इंदौर नगर निगम के 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में ईडी की इंट्री अब बड़े अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईडी ने जांच के दौरान सभी जगह आरोपियों के परिजनों के बयान लेकर एक ही अहम सवाल पूछा कि- बताओ सरगना कौन है? किसके कहने पर यह घोटाला किया गया या आरोपी ने खुद ही यह किया?
इसमें बड़े अधिकारियों के लिहाज से सबसे अहम गिरफ्तार इंजीनियर अभय राठौर के बयान साबित होंगे। उधर छापे में 3.5 करोड़ की प्रॉपर्टी और करीब डेढ़ करोड़ की नकदी मिली है। सभी जगह से दस्तावेज, मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस भी जब्त की है।
राठौर का शपथपत्र जांच में ले लिया
द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार सबसे अहम अभय राठौर का पुलिस और कोर्ट में दिया गया शपथपत्र जांच में ले लिया है। राठौर के घर पर परिजनों ने यह शपथपत्र ईडी के अधिकारियों को दे दिया है।
अभी तक राठौर ने और उनकी पत्नी ने पुलिस व कोर्ट में शपथपत्र देकर इस घोटाले में बडे अधिकारियों के नाम भी लिए हैं। इसमें पूर्व निगमायुक्तों के साथ ही अपर आयुक्त व अन्य इंजीनियर शामिल है। जानकारी के अनुसार ईडी ने आश्वस्त किया है कि वह इस शपथपत्र के आधार पर आगे जांच करेंगे।
छापे में हर जगह पूछा सरगना कौन?
उधर अन्य अधिकारियों के हुए छापे में भी परिजनों से बार-बार ईडी ने यह पूछा कि यह घोटाला किसके कहने पर किया। सरगना कौन है? या फिर खुद ही अंजाम दिया। वहीं ठेकेदारों के यहां गई जांच टीम ने भी दस्तावेज खंगालने के साथ ही यह सवाल पूछा यह पूरा घोटाला किसके कहने पर किया गया। हालांकि अधिकाशं जगह परिजनों ने इस मामले में जानकारी नहीं होने की बात कही और यही कहा कि उनके व्यक्ति को फंसाया गया, उनका कोई रोल नहीं है।
असलम, काकू के यहां भी पहुंची टीम
एक बार पहले ही ईडी की जांच का सामना कर चुके निगम के बेलदार असलम के घर भी टीम पहुंची। इसके भाई एहतेश्याम उर्फ काकू के साथ ही अन्य परिजनों के नाम से कंपनियां बनाकर घोटाला किया गया है। काकू फरार है. उसके घर पर दरवाजे, अलमारी खोलकर जमकर तलाशी ली गई। काकू ने कर्मचारी इमरान, मौसम को भी कंपनी का मालिक बना रखा था। ईडी को यह भी परिजनों से जानकारी मिली तो यह सब मोहरे हैं और मुख्य भूमिका काकू की है, उन्हीं ने कंपनी बनाई और खाते में राशि आने के बाद उन्हें ही निकाल कर देते हैं। उन्हें तो महीने के दस-15 हजार रुपए ही मिलते हैं।
ईडी जांच करेगा मनी ट्रैल, जो पुलिस ने नहीं देखी
ईडी की जांच में अब सबसे अहम होगा कि ठेकेदारों के खाते में जो फ्राड की राशि पहुंची, वह खाते से निकलकर किस-किस के पास गई। क्या इसे कैश निकालकर अन्य लोगों को बांटा गया, जो जिन्हें दी गई वह कौन-कौन अधिकारी या अन्य व्यक्ति थे। इन सभी की जांच की जाएगी। पूरा खेल अब मनी ट्रैल और आरोपियों के बयान पर होगा।
ईडी की आगे क्या होगी कार्रवाई
ईडी ने जून में इस घोटाले में केस दर्ज किया था। इसमें पुलिस में दर्ज 7 एफआईआर के सभी आरोपियों को मनी लाण्ड्रिंग में भी आरोपी बनाया गया था। प्रारंभिक दस्तावेज जुटाने के बाद ईडी ने छापे मारे। अब इसके बाद ईडी औपचारिक तौर पर जिसकी जरूरत समझेगी उन आरोपियों की गिरफ्तारी लेगी, भले ही वह जेल में हैं। गिरफ्तारी लेने के बाद पूछताछ के लिए कोर्ट से मंजूरी लेकर रिमांड में लिया जाएगा।
इसके साथ ही जांच में सामने आई प्रॉपर्टी को सीज किया जाएगा। ईडी इस घोटाले में निगम से हुई भुगतान राशि करीब 48 करोड़ रुपए है, उसके बराबर की संपत्ति सीज करेगी। जिस ठेकेदार को जितना भुगतान हूआ , जितने के बिल लगे, उसके बराबर की सपंत्ति अटैच करेगा।
बड़े अधिकारियों का क्या होगा?
अभय राठौर के साथ ही अन्य अधिकारी, ठेकेदार यदि पूछताछ में अन्य अधिकारियों के नाम बताते हैं तो फिर उनके भी बयान दर्ज कराए जाएंगे। इन बयानों को क्रास चेक किया जाएगा। यदि इन बयानों में फैक्ट सामने आते हैं तो फिर इनकी भी गहन जांच होगी।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा अब बड़ों को पकड़ों
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने ईडी की कार्रवाई के बाद तंज कसा और कहा कि आज के भगवान यानी ईडी से उम्मीद है कि अब वह इस 150 करोड़ के बिल घोटाले में बड़े अधिकारियों को पकड़ेगी और कार्रवाई करेगी। उधर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के साथ निगम प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे, शहाराध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्डा, जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव अन्य नेता मिलकर निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
thesootr links
इंदौर नगर निगम, इंदौर नगर निगम घोटाला, ED, अभय राठौर, Indore Municipal Corporation scam