इंदौर नगर निगम 150 करोड़ फर्जी बिल घोटाला, कोर्ट में पेश हो रहे चालान, इंदौर से भोपाल तक मंत्री, महापौर, अधिकारी सभी ने साधी चुप्पी

निगमायुक्त हर्षिका सिंह के समय फरवरी 2024 में बिना काम के कुछ फर्मों को राशि जारी होने की बात सामने आई, इसके बाद उन्होंने जांच के आदेश दिए। इसी दौरान मार्च में सुनील गुप्ता इंजीनियर की कार से मूल फाइल चोरी हो गई, जिससे मामला और संदिग्ध हो गया।

Advertisment
author-image
Sanjay gupta
New Update
इंदौर नगर निगम
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

इंदौर नगर निगम की सफाई पर 150 करोड़ का फर्जी बिल घोटाले का काला धब्बा लगा है। इस धब्बे की सफाई और जांच के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सभी ने तगड़े दावे किए और जांच की तह तक जाने और दोषियों को सजा दिलाने की बात कही। लेकिन अब इस मामले में सभी ने चुप्पी साध ली है।

कुल मिलाकर निगम में इस घोटाले की बात करना भी अब पाप है और सभी पुलिस जांच कर रही है कहकर पल्ला झाड़ रही है। पुलिस की जांच भी अभय राठौर को सरगान बताने के साथ समाप्त हो चुकी है और अब वह चालान पेश करने में जुटी है। 

क्या सरगना राठौर ही है

सवाल यह है कि क्या वाकई बात राठौर तक समाप्त होती है और कोई इसमें निगम के पार्षद, जनप्रतिनिधियों के साथ उच्च अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं है? जांच की आंच यहां तक क्यों पहुंची और क्या इन तक आंच नहीं पहुंचे इसलिए सभी ने चुप्पी साध ली है। 

ईडी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की

अब इस मामले में केवल ईडी से ही उम्मीद की जा रही है। द सूत्र ने ही सबसे पहले खबर बताई थी कि ईडी ने इस घोटाले में मनी लाण्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है और जो पुलिस की एफआईआर में आरोपी बने हैं, वह सभी इस मामले में आरोपी बने हैं। ईडी ने केस दर्ज करने के साथ ही जांच शुरू कर दी है, जल्द ही जांच के बाद संपत्तियों का अटैचमेंट शुरू होगा।

इस घोटाले में 19 आरोपी बने, निगम अधिकारी भी

इस महाघोटाले में पुलिस ने 19 आरोपी बनाए, इसमें निगम के भी आठ अधिकारी, कर्मचारी शामिल है। जिसमें अधिकांश कम्प्यूटर डाटा इंट्री करने वाले और लेखा व ऑडिट शाखा के है, बाकी सरगना इंजीनियर अभय राठौर को बताया गया। 

  • ठेकेदार में यह आरोपी- मोहम्मद साजिद, मोहम्मद जाकिर, मोहम्मद सिदिदक, राहुल बडेरा, रेणु बडेरा, राजेंद्र शर्मा, मौसम व्यास, मोहम्मद इमरान, जाहिद खान (फरार एहतेशाम उर्फ काकू आशु)
  • निगम के अधिकारी-कर्मचारी- अभय राठौर सरगना, उदय भदौरिया, चेतना भदौरिया, राजकुमार साल्वी, मुरलीधरन, समर सिंह परमार, अनिल गर्ग, रामेश्वर परमार, जगदीश ओहरिया (इसमें मुरलीधरन की जमानत हो चुकी है और ओहरिया अभी गिरफ्त से बाहर है)

16 अप्रैल को पहली एफआईआर हुई

निगमायुक्त हर्षिका सिंह के समय फरवरी 2024 में बिना काम के कुछ फर्मों को राशि जारी होने की बात सामने आई, इसके बाद उन्होंने जांच के आदेश दिए। इसी दौरान मार्च में सुनील गुप्ता इंजीनियर की कार से मूल फाइल चोरी हो गई, जिससे मामला और संदिग्ध हो गया।

इसके बाद कार्रवाई के आदेश हुए। इसी बीच उनका तबादला हो गया, निगमायुक्त शिवम वर्मा के सामने केस आया और उन्होंने एफआईआर के आदेश दिए। पहली एफआईआर 16 अप्रैल को हुई, जिसमें पांच ठेकेदार सिद्दकी, साजिद, जाकिर, राहुल और रेणु आरोपी बने। 

