INDORE. मप्र हाउसिंग बोर्ड की पालाखेड़ी की स्कीम को हाईकोर्ट इंदौर ने निरस्त कर दिया है। इसके लिए 13 साल ले हाईकोर्ट में लड़ाई चल रही थी। किसानों का संघर्ष अब सफल हुआ और हाईकोर्ट का अहम आदेश बुधवार को आ गया। कोर्ट ने माना कि हाउसिंग बोर्ड ने स्कीम घोषित करने और इसे लागू करने में तय प्रावधानों का पालन नहीं किया है।
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इस आधार पर स्कीम हुई निरस्त
कोर्ट में सामने आया कि इस स्कीम को हाउसिंग बोर्ड ने अपने संचालक मंडल से कभी मंजूर ही नहीं कराया। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं के 13 साल बोर्ड ने खराब किए। इसलिए सभी याचिकाकर्ताओं को 25-25 हजार का हर्जाना भी दिया जाए। बोर्ड ने वर्ष 2012 में पालाखेडी क्षेत्र में आवास योजना घोषित की थी।
600 बीघा पर आना थी स्कीम
यह स्कीम 600 बीघा जमीन पर लागू होना थी और यह जमीन हाउसिंग बोर्ड को किसानों से अधिग्रहित करना थी। किसान विरोध में थे और स्कीम के खिलाफ याचिकाएं दायर की। किसानों का यह भी तर्क था कि इस क्षेत्र में आईडीए भी पहले ही तीन योजनाएं लागू कर चुका है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता योगेश मित्तल ने कोर्ट में बताया था कि कि हाउसिंग बोर्ड ने बगैर योजना बनाए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की।
स्कीम लागू करने में यह की गलतियां
- आपत्तियों की सुनवाई डिप्टी कलेक्टर ने की, जबकि कलेक्टर को सुनना थी।
- हाउसिंग बोर्ड संचालक ने इस स्कीम को कभी मंजूरी ही नहीं दी। संचालक मंडल मंजूरी बिना योजना लागू नहीं हो सकती
- कोर्ट ने माना कि कि हाउसिंग बोर्ड के संचालक मंडल द्वारा तैयार और अनुमोदित नहीं की गई।
- कलेक्टर ने आपत्तियों का निराकरण नहीं किया।
- हाउसिंग बोर्ड ने कभी जमीन का कब्जा लिया ही नहीं। भूमिस्वामियों का अब भी जमीन पर कब्जा।
- भूअर्जन अधिकारी ने धारा 6 के अंतर्गत अधिसूचना जारी करने के बाद कोई अवार्ड पारित नहीं किया।
- बोर्ड ने खुद स्कीम पर कभी रूचि नहीं ली, ना ही स्टे मांगा, याचिकाएं 2012-13 से लंबित है।
- हाउसिंग बोर्ड ने मुआवजे की 10 प्रतिशत राशि भी जमा नहीं करवाई।
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