित संस्था में इस बार पैदा हुए विवाद की जड़ बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा और उज्जैन में सक्रिय रहने वाले सुरेंद्र अरोरा को माना जा रहा है। अंदरखाने इस पर चर्चा भी शुरू हो गई है कि सीएम से नजदीकियां दिखाने के लिए बीजेपी प्रवक्ता गुरुसिंघ सभा के दो- चार लोगों को ही सीएम हाउस लेकर आ गए, जबकि सभा के अन्य सदस्यों को बताया ही नहीं गया। बता दें कि गुरुसिंघ सभा में कोर कमेटी मिलकर फैसला करती है। इधर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि इसमें विवाद वाली कोई बात नहीं है। सीएम हाउस में गुरुनानक जयंती पर कार्यक्रम में सभी को आमंत्रित किया गया है। पूरे प्रदेश से सिख समाज के लोग पहुंचे हैं। गुरुसिंघ सभा के सदस्यों को भी निमंत्रण दिया गया है।
12 साल बाद हुए थे श्री गुरुसिंघ सभा के चुनाव
श्री गुरुसिंघ सभा के चुनाव बहुत मशक्कत के बाद 12 साल बाद संपन्न हो पाए थे। इस चुनाव में करीब 64 फीसदी वोटिंग हुई थी और 11678 मतदाताओं में 7426 मतदाताओं ने वोट डाले थे। गुरुसिंघ चुनाव के मुकाबले में दो ही पैनल खंडा और खालसा-फतेह थीं। प्रधान पद के लिए मुकाबला रिंकू और मोनू के बीच था। इसमें मोनू भाटिया ने जीत दर्ज की थी। वहीं सचिव पद के लिए इंद्रजीत सिंह होरा और प्रितपाल सिंह उर्फ बंटी भाटिया के बीच मुकाबला हुआ। इसमें बंटी भाटिया विजयी हुए थे। कार्यकारिणी के 17 पदों के लिए चुनाव हुए थे। बता दें कि बीते 12 साल से रिंकू भाटिया भाटिया सभा के अध्यक्ष थे। इस बार भी सभा के चुनाव को लेकर कई कानूनी पेंच थे। मतदाता सूची का मामला कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट तक याचिका लगाई गई, लेकिन 12 साल बाद चुनाव हुए और मोनू ने इस बार बाजी मार ली।
इस तरह रहे अंतिम रिजल्ट
प्रधान पद : मोनू को वोट 4 हजार 315, रिंकू को 2 हजार 796 वोट, अंतर 1 हजार 519 वोट
सचिव पद : बंटी भाटिया को 4 हजार 327 वोट, इंदरजीत सिंह होरा को 2 हजार 949 वोट, अंतर 1 हजार 278 वोट
कार्यकारिणी के जीते ये 17 सदस्य...
खालसा फतेह पैनल के जीते हुए 17 कार्यकारिणी सदस्य और उन्हें मिले वोट।
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मनप्रीत होरा = 4497
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रघुवीर सिंग खनूजा = 4250
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अवतार सिंग सैनी = 4245
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रवीन्द्र सिंग कलसी =4227
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अमरजीत सिंग भाटिया=4200
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जसबीर सिंग होरा=4099
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रविन्द्र सिंग होरा = 4050
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जसबीर सिंग अरोरा = 4048
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सतबीर सिंग छाबड़ा =4028
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जितेंद्र सिंग भाटिया = 3980
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रवीन्द्र सिंग माखिजा = 3954
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जगजीत सिग गांधी =3827
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दारा सिंग सलूजा = 3811
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चरणजीत सिंग सैनी =3782
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कुलवंत सिंग छाबडा = 3762
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अमन गिल = 3750
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सतपाल सिंग खालसा = 3550
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