पुलिस ने जांच तेज की तो अधिकारी भी लिप्त पाए गए

पुलिस ने जांच शुरू की और इसी दौरान निगमायुक्त ने अपर आयुक्त आईएएस सिद्दार्थ जैन की अध्यक्षता में कमेटी बना दी। पुलिस ने जांच के बाद इसमें कुछ और फर्म फर्जी मिली। इसके बाद 26 व 27 को तीन केस और दर्ज हुए, 3 मई को निगम अधिकारियों पर केस हुए और 16 मई को फिर एक और एफआईआर हुई। पुलिस और निगम की जांच में कई अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई।

पुलिस ने विविध बयानों और सबूतों के आधार पर इसमें सरगना इंजीनियर अभय राठौर को माना और उनके साथ इस गठजोड़ में शामिल लेखा आडिट विभाग व कम्प्यूटर इंट्री करने वालों को आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया।

पूर्व घोटालेबाज बेलदार असलम के भाई एहतेशाम उर्फ काकू की भी इसमें बड़ी भूमिका सामने आई, उसने कई अपने कर्मचारियों इमरान, मौसम व्यास के साथ ही रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी फर्म बनाकर करोड़ों का घोटाला किया। वह अभी भी फरार है और ईनाम घोषित है।  

कुल फाइल 48 में 47.53 करोड़ का भुगतान

पुलिस की जांच में निगम की और से प्रारंभिक तौर पर 28 और फिर 20 फाइल गई। इन फाइलों की जांच में पाया गया कि 47.53 करोड़ का भुगतान यह ठेकेदार निगम से फर्जी काम के लिए ले चुके हैं। उधर करीब 174 फाइलों में घोटाले की बात सामने आई, जिसमें यह घोटाला सवा सौ से 150 करोड़ के बीच होने की बात सामने आई।

कहां गई उच्च स्तरीय कमेटी, चुभ रही मंत्री, महापौर की चुप्पी

इस मामले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मप्र शासन, सीएम, मंत्री विजयवर्गीय को खुला पत्र लिखा और इसमें बड़े घोटाले की आशंका होने की बात कहते हुए और कई लोगों की संलिप्तता की भूमिका को लेकर जांच करने की मांग की। मंत्री विजयवर्गीय का भी भरपूर साथ मिला और जांच की बात कही और कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और सभी की भूमिका की जांच होगी।

जोर- शोर से मांग उठी तो सीएम ने भी पीएस अमित राठौर की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी, कमेटी बनने के 15 दिन बाद निगम दफ्तर पहुंची और सुबह से शाम तक दौरा कर लौट गई। इसके बाद पलट कर नहीं आई और ना ही उनकी रिपोर्ट का अता-पता है।

इधर सभी ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। मंत्री विजयवर्गीय से लेकर महापौर भार्गव इस घोटाले पर अब कोई बयान नहीं देते हैं। हालांकि महापौर ने इस घोटाले के चलते आडिट विभाग की करीब सवा सौ करोड़ की राशि रोक ली और कहा  कि उनकी लापरवाही के चलते निगम का नुकसान हुआ इसलिए वहां यह राशि समायोजित होगी।

कांग्रेस 6 को करेगी प्रदर्शन

उधर कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाने के लिए 6 अगस्त को निगम मुख्यालय पर जंगी प्रदर्शन की घोषणा की है। बजट सत्र में भी इसी मांग को उठाने के लिए काले कपड़े पहन प्रदर्शन किया, लेकिन पूरा बजट सत्र हंगामे में चला गया और कोई चर्चा ही नहीं हुई। नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे के आरोप है कि निगम में कई घोटाले हो रहे हैं, फर्जी बिल घोटाले में कई लोगों को बचाया गया है और 174 फाइल घोटाले की थी, जो गायब है और इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है। घोटालों में राशि गई और इसकी वसूली आमजन से टैक्स बढ़ाकर की जा रही है।

sanjay gupta

thesootr links

 

  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें 

 

 

कैलाश विजयवर्गीय इंदौर नगर निगम महापौर पुष्यमित्र भार्गव नगर निगम 150 करोड़ फर्जी बिल घोटाला