खाकी का मान नहीं रखने वाले लसूडिया पुलिस टीआई तारेश सोनी और थाने के एसआई, आरक्षक व अन्य पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए विभाग जुट गया है।
ड्रिंक एंड ड्राइव मामले में कूटरचित दस्तावेज करने के मामले में मॉनिटरिंग की कमी और कोर्ट में जवाब नहीं देने के चलते डीसीपी और आईपीएस अभिनव विश्वकर्मा पर भी कोर्ट ने एफआईआर के आदेश दिए हैं। लेकिन इस मामले में विभाग ने एफआईआर करने की जगह कोर्ट में जाकर रिवीजन याचिका लगाने का फैसला लिया है। यह याचिका सोमवार ( 2 जून )को लग जाएगी।
क्यों पुलिस विभाग ऐसा कर रहा है
दरअसल न्यायाधीश जय कुमार जैन ने एमजी रोड पुलिस को केस दर्ज करने के लिए तो कहा ही साथ ही धाराएं भी बताई है। इसमें 467, 468 जो कूचरचित दस्तावेज बनाने और उपयोग करने के लिए लगती है, वह घातक है। इसमें केस दर्ज हुआ तो फिर गिरफ्तारी भी होगी। कोर्ट का यह आदेश यदि अपील कर पुलिस नहीं रूकवा पाई तो उनके लिए बेहद शर्मनाक स्थिति बनेगी।
टीआई और डीसीपी के लिए क्या होगा
टीआई तारेश सोनी और उनका थाना बल इस स्थिति के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। कूटरचित चालान पेश किए गए और खुद उनके एसआई राहुल डाबर के बयान ने उनके बचने के कई रास्ते बंद कर दिए हैं।
एसआई ने साफ कर दिया कि चालान में मेरी लिखावट नहीं है, बाकी चालान में मेरा नाम क्यों है यह भी नहीं पता क्योंकि मेरी तो ड्यूटी ही बाकी केस में नहीं थी, अन्य अधिकारी थे। तकनीकी तौर पर चालान रसीद थाना प्रभारी के नाम पर होते हैं और वही पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाकर केस बनवाते हैं और फिर चालान भी उन्हीं के हस्ताक्षर से पेश होता है।
यानी पूरी तरह से टीआई सोनी मुश्किल में हैं। वहीं मॉनीटरिंग नहीं करने, कोर्ट के बार- बार बोलने पर भी स्पष्टीकरण नहीं देने के चलते डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा भी गंभीर मुश्किलों में हैं। केस दर्ज हुआ तो गिरफ्तारी होगी और साथ ही थाने और वर्तमान पदस्थापना से भी विभाग को हटाना ही होगा।
इन अधिकारियों पर इस धाराओं में केस
कोर्ट में गलत दस्तावेज पेश करने, न्याय को प्रभावित करने वाला अपराध करने, कूटरचित दस्तावेज बनाने और पेश करने के चलते न्यायाधीश जय कुमार जैन ने एमजी रोड थाना को आदेश दिया है।
डीसीपी 2 (अभिनव विश्वकर्मा), संबंधित थाना प्रभारी टीआई (तारेश सोनी) के साथ ही एसआई राहुल डाबर, नरेंद्र जायसवाल महेंद्र मकाले, सहायक उपनिरीक्षक राजेश जैन, कैलाश मार्सकोले, आरक्षक बेनू धनगर पर केस दर्ज किया जाएगा।
इसमें धारा 200, 203, 467, 468, 465, 471 और 34 धाराएं लगाई जाएगी। न्यायाधीश जय कुमार जैन ने इस केस में स्पष्टीकरण मांगने पर भी जवाब नहीं देने पर पुलिस आयुक्त (राकेश गुप्ता) पर भी नाराजगी जाहिर की है। कहा है कि इनके द्वारा कोर्ट को सहयोग नहीं किया गया।
इस पूरे मामले में जांच के भी आदेश दिए और साथ ही एमजी रोड थाने को कहा है कि वह जल्द इस मामले में रिपोर्ट पेश करें और साथ ही एफआईआर दर्ज कर कोर्ट को जल्द सूचित करें।
क्या है मामला
मामला शर्मनाक है और खाकी पर दाग लगाने वाला है। लसूडिया पुलिस की ओर से आरक्षक बेनू धनगर ने चालान 126/2024, 127/2024, 128/2024, 114/2024 पेश किए थे।
यह मोटर व्हीकल एक्ट के तहत केस थे जिसमें शराब पीकर वाहन चलाने का मामला था। चालान 126 में आरोपी अभिषेक सोनी और कुलदीप बुंदेला था, लेकिन कोर्ट के चालान में दोनों के नाम ही हटा दिए गए और अन्य नाम पेश कर दिया गया।
मुख्य आरोपी छोड़ दिए गए। कोर्ट में एसआई राहुल डाबर ने बताया कि यह चालान पर मेरे हस्ताक्षर और लिखावट नहीं है। इसी तरह जब अन्य चालान देखे गए तो एक में आरोपी अविनाश दुबे की जगह रितेश कर दिया गया। इन चालान में फोटो किसी के नाम किसी और के और तथ्य कुछ और पेश किए गए और मुख्य आरोपियों को बचा लिया गया।
एसआई ने भी खोल दी पुलिस की पोल
खुद एसआई राहुल डाबर ने भी पुलिस की पोल खोल दी, उसने कहा कि यह चालान मैंने पेश नहीं किए, वहीं अन्य चालानों में जब उसके नाम पर पूछा गया तो कहा कि मैंने तो अन्य चालानों में कोई जांच ही नहीं की और बाकी जगह ना वाहन चैकिंग की, उस दिन तो नरेंद्र जैसवार, महेंद्र मकाले, राजेस झैन की ड्यूटी थी, मेरी तो ड्यूटी भी नहीं थी।
न्यायाधीश ने पूरी जांच के लिए कहा
इस मामले में कोर्ट ने पाया कि एसआई राहुल डाबर, नरेंद्र जायसवाल महेंद्र मकाले, सहायक उपनिरीक्षक राजेश जैन, कैलाश मार्सकोले, आरक्षक बेनू धनगर की केस में संलिप्तता है। साथ ही टीआई और डीसीपी द्वारा इन कूटरचित दस्तावेज जानते हुए भी चालान को कोर्ट में पेश कराया।
जब स्पस्टीकरण मांगा गया तो जवाब नहीं दिया गया। इनके द्वारा इस मामले में सहयोग किया गया। इस पूरे केस की जांच की जाए, सीसीटीवी फूटेज देखे जाएं व अन्य तथ्य देखते हुए जांच की जाए और संबंधितों पर पहले केस दर्ज किया जाए।
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