संजय गुप्ता@ INDORE.
नगर निगम इंदौर में सफाई में तो नंबर वन है, लेकिन आजकल जिस काम की जांच के लिए हाथ डालो, उसमें गंदगी और घोटाल निकल रहे है। अभी 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले का मामला चल ही रहा है। अब सामने आया है कि किस तरह निगम में फर्जी तौर से काम पूरा दिखाकर भुगतान लिया जा रहा है। ऐसे ही एक काम में 52 लाख का भुगतान हो गया। अब निगमायुक्त शिवम वर्मा ने झोनल अधिकारी सतीश गुप्ता और उपयंत्री कमलेश शर्मा पर कार्रवाई की है।
इस तरह किया घोटाला
झोन 14 के वार्ड 79 में सीमेंट कांक्रीट सड़क के काम में यह घोटाला हुआ है। कंपनी सरकार इंफ्रा को ये ठेका मिला। इस काम के अधूरे होने की बात निगमायुक्त तक पहुंची तो उन्होंने टीम भेजकर जांच कराई। इसमें पाया गया कि मेजरमेंट बुक जिसमें हर दिन के काम की जानकारी, फोटो होती है और नीचे ठेकेदार, इंजीनियर के हस्ताक्षर होते हैं, इसमें ही खेल कर दिया गया है। इस बुक में जो काम होना बताए गए, दरअसल वह मौके पर हुए ही नहीं, अधूरे काम के आधार पर ही इस बुक को पास करके ठेकेदार को 52.61 लाख रुपए का भुगतान करा दिया गया।
इन पर कार्रवाई
इस मामले में झोनल अधिकारी सतीश गुप्ता को जिम्मेदार माना गया है। उन्हें सस्पेंड कर ट्रेचिंग ग्राउंड अटैच करने और विभागीय जांच के आदेश हुए हैं। आदेश में है कि इनकी स्वेच्छिक कार्य प्रणाली से निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं। इसी के साथ ही उपयंत्री कमलेश शर्मा को भी इस काम के लिए जिम्मेदार मानते हुए इन्हें हाजरी से मुक्त कर दिया गया है। वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है। इनके लिए कहा गया कि पद का दुरूपयोग किया और स्वैच्छारिता की।
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