नगर निगम बिल घोटाले में TI के नाम से ठेकेदारों को स्पूफ कॉलिंग से डरा कर वसूली, क्राइम ब्रांच में हुई शिकायत

स्पूफ कॉलिंग, एप के माध्यम से होती है और इसमें कॉल करने वाला सामने वाले के फोन पर किसी का भी नंबर डिस्प्ले करा सकता है, इससे लगता है कि जिसका नंबर दिख रहा है वही कॉल कर रहा है, लेकिन करता साइबर अपराधी है। 

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Pratibha ranaa
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संजय गुप्ता@ INDORE.

नगर निगम के 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल घोटाले मामले में अब साइबर अपराधी भी घुस गए हैं, नए खेल में लग गए हैं। इस मामले में एमजी रोड थाना प्रभारी (टीआई) विजय सिंह सिसौदिया ( Vijay Singh Sisodia ) ने खुद ही क्राइम ब्रांच में शिकायत की है। उन्होंने बताया कि ठेकेदारों को उनके नाम से फोन करके धमकाया जा रहा है और वसूली की जा रही है। 

यह है शिकायत

सिसौदिया ने शिकायत में बताया है कि उनके सरकारी थाना नंबर से ठेकदारों को फोन जा रहे हैं और निगम घोटाले में उनके उलझने की बात कहते हुए थाने बुलाया जा रहा है। कुछ पीड़ित जब घबराकर थाने आए तो इस बात का खुलासा हुआ क्योंकि उस नंबर से कोई फोन गए ही नहीं थे। बताया जा रहा है कि साइबर अपराधियों ने स्पूफ कालिंग का उपयोग किया है।

साइबर अपराधी कर रहे हैं वसूली ऐसे कीजिएगा

टीआई सिसौदिया ने उच्च अधिकारियों को बताया कि साइबर अपराधी साइबर फ्राड करके उनके नाम से वसूली कर रहे हैं। एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि साइबर अपराधियों ने संभवत: स्पूफ कालिंग का उपयोग किया है, हम जांच कर रहे हैं। 

क्या होती स्पूफ कॉलिंग

स्पूफ कॉलिंग एप के माध्यम से होती है और इसमें कॉल करने वाला सामने वाले के फोन पर किसी का भी नंबर डिस्प्ले करा सकता है, इससे लगता है कि जिसका नंबर दिख रहा है वही कॉल कर रहा है, लेकिन करता साइबर अपराधी है। 

बाबू मुरलीधर की जमानत खारिज

बिल घोटाले में नगर निगम के आवक-जावक शाखा के बाबू मुरलीधर की जमानत याचिका खारिज हो गई है। इसके द्वारा नकली फाइलों को लेखा शाखा में आवक-जावक रजिस्टर में फर्जी तरीके से एंट्री दिखाई जा रही थी। यह निगम में 2016 से पदस्थ है। सहआरोपी राजकुमार साल्वी, ड्रेनेज विभाग में नींव, किंग, ग्रीन, क्षितिज, जान्हवी, क्रिस्टल, ईश्वर फर्मों के बिलों की फाइल लेकर आते थे। राजकुमार इंट्री के लिए आरोपी मुरलीधर को फाइल देता था। लेखा विभाग में कार्यरत सुनील भंवर आगे प्रक्रिया करता था और हस्ताक्षर करता था। यह मिलीभगत कर लेखा विभाग में आवेदक, आरोपी नियमित तौर पर फर्जी, कूटरचित फाइल को चलाते थे और इनसे फर्जी बिल बनाकर राशि का भुगतान लिया जाता था। विशेष न्यायाधीश देवेंद्र प्रसाद मिश्र ने सभी तर्क सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी। 

अभय राठौर भी पहुंचा जमानत के लिए, 103 फाइल और मिली

उधर, इस घोटाले के मास्टरमाइंड बताए जा रहे इंजीनियर अभय राठौर ने भी जमानत के लिए आवेदन लगा दिया है, जिस पर एक जून को सुनवाई होना है। वहीं राठौर का नाम लगातार फाइलों में आ रहा है। अब साल 2016 की भी 103 नई फर्जी फाइल मिलने की बात कही जा रही है, जिसमें 35 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ था। साथ ही इनमें भी नई दर्जन भर फर्मों के नाम आ रहे हैं। हालांकि अभी इसकी पूरी जांच की जा रही और इन फाइलों की सत्यता को जांचा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 16 अप्रैल को इस मामले में पहले एफआईआर हुई थी, इसके बाद 8 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। अभी भी इस घोटाले में लोकायुक्त जांच में फंसे बेलदार असलम खान के भाई एहतेशाम उर्फ काकू फरार है। साथ ही निगम से फाइल चुराने के मामले में आशु भी फरार है। दोनों पर ईनाम घोषित हो चुका है।

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