संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले ( Municipal Corporation Fake Bill Scam ) में अब पुरानी सभी फर्मों की भी जांच होगी। इसके दायरे में एक-दो नहीं बल्कि अब सैंकड़ों सभी फर्मों को लिया गया है, जिन्हें साल 2010 से लेकर अभी तक नगर निगम की ओर से भुगतान मिला है। चाहे वह भुगतान एक रुपए का हो या दस करोड़ रुपए का। इस 14 साल में नगर निगम से विविध फर्मों को 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान हुआ है। यानि यह पूरा 6000 करोड़ का भुगतान जांच के दायरे में आ गया है।
उच्च स्तरीय कमेटी ने सभी भुगतान के रिकार्ड मांगे
सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा इस घोटाले की जांच के लिए पीएस वाणिज्यिक कर विभाग अमित राठौर और सचिव वित्त अजीत कुमार व पीडब्ल्यूडी इंजीनियर की बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी ने गुरुवार (16 मई) को निगम में दौरा किया। इसमें कमेटी ने पाया कि मामला 2017-18 तक ही सीमित नहीं है और भी कई फर्म है जिनके काम 2010 के है और इसमें फर्जी भुगतान हुआ है। इसलिए बेहतर होगा कि साल 2010 से सभी फर्मों की जांच की जाए। इसके बाद कमेटी ने निगमायुक्त शिवम वर्मा से कहा कि वह हर साल के हिसाब से किस फर्म को कितना भुगतान किया गया है उसका पूरा हिसाब एक फार्मेट में बनाकर दें। निगम में हर साल 500 से 700 करोड़ रुपए का भुगतान होता है। मोटे तौर पर 14 साल में 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान सैकड़ों फर्मों को हुआ है।
असलम के रिश्तेदारों पर केस दर्ज
उधर, गुरुवार (16 मई) को इस मामले में तीन और आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। इनमें डायमंड एसोसिएट के संचालक जहीर खान, आरएस इंफ्रास्ट्रक्चर के राजेंद्र शर्मा और कॉस्मो इंजीनियरिंग के एस खान शामिल हैं। यह लोकायुक्त छापे के बाद पकड़े गए भ्रष्टाचारी बेलदार असलम खान के रिश्तेदार है। इसके पहले पुलिस इस मामले में 12 से ज्यादा आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर चुकी है। वर्तमान में दो आरोपी इमरान खान जो असलम बेलदार के भाई काकू उर्फ ए. खान का रिश्तेदार है और मौसम व्यास फरार हैं। उधर, आरोपी इंजीनियर अभय राठौर और ठेकेदार मो. सिद्धीकी अभी रिमांड पर है।
यह हालत हो गई इंजीनियर आपस में लड़ रहे
एक दिन पहले नगर निगम में निगमायुक्त शिवम वर्मा द्वारा ली गई साप्ताहिक बैठक में इंजीनियिर डीआर लोधी और सुनील गुप्ता आपस में ही उलझ गए। दोनों ने जमकर एक-दूसरे की कार्यप्रणाली पर आरोप लगाए और निगमायुक्त के सामने ही एक-दूसरे की पोल खोली। मुश्किल से दोनों को शांत कराया गया। गुप्ता पहले ही इस घोटाले में एफआईआर कराने के बाद से सभी के निशाने पर हैं और गिरफ्तार राठौर ने भी गुप्ता के इस घोटाले में शामिल होने तक के आरोप लगाए हैं।
पूर्व बीजेपी विधायक को आशंका घोटाला 1000 करोड़ का
पूर्व बीजेपी विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने सीएम डॉ. मोहन यादव को गुरुवार को चिट्ठी भेजी थी। उन्होंने साफ कहा कि यह घोटाला सौ-सवा सौ करोड़ का नहीं बल्कि 1000 करोड़ रुपए का होगा और इसमें सैंकड़ों लोग शामिल होंगे। नेमा ने कहा कि यह पूरा घोटाला अकल्पनीय है। ऐसे केस की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्रदेश में जन-धन का ऐसा भ्रष्टाचार कभी देखने को नहीं मिला। अभी तक 100-125 करोड़ रुपए का ही बताया गया है और 8-10 लोग पकड़े गए हैं, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र में मेरे काम का अभव कहता है कि उच्चस्तरी जांच होने पर यह राशि 1000 करोड़ तक पहुंचेगी औऱ् इस राशि के हिस्सेदार छोटे-बड़े मिलाकर सैंकड़ों की संख्या में आएंगे।