INDORE : इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की अहिल्या पथ स्कीम शुरू से ही विवादों में घिरी है। महा भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद इस योजना के विरोध में भंवरसला क्षेत्र के किसानों ने मंत्री तुलसीराम सिलावट के सामने विरोध किया था। अब कुछ ना होते देख किसानों ने बैठक कर इसका विरोध करने का फैसला किया है। सुपर कॉरिडोर पर 30 सितंबर को आंदोलन किया जाएगा।
किसानों ने बैठक में यह लिए फैसला
बड़ा बांगड़दा स्थित कलोता समाज की धर्मशाला में पीड़ित किसानों की बुधवार, 25 सितंबर को एक बड़ी बैठक हुई। इसमेंआईडीए को भूमाफिया करार दिया गया। डेढ़ सौ से ज्यादा किसान इस बैठक में इकट्ठा हुए थे और सभी ने मांग रखी कि प्राधिकरण और शासन की अधिग्रहण की इन कार्रवाई पर तत्काल रोक लगे। बैठक में फैसला किया गया कि आंदोलन के पहले चरण में सुपर कॉरिडोर चौराहे पर 30 सितंबर को सुबह 10:00 बजे से विशाल धरना दिया जाए। जिसमें हजारों किसानों को इकट्ठा करने की कोशिश हो इसके लिए युवा और जिम्मेदार किसान गांव-गांव दौरा करेंगे और किसानों को जागरूक करने की कोशिश करेंगे।
सड़क का नहीं लेकिन अधिग्रहण का विरोध
बैठक में बबलू जाधव, रायसिंह चावड़ा एडवोकेट, हंसराज मंडलोई, रामस्वरूप मंत्री, डॉ दिलीप चावड़ा, संतोष सुनैर, सुनील सुनैर ,शैलेंद्र पटेल, आदि ने संबोधित किया। किसानों का कहना था कि हमारा विरोध सड़क से नहीं है बल्कि किसानों की हजारों एकड़ जमीन जिस पर 3 से 4 फसलें उगाई जाती हैं उसी के अधिग्रहण का विरोध है। इंदौर विकास प्राधिकरण पूरी तरह से भूमाफिया के रोल में है और योजना के नाम पर जरूरत से कई गुना ज्यादा तक जमीन अधिग्रहित कर रहा है जो खेती के लिए और किसानों के लिए नुकसानदायक है। अतः हमारी मांग है कि यदि सड़क बनाने के लिए भूमि की जरूरत है तो जितनी जमीन सड़क के लिए जरूरी है। साथ ही जमीन का भूमि अधिग्रहण अधिनियम के नियमों के अनुसार चार गुना बाजार भाव से मुआवजा दिया जाए।
पुरानी सड़कें ही अधूरी पड़ी हैं
किसानों का कहना है कि मास्टर प्लान की पुरानी सड़कें भी सालों से अधूरी हैं। मास्टर प्लान में सड़कों को प्रस्तावित किए जाने के बाद आईडीए द्वारा उसे पूरा किया जाता है। मेजर रोड (एमआर रोड) की बात की जाए तो अधिकारियों के द्वारा हर पखवाड़े निरीक्षण कर लिया जाता है, लेकिन पूरी एक भी नहीं हो रही है। आउटर व पश्चिमी रिंग रोड भी पिछले बजट में पारित किया था। लेकिन किसान इसके लिए भी जमीन देने को तैयार नहीं है। एमआर-3, 11, आरई-2 सहित ऐसी सड़कें जो बरसों से अधूरी पड़ी हैं। अब आईडीए ने अहिल्या पथ का बीड़ा उठा लिया है। नायता मुंडला में आईएसबीटी बनकर तैयार है, लेकिन यहां एप्रोच रोड नहीं बन पा रही है। एमआर-11 के लिए भी दर्जनों निरीक्षण हो चुके हैं। किसानों ने बैठक आक्रोश जताया कि आईडीए अभी तक पुराने प्रोजेक्ट जिनके लिए जमीन अधिकृत कर चुका है वह भी अभी पूरे नहीं हुए और अब अहिल्या पथ के नाम पर हजारों एकड़ जमीन अधिग्रहण की कोशिश हो रही है।
आईडीए ने पहले से ही दस टीपीएस घोषित की है
बैठक में प्रमुख रूप से पदम सिंह चावड़ा, मानसिंह पटवारी, गोकुल पटेल, संतोष सुनेर, छीतर सिंह पहलवान अंतर सिंह नेताजी सीताराम सुनेर, राजेन्द्र यादव, जीवन चावड़ा। इनके अलावा कमलसिंह चावड़ा कमलसिंह डाबी, रमेश पटेल, दर्याव सिंह चौहान, कमलधनगर, भगवान सिंह डाबी, हितेंद्र सिंह चौहान ,सुशील ठाकुर, प्रहलाद सिंह चौहान आदि किसान शामिल थे। सभी ने कहा कि पहले से ही आईडीए की दस-दस टीपीएस लागू है लेकिन कोई पूरी नहीं हो रही है।
पहले ही योजना में महाभ्रष्टाचार के आरोप
यह योजना शुरू से ही विवादित रही है। इसमें आरोप है कि आईडीए के कंसलटेंट मयंक जगवानी सहित अन्य अधिकारियों ने इसमें बिल्डर के साथ सांठगांठ की और उन्हें पहले ही स्कीम के सर्वे नंबर लीक कर दिए, जिसके आधार पर उन्होंने योजना आने से पहले ही बाजार में कम दामों में सौदे कर लिए। इसके बाद उन्हें जमकर मुनाफा हुआ। बिल्डर ने जनवरी से जून माह के बीच ही दो दर्जन से ज्यादा टीएंडसीपी भी टाउनशिप की पास करा ली।
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