MP News : इंदौर नगर निगम में फील्ड अधिकारियों को लेकर चल रही उठापटक के बाद अब निगमायुक्त शिवम वर्मा ने इसे फिर से पटरी पर लाने की कवायद की है। हाल ही में बिल्डिंग के विस्फोट के बाद हुई खींचातानी के बाद भोपाल नगरीय प्रशासन विभाग से ही कई अधिकारी इंदौर से हटा दिए गए। हालांकि यह बाद में स्टे ले आए लेकिन निगम इन्हें पहले ही रिलीव कर चुका था। इसके बाद खाली हुई जगहों को भरने के लिए मंगलवार शाम को आदेश हुए।
निगमायुक्त ने पुरानों को वापस बुलाया
निगम में एक बार फिर पुराने और अनुभवी इंजीनियरों को जोनल अधिकारी बनाया गया है। करीब एक वर्ष से व्यापमं से आए गैर अनुभवी इंजीनियरों को जोनल अधिकारी के साथ भवन अधिकारी की भी जिम्मेदारी दी हुई थी। इसमें कई बार भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे। लगातार शिकायतें बढ़ रही थी। लेकिन निगमायुक्त ने अब लंबे मंथन के बाद नई पोस्टिंग की है।
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इन सभी को वापस लाया गया
नए आदेश के तहत मनोज जैन, अवधेश जैन, शांतिलाल यादव, धीरेंद्र बायस, सालक्रम शितोले, नदीम खान, वैभव देवलासे जैसे इंजीनियर फिर अब जोनल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। कई इंजीनियर अपने वर्तमान कार्य के साथ जोनल अधिकारी का काम देखेंगे।
मनोज जैन को जोनल अधिकारी जोन 1 की जिम्मेदारी, हेमंत मिश्रा को जोन टू, राज ठाकुर को जोन 3, सालकराम सितोले को जोन 4, अवधेश जैन को जोन 6, सुनील जादौन को जोन 7, प्रकाश नागर को 8, मोहित मिश्रा को 10, शांतिलाल यादव को जोन 12, तन्मय सिंह चौहान को 13, लोकेश शर्मा को 14, नदीम खान को 15, निर्माता हिण्डोलिया को 16, जुगलकिशोर बारपेटे को 18, धीरेंद्र बायस को 19, वैभव देवलासे को जोन 21 और आनंद रैदास को जोन 22 का जोनल अधिकारी नियुक्ति किया गया है।
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स्टे लाए अधिकारियों का क्या होगा
उधर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के विभाग नगरीय प्रशासन से 13 जून को ट्रांसफर लिस्ट जारी हुई थी, इसमें इंदौर से भी दर्जन भर अधिकारी प्रभावित हुए थे। इसमें डॉ. इजहार मुंशी की मल्टी को बम से उड़ाने के बाद रिश्वत मांगने के आऱोपों में में घिरे अधिकारी भी शामिल थे। हालांकि इसमें बाद में कई अधिकारी हाईकोर्ट से स्टे ले आए। लेकिन उन्होंने निगम को इसकी औपचारिक सूचना देने में देरी की और इस दौरान निगमायुक्त ने उन्हें रिलीव कर दिया। इसके बाद अब औपचारिका तौर पर स्टे होने की सूचना दी गई है। इसके बाद अब भोपाल से बात की जा रही है और साथ ही विधिक जानकारों से भी इसमें बात की जा रही है कि अब इन अधिकारियों का क्या किया जाए, जिससे कोर्ट की भी अवमानना नहीं हो और विधिक निराकरण इन अधिकारियों की स्थिति को लेकर हो सके।
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