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इंदौर नगर निगम ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ट्रैफिक सुधार के लिए अहम कदम उठाते हुए पूरे शहर को एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया है। यह नोटिस सभी अखबारों में सार्वजनिक सूचना के तौर पर प्रकाशित कराया गया है और इसमें एक महीने के भीतर बेसमेंट में पार्किंग के इतर चल रही गतिविधियों को बंद करने के लिए कहा गया है।
यह लिखा है नोटिस में
निगमायुक्त शिवम वर्मा के आदेश से अपर आयुक्त निगम द्वारा यह सार्वजनिक सूचना 14 अगस्त की तारीख में जारी कराई गई है। यानी 14 सितंबर तक सभी को बेसमेंट में गतिविधियों को बंद करना है।
यह लिखा नोटिस में...
इंदौर शहरी क्षेत्र में विविद भवनों में बेसमेंट में आरक्षित पार्किंग में व्यावसायिक व अन्य गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में वाहन मार्गों पर पार्क होने से शहर में ट्रैफिक व आवागमन की गंभीर समस्या हो रही है। बेसमेंट में पार्किंग के स्थान में अन्य गतिविधियां संचालित किया जाना मप्र भूमि विकास नियम के प्रावधानों के विपरीत होकर अवैधानिक है।
आरक्षित पार्किंग में किए गए अवैध निर्माण व अवैध रूप से उपयोग को सूचना पत्र जारी किए बिना ही हटाया जा सकता है, इसलिए जनहित में ऐसे भवन स्वामियों और उपयोगकर्ता को सूचित किया जाता है कि एक माह में इन गतिविधइयों को बंद कर बेसमेंट का उपयोग स्वीकृति अनुसार पार्किंग के लिए सुनिश्चित करें, अन्यथा निगम द्वारा मप्र भूमि विकास नियम 2012 व मप्र नगर पालिक निगम अधिनियिम 1956 के तहत जनहित में कार्रवाई की जाएगी।
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इसे ही नोटिस माना जाएगा
निगम ने अपनी इस सार्वजनिक सूचना में अंत में साफ लिखा है कि इस सर्वसाधारण सूचना को ही सूचना पत्र यानी नोटिस माना जाएगा। माना जा रहा है कि इसके बाद निगम 15 सितंबर के बाद इन बेसमेंट के खिलाफ औपचारिक तौर पर कार्रवाई करेगा। वैसे भी किसी भी नक्शा मंजूरी में बेसमेंट में केवल पार्किंग का ही प्रावधान है किसी भी हाल में इसका अन्य उपयोग संभव ही नहीं है।
निगम के बिल्डिंग परमीशन अधिकारी झांककर देखते ही नहीं
नगर निगम के नक्शे में बेसमेंट में पार्किंग के अलावा अन्य गतिविधियां मान्य ही नहीं है, लेकिन निगम का बिल्डिंग परमिशन विभाग इसे देखे बिना ही आक्यूपेशन सर्टिफिकेट (ओसी) जारी कर देता है। सामान्य तौर पर इस विभाग को तीन चरणों में सर्टिफिकेट जारी करना होता है, जब भवन मंजूरी के बाद निर्माण शुरू होता है तो पहले प्लिंथ सर्टिफिकेट (पीसी) जारी होता है, यानी यह देखता है कि मूल सतह तक निर्माण सही हुआ है या नहीं।
इसके बाद भवन बनने के बाद कम्पलीकेशन सर्टिफिकेट (सीसी) जारी होता है, यदि निर्माण गलत है तो यह जारी ही नहीं होता है। इसके बाद फायर एनओसी व अन्य सुरक्षा काम पूरे करने के बाद ओसी जारी किया जाता है, यानी बिल्डिंग अब उपयोग के लिए तैयार है, लेकिन निगम का बिल्डिंग परमीशन विभाग गलियां निकालकर यह सर्टिफिकेट जारी करता है और बेसमेंट में या पूरे भवन में क्या नियमविरूद्ध बना है, इसे झांके बिना ही अलग-अलग चरण पर सर्टिफिकेट जारी करता है। यदि इसे ही देख लिया जाए तो अवैध बेसमेंट उपयोग संभव ही नहीं होगा।
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