इंदौर में पिता की जिंदगी के लिए लिवर देने लड़ रही नाबालिग लड़की, दिल्ली हाईकोर्ट एक केस में दे चुका मंजूरी

डॉक्टर ने साफ कर दिया है कि 15 दिन कठिन है। इतने समय में लिवर ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। आर्गन डोनेट करने के लिए संबंधित 18 साल होकर बालिग होना जरूरी है...

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Sanjay gupta
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इंदौर में लिवर देने लड़ रही नाबालिग लड़की
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INDORE. इंदौर में एक नाबालिग लड़की (उम्र 17 साल 10 महीने) अपने पिता की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में लगी है। उसके पिता शिवनारायण बाथम लंबे समय से बीमार हैं। अब मौत के साथ उनकी जंग चल रही है। डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि 15 दिन कठिन हैं। इतने समय में लिवर ट्रांसप्लांट हो जानी चाहिए। आर्गन डोनेट करने में बड़ी शर्त है -  डोनर का बालिग होना। इसके लिए अब लड़की प्रीति इंदौर हाईकोर्ट गई है। 

द सूत्र बता रहा दिल्ली हाईकोर्ट एक केस में दे चुका मंजूरी

'द सूत्र' के पास संबंधित परिवार के करीबी ने बात कर समस्या बताई। इस पर द सूत्र ने दिल्ली में आर्गन डोनेशन संस्था के मुख्यालय पर जानकारों से बात की। इसमे सामने आया कि यह मामला कोर्ट के आदेश से ही संभव है। 18 साल से कम को वे मंजूरी नहीं दे सकते। हालांकि दो रेयर केस में हाईकोर्ट के जरिए मंजूरी हो चुकी है। एक केस में पिता और पुत्री दोनों फर्जी निकले तो वह मामला खारिज हो गया, लेकिन एक अन्य मामले में मंजूरी दी गई थी। 

इस केस में मिली थी मंजूरी, यह था हाईकोर्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट में इसी तरह का मामला था। जिसमें पिता को लिवर सीरोसिस बीमारी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने बच्ची को (उसकी उम्र भी 17 साल 10 माह थी) लिवर का हिस्सा डोनेट करने की मंजूरी दी थी।

 फैसले में कहा था कि- नाबालिग द्वारा अंग या ऊतक दान करने में पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, लेकिन असाधारण परिस्थितयों में और नियमों के अनुसार।

कोर्ट ने लड़की के जीवन पर किसी भी तरह का जोखिम नहीं होने पर लिवर डोनेट की मंजूरी और इसके लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने आधेश दिया जो देखेगी कि लड़की के जीवन को कोई खतरा तो नहीं है। 

इस केस में अभी इंदौर में क्या चल रहा है

इंदौर हाईकोर्ट में पिता शिवनारायण ने केस लगया है। इस पर 18 जून को सुनवाई हुई और इसमें हाईकोर्ट ने अस्पताल से पूरी मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। इस पर 20 जून को सुनवाई होना है। हालांकि याचिकाकर्ता और उनके अधिवक्ता की कोशिश है कि 19 जून को ही अर्जेंट हियरिंग हो जाए, क्योंकि अस्पताल से पूरी रिपोर्ट तैयार है। 

छह साल से लड़ रहे हैं पिता 

6 साल से पिता शिवनारायण बाथम लिवर की बीमारी से घिरे हैं। डोनर नहीं मिला। अब डॉक्टर कह चुके हैं कि 10 से 15 दिन में लिवर ट्रांसप्लांट नहीं किया तो जान को खतरा है।

यह सुनकर 17 साल 10 महीने की उनकी नाबालिग बेटी प्रीति सामने आई। उसने कहा कि मैं अपने पिता को लिवर देना चाहती हूं। डॉक्टर ने नाबालिग होने के चलते लिवर ट्रांसप्लांट से मना कर दिया। परिवार में पत्नी भी देना चाहती थी लेकिन उन्हें शुगर है, वहीं घर के अन्य सदस्य प्रीति से छोटे हैं। Delhi High Court | Indore High Court 

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